डेंगू का आयुर्वेदिक तरीके से ईलाज
डेंगू एक बहुत खतरनाक बीमारी है
| यदि इसका समय पर उपचार नहीं होता है तो
इससे व्यक्ति की जान भी जा सकती है
| यह बीमारी हवा , पानी , या साथ खाना
खाने से नहीं फैलता | बल्कि डेंगू एक मच्छर के काटने से फैलता है | डेंगू की का रोग एडीज इजिप्टी मादा मच्छर के काटने से ही फैलता है, यह बीमारी अधिकतर उष्णकटीबंधीय क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है, डेंगू मच्छर के
काटने के १४ दिनों के अंदर ही व्यक्ति को बुखार आना , उल्टी होना . दस्त होना .
शरीर पर लाल रंग के चट्टे होने लगते है | ये सभी डेंगू के लक्षण होता है | इसलिए
इसका ईलाज समय पर करवाना चाहिए | सबसे पहले डेंगू की जांच करवानी चाहिए , हर
सरकारी हॉस्पिटल में इसकी जांच निशुल्क होती है, अत इसमें लापरवाही बिलकुल नहीं
बरतनी चाहिए .
- डेंगू फैलने के कारण व सुरक्षा उपाए -
- अपने घर के आसपास और घर में साफ सफाई न रखना,
- घर के आस पास पानी जमा होना
- कूलर में पानी जमा न होने दे .
- पीने का पानी खुला और समय के लिए न रखे ,
- ये मच्छर साफ पानी में पैदा होता है इसलिए अपने घर में कही पर भी अधिक दिनों के लिए पानी जमा न होने दे.
- भोजन को साफ सफाई के साथ बनाये
- हाथ धोकर भोजन करे
- प्रतिदिन व्यायाम करे
- मौसम अनुसार भोजन व फलों का सेवन करे,
- नजदीकी MCD दफ्तर में संपर्क करे यदि आपके आसपास बीमारी की आशंका है तो
Dengue Ka Gharelu ilaj |
डेंगू की बीमारी में प्लेटलेट्स बहुत ही जल्दी से गिरती है जिसको मेन्टेन करना
बहुत ही जरूरी है, नीचे दिये गये उपाय से आप ब्लड प्लेटलेट (blood platelets) को मेन्टेन कर सकते है,
- पपीते के पत्तों का जूस ,
- गिलोय के पत्तियों का जूस ,
- बकरी का दूध खूब पीये ,
- गेहूँ के जवारे से बने रस का सेवन करे,
- नारियल पानी दिन में कम से कम 4 से 5 बार
डेंगू का आयुर्वेदिक ढंग से ईलाज के लिए निमिन्लिखित सामग्री की आवश्कता होगी |
१. गोदंती भस्म :- १० ग्राम
२. स्फटिक भस्म :- ५ ग्राम
३. अमृता सत :- १० ग्राम
४. सितोपलादि चूर्ण :- २५ ग्राम
५. संजीवनी वटी :- १० ग्राम
६. स्वर्णवसंतमालती रस :- २ ग्राम
इन सभी औषधियों को आपस में
मिलाकर एक मिश्रण बना ले | इस मिश्रण की बराबर मात्रा की सवा महीने यानि चालीस
दिनों की पुड़ियाँ बना ले | और किसी शीशे के डिब्बे में बंद करके किसी सुरक्षित जगह
पर रख दें | प्रतिदिन एक पुड़ियाँ सुबह और एक पुड़ियाँ शाम को भोजन करने के लगभग आधा घंटा पहले खाएं | इस दवा
को हल्के गर्म पानी , शहद या फिर गाय के दूध के साथ सेवन करे | डेंगू की बीमारी
में बकरी का दूध बहुत ही फायदेमंद होता है |
डेंगू की रोकथाम |
गिलोयघन वटी :- ४० ग्राम
इस औषधी की रोजाना दो – दो गोली
सुबह और शाम खाना खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ खाने से भी डेंगू की बीमारी में
आराम मिलता है |
गेंहू के ज्वारे का रस :-
२० मिलीलीटर
गिलोय रस :- २० मिली लीटर
धृतकुमारी स्वरस :- २० मिलीलीटर
पपीते के पत्ते का रस :-
२० मिलीलीटर
उपर लिखी हुए सामग्रियों को आपस
में मिलाकर रोजाना सुबह और शाम पीने से बहुत जल्दी फायदा मिलता है | पपीते का
रस डेंगू की बीमारी के लिए बहुत ही
लाभकारी होता है |
अनचाहे बालों का समाधान
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