अजमोद पौधे से परिचय : -
प्रकृति
ने हमे वनस्पति के रूप में बहुत बड़ा उपहार दिया है । जिनका प्रयोग हम दवाइयों के रूप में करते है । उनमें से एक अजमोदा का पौधा है । इसका प्रयोग हर प्रकार
की सब्जी बनाने में भी किया जाता है , स्वाद के साथ साथ यह गुणवता को भी बढ़ावा
देता है, इसका पेड़ सारे भारत में पाया जाता है । इस पौधे की खेती सर्दियों के मौसम में बंगाल में की जाती है । यह पेड़ हिमालय के उतरी और पश्चमी प्रदेश में, पंजाब
की पहाड़ियों पर और फारस में अधिक संख्या में पाये जाते है।
बल्कि आजकल तो हमारे
वैज्ञानिकों ने इस तरह के बीज खोज निकले है जो हर मौसम में उगने में समर्थ है, फिर
भी यदि इस पौधे को सही समय पर उगाया जाये तो अधिक लाभकारी हो सकता है, इस पेड़ के फूल फ़रवरी और मार्च में खिलते है । और मार्च - अप्रैल
तक फल में बदल जाते है और इसका पेड़ समाप्त हो जाता है ।
इस
पौधे की खोज जिस वैज्ञानिक ने की थी उसका नाम अपियम ग्रावोलेंस था। अजमोदा के पौधे को अलग - अलग
नामों से भी जाना जाता है। अजमोद के विभिन्न नाम , different name of celery plant
अंग्रेजी में
= सेलरी सीड्स, Celery Seeds
In Spanish it is called = perejil
हिंदी में
= अजमोद
मारवाड़ी में
= अजमोदे
in urdu it is called = اجمودا
संस्कृत में
= अजमोदा , बस्तमोदा , मर्कटी , कारवी
पंजाबी में
= अजमूद , भूत
धार
in French its name is = persil
बंगाली भाषा में अजमोद पौधे के विभिन्न
नाम = रांधुनि , आजमूद , बनानी
मराठी में इस पौधे को ‘ ओमादा ‘ या ‘ वोगा ‘ कहते है
तेलगु में
= अमोद , बोमम
in japanies
its name is =パセリ
फ़ारसी लोग इस पौधे को ‘ करफ्स ‘ नाम से जानते है
अरबी निवासी अजमोद के पौधे को
‘ बजुलकरफ्स ‘ नाम से जानते है ,
in Gujrati it is called = સુંગધી પાનવાળી એક વિલાયતી વનસ્પતિ
कन्नड़
भाषा में अजमोद पौधे का
नाम = बोमा
द्राविडी
में अजमोद का नाम = आशामंदा
अजमोद पौधे की बाहरी
संरचना :-
अजमोदा
का पौधा १ -३
फुट ऊँचे होते है । इसपौधे का आकार अजवाइन के पौधे जैसा होता है । इसके पत्ते किनारे से कटे हुए और इसमें design होते है । इस पौधे के फूल छोटे - छोटे
आकार के सफेद रंग के होते है । इन फूलों का आकार छतरीनुमा होता है । जो बाद में पककर बीज बन जाते है । इन्ही बीजों को अजमोद कहते है।
अजमोद के पौधे की रासायिनक गुणवत्ता :-
इस पौधे में उड़नशील तेल , गंधक , लुआब , गोद , क्षार , एल्ब्यूमिन , और कुछ मात्रा में नमक पाया जाता है । अजमोदे के पौधे में कपूर से मिलता जुलता एक तेलिए और तीक्ष्ण पदार्थ भी पाया जाता है|
गुण
धर्म :- अजमोदे के पौधे का उपयोग कई बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है । जैसे :- वात , पित्त , कफ , इसके जूस से गर्भाशय की भी सफाई होती है , सरीर के दर्द को
दूर करता है , हिचकी रोग के उपचार के लिए , वमन व गुदाशय का दर्द और कुकुर खांसी इत्यादि के उपचार के लिए
इस औषधि का प्रयोग किया जाता है । इसके जूस के सेवन से अर्श और पथरी का रोग भी ठीक हो जाता है और पथरी मूत्र मार्ग से
धीरे धीरे बाहर निकल जाती है ।
पाचन तंत्र को मजबूत करके
उसके प्रत्येक अंगो के लिए और पेट में होने वाली परेशानियों को आराम देता है । अजमोद के पौधे के उपयोग से यकृत ह्रद्य और प्लीहा की शिकायत का समाधान होता है ।
गर्भवती महिला अजमोद
का सेवन न करे
अजमोद के खाने के बाद छाती में जलन पैदा हो जाती है । गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए । क्योकि यह गर्भाशय उत्तेजिक होती है इसके उपयोग से गर्भपात भी हो सकता है ।
अपस्मार से पीड़ित रोगी को भी अजमोद का सेवन नहीं करना चाहिए ऐसा करने से हानि हो सकती है ।
अजमोद का अधिक सेवन
निषेध है ये डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए .
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