गेहूँ के ज्वारे
गेहूँ के जवारे एक अनुपम
औषधि है , गेहूँ के मिटटी के अंदर बौने पर जो
एक ही पत्ता
उगकर ऊपर आता
है उसे ज्वारा
कहते है इसे
मिट्टी के छोटे
बर्तन में बोया
जा सकता है
गेहूं के ज्वारे
का रस बहुत
ही उपयोगी होता
है . इस रस
के द्वारा अनेक
असाध्य रोगो को
दूर किया जा
सकता है .
एक मिटटी के कुंडे में थोड़े से गेहू बौ दे लगभग ७ या ८ दिन में ये ज्वारे के पौधे उग जायेंगे तब इन्हे कैची से काट ले ! ये कंम से कम पांच या सात इंच लम्बे होने चाहिए |
एक मिटटी के कुंडे में थोड़े से गेहू बौ दे लगभग ७ या ८ दिन में ये ज्वारे के पौधे उग जायेंगे तब इन्हे कैची से काट ले ! ये कंम से कम पांच या सात इंच लम्बे होने चाहिए |
रस बनाने की विधि
जब समय अनुकूल
हो तब ज्वारे
काटे और काटते
ही तुरंत उन्हें
धो दे ! धोते
ही उन्हें कूटे
! कूटते ही उन्हें
कपडे से छान
ले !कम से
कम तीन बार
कूटने पर ही
उसका रस प्राप्त
होता है ! इसके
बाद बिना समय
गवाए उस रस
को पी ले
क्योँकि इसका प्रभाव
तत्क्षण खत्म होने
लगता है । सुबह
उठते ही
पीने पर यह
विशेष लाभकारी है
।
ये रस लेने के आधे घंटे बाद तक कुछ नहीं खाना पीना चाहिए । कभी -२ रस पीने के बाद किसी -किसी को उबकाई या उल्टी सी होने लगती है अथवा सर्दी सी हो जाती है तो घबराना नहीं चाहिए क्योंकि ये शरीर में आई कमजोरी की वजह से होता है । ज्वारे का रस निकलते समय उसमे अदरक व् निम्बू का रस भी मिला सकते है तो यह स्वाद लगता है |
ये रस लेने के आधे घंटे बाद तक कुछ नहीं खाना पीना चाहिए । कभी -२ रस पीने के बाद किसी -किसी को उबकाई या उल्टी सी होने लगती है अथवा सर्दी सी हो जाती है तो घबराना नहीं चाहिए क्योंकि ये शरीर में आई कमजोरी की वजह से होता है । ज्वारे का रस निकलते समय उसमे अदरक व् निम्बू का रस भी मिला सकते है तो यह स्वाद लगता है |
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