शतावर की खेती कैसे करें | Shatavar ki Kheti Kaise Karen

शतावर की खेती

आयुर्वेद की दुनिया में शतावर का प्रयोग पूराने समय से ही किया जा रहा है | शतावर एक प्रकार की जड़ वाली औषधी है | इसकी जड़ों के भाग को विभिन्न प्रकार की औषधी बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है |  शतावर का पौधा झाड़ीनुमा होता है | शतावर का पौधा एक या दो  इंच का होता है | यह औषधी फसल भारत के कई भागों में प्रक्रति अवस्था में खूब पाई जाती है | शतावर के पौधे को अलग – अलग स्थान पर अलग – अलग नाम से जाना जाता है | जैसे :- अंग्रेजी भाषा में इसे एस्पेरेगस कहते है | कंही पर इसे श्तमली तो कंही पर शतविर्या के नाम से जानते है | शतावर को बहुसुत्ता के नाम से पहचान मिली है तो कंही  पर शतावारी के नाम से प्रसिद्ध है | इस प्रकार इसके अनेकों नाम है | संसार में भारत के आलावा ऑस्ट्रेलिया , चीन . नेपाल , अफ्रीका और बंगलादेश में भी पाया जाता है |  इस औषधी का प्रयोग मुख्य रूप से आयुर्वेदिक औषधी के रूप में प्रयोग किया जाता है | शतावर का रोजाना सेवन करने से ल्यूकोरिया और एनीमिया जैसी बीमारी से बचा जा सकता है | इसके आलावा यह महिलाओं के लिए विशेष तौर लाभकारी होती है | इससे शरीर में स्फूर्ति बढती है , माँ बनने के बाद दूध की मात्रा बढती है और कमजोरी दूर हो जाती है | शतावरी के प्रयोग से शरीर में ठंडक पंहुचती है | तो आज शतावर की खेती के विषय में जानकारी दे रहे| 
शतावर की खेती कैसे करें
शतावर की खेती कैसे करें

·        शतावर के पौधे की संरचना :-  शतावर का पौधा झाड़ीनुमा और कांटेदार होता है | इसकी शाखाएं पतली होती है | इस पौधे की पत्तियां सुई के आकार की होती है | जिसकी लम्बाई 1.5 से 2.5 सेंटीमीटर तक लम्बी होती है | शतावर के पौध में काटें होते है जो टेढ़े – मेढ़े आकार में लगे हुए होते है | इन काँटों की लम्बाई 6 से 8 सेंटीमीटर की होती है | इस पौधे की टहनियां चारो और फैली हुई होती है | इसके फूल सफेद या गुलाबी रंग के खुशबूदार होते है जो इनकी शाखाओं पर लगे रहते है | ये फूल फरवरी या मार्च के महीने में खिलते है और अप्रैल में बढ़कर फल में प्रवर्तित हो जाते है | इसके फल मटर के दाने के समान होते है | जो पकने पर काले रंग के हो जाते है | शतावर की जड़ के कंद 20 से 30 सेंटीमीटर लम्बे और 1 से 2 सेंटीमीटर मोटे आकार में पैदा होती है | इन जडो का रंग धूसर पीले रंग का होता है | जो हल्की खुश्बूदार लिए हुए स्वाद में मीठी तथा कडवी लगती है | इसकी जड़ों को आदिवासी लोग पकाकर बड़े शौक से खाते है | इसकी जड़ों को सुखाकर प्रयोग किया जाता है |  इसकी सुखी हुई जड़ों को बाजार में शतावर के नाम से बेचा जाता है |जिसमे शतावरिन – 1 और शतावरिन – 4 में ग्लुकोसाड रसायन के मुख्य तत्व पाए जाते है | शतावर की सफेद रंग की जड़ों को बीमारियों को ठीक करने के लिए उपयोग की जाती है | इस जड़ में जो तत्वों की मात्रा होती है उससे कई रोग ठीक हो जाते है | शतावर की एक लता में कम से कम 70 से 100 जड़े होती है |
Shatavar ki Kheti Kaise Karen
Shatavar ki Kheti Kaise Karen
·         शतावर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु :- इसकी खेती के लिए मौसम का तापमान मध्यम होना चाहिए | इसकी खेती के लिए मौसम का तापमान कम से कम 10 से 15 डिग्री सेल्सियस का होना चाहिए |

·        खेत की तैयारी :-   जिस खेत में शतावर की फसल की बुआई करनी है उस खेत की मिटटी की  2 या 3 बार जुताई कर लें | जुताई करने के बाद एक एकड़ भूमि में लगभग 10 से 12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिला दें | इसके बाद दोबारा जुताई करें ताकि खाद भूमि में अच्छी तरह से मिल जाये|

·        शतावर के पौधे की तैयारी :- जुताई किये हुए खेत में 10 मीटर की क्यारियां बनाएं | इसके बाद खाद और मिटटी को 2 अनुपात की मात्रा को क्यारियों में  मिला दें |अगस्त के महीने में क्यारियों में बीजों की बुआई करें|

·        बीज की मात्रा :- एक एकड़ भूमि पर लगभग 5 किलोग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त होती है | जबकि एक हेक्टेयर भूमि पर 2.50 से 3 किलो बीज को बोया जाता है |

शतावर की मुख्य रूप से दो प्रकार की प्रजातियाँ पाई जाती है | नेपाली शतावर या देशी शतावर | इन दोनों किस्मों के बीज बाजार में आसानी से मिल जाते है | इन बीजो का मूल्य लगभग 900 से 1000 रूपये किलो है |

·        खरपतवार पर नियन्त्रण :- शतावर के पौधे का अच्छी तरह से विकास के लिए खेत को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए | इसके लिए एक या दो बार निराई – गुड़ाई करनी बहुत ही जरूरी है | और साथ ही साथ मिटटी भुरभुरी होनी चाहिए |निराई – गुड़ाई करने के बाद पौधे में मिटटी की परत चढ़ा देनी चाहिए | ताकि पौधों में स्थिरता बनी रहे |

·        सिंचाई करने का तरीका :- शतावर के पौधे में पानी की अधिक आवश्यकता नहीं होती | इसके पौधे को लगाने के एक सप्ताह के बाद हल्की सिंचाई करनी बहुत जरूरी है | यह सिंचाई पौधे के लिए काफी होती है |जब पौधे हल्के बड़े हो जाये तो इसकी दूसरी बार सिंचाई करें | शतावर की खेती में सही समय पर खुदाई जरूरी है | इसकी रस दार जड़ों की खुदाई कर लेनी चाहिए |  इस समय किसान दूसरी फसल के लिए खेत को तैयार कर सकते है |

·        खुदाई करने के बाद सुखाना :- शतावर की जड़ों को खोदकर निकालने के बाद जड़ों को पानी से अच्छी तरह से धोकर साफ कर लें |और इन्हें हल्की धुप में सुखाने के लिए रख दें | इससे शतावर की जड़ों की गुणवत्ता कम नहीं होती |

·        शतावर की उपज :- एक एकड़ भूमि पर से शतावर की कम से कम 300 से 400 किवंटल तक की अच्छी और गीली उपज की प्राप्ति हो जाती है || जो सूखने के बाद 45 से 50 किवंटल रह जाती है |इसे बाजार में 200  से 300  रूपये किलो के हिसाब से बेचा जाता है |
 Shatavar Ek Mahatvpurn Aushdhi
 Shatavar Ek Mahatvpurn Aushdhi

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