बच्चों को उपर का दूध
पिलाना
छः महीने तक बच्चे को केवल और केवल माँ का
ही दूध पीना चाहिए, उसके बाद जब माँ का दूध बच्चे की जरुरत को पूरा न कर पाए तो
फिर उपर का दूध पिलाना चाहिए, बच्चे को दूध उसकी जरुरत के अनुसार ही पिलाना चाहिए
और किसी बच्चों के चिकिस्तक से इसकी जानकारी जरूर लेनी चाहिए |
बच्चों को अगर बोतल की अपेक्षा कटोरी या
कप से दूध पीने की आदत डाले तो वो बेहतर होता है, अगर बोतल से पिलाते है तो उसकी
प्रतिदिन गर्म पानी से अच्छी तरह साफ़ सफाई करनी जरूरी होती है |
बच्चे के स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत
आवश्क हैं जिसके लिए तीन चीजे अधिक महत्वपूर्ण हैं - चीनी , दूध और पानी | चीनी और दूध का
मिश्रण माँ के दूध की तरह होता हैं बच्चे
की खुराक तैयार करने के लिए कई प्रकार के दूध आजकल प्रयोग में लिए जाते हैं |
1. पूर्ण दूध - इसका का अर्थ
होता हैं दूध पूर्ण रूप से क्रीम वाला होना चाहिए जिससे दूध प्रयोग करने में पतला
न हो |दूध पतला होने से दूध
में पोषण - तत्वों की मात्रा कम हो जाती हैं जिससे दूध स्वास्थ्य में अपना पूरा
प्रयोग नही कर पाता हैं |
2. पाउडर वाला दूध –
इस
दूध का स्वाद बहुत कुछ माँ के दूध जैसा होता हैं, लेकिन इस दूध में प्रोटीन की
मात्रा कम कर दी जाती हैं | इसे पिलाने के लिए डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए |
3. क्रीमरहित दूध –
इसका
प्रयोग बच्चो को दस्त आदि बीमारी होने पर किया जाता हैं यह आसानी से हजम हो जाता हैं
| यह दूध बन्द डिब्बे में बाजार में आसानी से उपलब्ध होता हैं |
4. कीटाणुरहित दूध – इसका प्रयोग आप बहुत
आराम से कर सकते हैं यह तब पिलाया जाता हैं जब आप शिशु को ताजे दूध की खुराक देना
चाहते हैं |
बच्चों को उपर का दूध पिलाना , Rules for Children's Milk Feeding |
5. गाय का दूध – इसका प्रयोग करने
के लिए पहले पांच मिनट तक उबालना बहुत आवशक होता हैं अगर आप ऐसा नही करते हैं तो
शिशु को गले में खराश और दस्त आदि के कीटाणु हो सकते हैं |
6. इवेपोरेटेड (आधा
पानी निकला) – इसका प्रयोग करते समय दूध में पानी का आधे से अधिक भाग सुखा लेना चाहिए
और इसमें चीनी नही मिली होनी चाहिए | इसे कीटाणुरहित होने के बाद ही डिब्बे में पैक
किया जाता हैं | यह बच्चो को चरम-रोग आदि से बचाता हैं और यह ताजे दूध के मुकाबले
कम समय में हजम हो जाता हैं |
7. ड्रोमोजिराइज्ड
दूध – इसका प्रयोग करते समय इसे क्रीम को दूध में अच्छी तरह मिलाकर कर फेंट
दिया जाता हैं |
8. नकली दूध – इसका प्रयोग तब
किया जाता हैं जब बच्चो को दूध पीने के कारण त्वचा के रोग होने लगते हैं, नकली दूध
तैयार करने के कुछ खाघ-पदार्थो का प्रयोग किया जाता हैं जैसे सोयाबीन, आटा और चीनी
आदि | इसे पिलाने के लिए बोतल की चुसनी में बड़ा छेद किया जाता हैं |
जिस प्रकार की शक्कर साधारण तौर पर आहार में मिलाकर शिशु को दी जाती हैं,
उसकी कुछ किस्में इस प्रकार हैं जैसे –
1. खांड – इसका प्रयोग तब किया जाता हैं जब शिशु
को कब्ज रहे या उसे पाखाना अधिक सुखा आने लगा हो |
2. लैक्टोस – इसे तैयार करने के लिए गाय का दूध
प्रयोग में लाया जाता हैं यह बहुत महंगा होता हैं इसलिए इसे सुविधानुसार ही देना
चाहिए |
3. सफेद दानेदार चीनी – इसका प्रयोग अधिकतर शिशु की खुराक तैयार
करने के लिए ही किया जाता हैं | शिशु के लिए चौबीस घंटो की खुराक में दो या तीन
चम्मच चीनी होना बहुत आवश्क होता हैं |
4. ग्लूकोज – शिशु की चौबीस घंटो की खुराक में यह
चार से छह चम्मच तक दिया जाना चाहिए इसमें सबसे अधिक पोषण – तत्व होते हैं यह शिशु
के लिए बहुत लाभदायक होता हैं |
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