धनुषाकर्षणासन
जैसा कि आप सभी को इसके नाम से ही ज्ञात हो रहा है इस आसन का नाम है
धनुषाकर्षणासन जिस तरह से धनुष पर बाण
रखकर तीर को चलाने के लिए इसके आकर्ण को खीचा जाता है उसी तरह से अपने शरीर को
स्वस्थ रखने के लिए इस आसन का प्रयोग करते समय मनुष्य के शरीर की आकृति धनुष के
बाण जैसी हो जाती है इसलिए इसे धनुषाकर्षणासन कहा जाता है.
सबसे पहले हम धनुषाकर्षणासन की विधि के बारे में चर्चा करेंगें:-
विधि 1.सर्व प्रथम समतल भूमि पर अपने दोनों पैरों को सीधा करके अथवा अपने
पैरों को फैलाकर भूमि पर बैठ जायें.
2.अब अपने बाएं हाथ से अपने दाएं पैर के अंगूठे को पकड़ लें फिर अपने बाएं पैर
को अपने दाएं घुटने पर रख कर अपने दाएं पैर के अंगूठे को इस तरह से पकड़ें जिससे
आपके बाएं पैर का अंगूठा आपके दाहिने कान की तरफ आ जायें.
3. अपने हाथ और पैरों में परिवर्तन करते हुए इस आसन की क्रिया को जारी रखें और
आसन को करते समय ये ध्यान रहें कि अगर करने वाला व्यक्ति पतला हो तो उस व्यक्ति को
सांस लेते हुए इस आसन की क्रिया को शुरू करना होता है तथा मोटे व्यक्ति को सांस
बाहर निकालकर इस क्रिया को शुरू करना होता है.
अगर आप हमारी बताई गई विधि के अनुसार इस आसन का प्रयोग करंगे तो आपको अपने
शरीर में अनेक प्रकार के लाभ और फायदें दिखाई देंगें. इस आसन के अनेक लाभ इस
प्रकार है:-
लाभ -@- इस आसन का लगातार प्रयास करने से आपके शरीर की सभी मांसपेशियां पुष्ट
बन जाएंगी और शरीर में खून का प्रवाह बना रहेगा.
@-जिस भी मनुष्य के कंधों में जकड़न व भारीपन रहता है अथवा शरीर में किसी भी
प्रकार का दर्द रहता है तो इस आसन का प्रयोग करने से ये सभी बीमारियाँ थोड़े ही समय
में ठीक हो जाती है.
@-इस आसन का रोजाना अभ्यास करने से हमारे शरीर के सभी अंग जैसे:- हाथ, स्कन्ध,
छाती, कमर, जांघ, पीठ व पिण्डलियां इत्यादि शरीर के सभी भाग सुन्दर, सुडोल और
ताकतवर बन जाते है.
@-पेट से जुडी हर बीमारी जैसे कब्ज या फिर पेट में अन्य रोगों को बहुत ही जल्द
जड़ से उखाड़ फैकता है इसलिए इस आसन का अभ्यास जरुर करें इससे आपका पेट साफ और
स्वस्थ बना रहेगा.
@-ये आसन गठिया जैसी बीमारी को दूर करने के लिए अधिक लाभकारी होता है तथा इस
रोग से और जल्दी छुटकारा पाने के लिए योग के साथ-साथ रोग के स्थान पर सरसों के तेल
की रोजाना मालिश करने से इस रोग से जल्द ही छुटकारा मिल जाता है तथा ये उपचार इस
रोग को जड़ से नष्ट कर देता है.
@-जिस भी व्यक्ति को लकवे की बीमारी
हो जाती है उस व्यक्ति के लिए इस आसन का बार-बार अभ्यास करना अति आवश्क होता है
क्योंकि आसन की क्रिया को करते व्यक्त हमारे पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है
जिससे हमारे शरीर की सभी जकड़ी हुई मांसपेशियां धीरे-धीरे खुलने लगती इससे हमें लकवे के रोग से राहत मिलने लगती है और फिर
लकवे का रोग जल्द ही ठीक हो जाता है.
विशेष - स्त्रियों को इस आसन का प्रयोग गर्भावस्था या मासिक धर्म की स्थिति में
बिल्कुल भी नहीं करना चाहियें.
hamare ayurved or rishi muniyo ne hume anek aise yogasano ki jaankari di hai jismein hume ye pata chalta hai ki hum apni bimari ka apne aap or apne hi ghar par kaise ilaj karwa sakte hai, striyon ko is aasan ka prayog garbhavastha mein nahi karna chahiye, pet rog theek ho jaate hai , body ki jakdan theek hoti hai or naadi shodhan hokar blood circulation bhali bhaanti hota hai,
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