जोड़ों का
दर्द
जोड़ो का दर्द किसी भी कारण से हो
सकता है | जैसे पुरानी चोट , बुडापा , अप्राकर्तिक खान – पान और जीवन शैली के
कारण. इससे हड्डियों में खिचाव होता है जिससे हमें बहुत अधिक तकलीफ होती है और
चलने – फिरने में परेशानी उठानी पड़ती है |
इस दर्द को हम अनदेखा नहीं कर सकते | इसलिए हमें इसका समय पर उपचार करना
चाहिए | यदि जोड़ो के दर्द का समय पर ईलाज न किया गया तो यह दर्द बहुत घातक सिद्ध
हो सकता है जिसके कारण हमे सर्जरी भी करवानी पड़ सकती है | हमें चलने फिरने में
काफी तकलीफ होती है .
अस्थिशूल और संधिशूल
:- यह बीमारी पेट से जुडी होती है
| यदि मनुष्य को गैस बन जाए या फिर वह जरूरत से ज्यादा खाना खा लेता है तो उसे शूल
की बीमारी हो जाती है |
अस्थिशूल , संधिशूल और जोड़ो का दर्द का उपचार
:-
सामग्री :-
पीड़ा को कम करने वाला क्वाथ :- २०० ग्राम
दशमूल क्वाथ ( Dashmool Kwath ) :-
१०० ग्राम
किसी बर्तन में ४०० मिलीलीटर
पानी लेकर इसमें एक चम्मच उपर लिखी दोनों
औषधि को मिलाकर पानी में डालकर धीमी –
धीमी आंच पर पकने के लिए रख दे | कुछ समय बाद जब इसका पानी पक कर १०० ग्राम शेष रह
जाए तो इसे छानकर सुबह और शाम के समय खाली पेट पीये | इस उपचार से जोड़ो का दर्द
ठीक हो जाता है और साथ – साथ पेट की
परेशानी भी दूर हो जाती है |
१. सामग्री :-
१. महावातविध्वंसन रस(Mahavaatvidhavsan ) :- ५ ग्राम
२. स्वर्णमाक्षिक भस्म(Swaranmakshik Bhasma ):- ५ ग्राम
३. प्रवाल पिष्टी ( Praval Pisthi ) :- १०
ग्राम
४. गोदंती भस्म ( Gowdanti Bhasma ) :- १० ग्राम
इन सभी औषधियों को मिलाकर एक मिश्रण बना ले | इस औषधि मिश्रण की एक बराबर
मात्रा की ६० पुड़ियाँ बनाकर किसी डिब्बे में बंद करके किसी सुरक्षित स्थान पर रख
दें | रोजाना एक पुड़ियाँ नाश्ते के समय , एक पुडिया रात को खाना खाने से आधा घंटा
पहले खाएं | इस औषधि को ताज़े पानी के साथ , शहद के साथ या फिर मलाई के साथ खाए |
गाय के दूध के साथ खाने से बहुत फायदा
मिलता है |
यदि किसी मनुष्य को ज्यादा दर्द होता हो तो उसे वातचिन्तामणि नामक औषधि की
१से २ ग्राम चूर्ण को इस पुड़ियाँ के साथ मिलाकर खाने से जोड़ो का डेड तुरंत ठीक हो
जाता है |
सामग्री
:-
१. योगराज गुग्गुलु ( Yograj Guggal ) :- ६० ग्राम
२. पीड़ान्त्क वटी ( Peedantak Vati ) :- ४०
ग्राम
३. चन्द्रप्रभा वटी(Chandraprabha Vati ) :- ६०
ग्राम
उपरोक्त आयुर्वेदिक औषधि की एक – एक गोली दिन में कम से कम तीन बार खाना
खाने से आधा घंटा पहले खाए | इस गोलियों का सेवन हल्के गुनगुने पानी के साथ करे |
सामग्री :-
वातारी चूर्ण (Vatari Churan) :- १०० ग्राम
इस आयुर्वेदिक चूर्ण की आधा
चम्मच की मात्रा को खाना खाने के बाद हल्के गर्म पानी के साथ खाने से अस्थिशुल और
संधिशुल का ओग ठीक हो जाता है |
सामग्री :-
पीड़ान्तक तेल ( Peedantak Tel ) :-
किसी भी अच्छी आयुर्वेदिक कंपनी से पीड़ान्तक तेल लेकर इस तेल से एक दिन में कम
से कम दो या तीन बार मालिश करें | तेल के अतिरिक्त पीड़ान्तक बाम या जैल भी लगा सकते है |
नोट :- किसी भी मनुष्य को उसकी
बीमारी के अनुसार और उसकी शरीर की अवस्था के अनुसार एक चम्मच अजमोदादी का चूर्ण भी
दें सकते है | इस उपचार से मनुष्य के सभी रोग दूर हो जाते है और मनुष्य जोड़ो के
दर्द से मुक्त होकर ठीक प्रकार से चल फिर सकता है |
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