ग्रंथि या गाँठ :- यह रोग हमारी त्वचा से जुड़ा हुआ रोग है | इस बीमारी में रोगी के शरीर पर
गाँठ हो जाती है | जिसमें बहुत दर्द होता है |
ये गाँठ किसी भी कारण हो सकता है , इनका उपचार समय पर करना बहुत जरूरी होता
है ,
शरीर में ग्रंथि या गांठ होने पर चिकित्सा :-
सामग्री :-
१. कॉचनार गुग्गुलु ( kanchnaar Guggal ) :- ६० ग्राम
२. वृद्धिबाधिका वटी ( Vardhibadhika Vati ) :- ४० ग्राम
इन दोनों औषधियों की दो – दो
गोली रोजाना सुबह – शाम खाना खाने के बाद हल्के गर्म पानी के साथ खाए |
यदि सरीर में ग्रंथि बढ़ जाती है
तो इसका भी इलाज है इस प्रकार है :-
( सामाग्री )
१. शिलासिन्दूर - shilasindoor :- २ ग्राम
२. ताम्र भस्म - taamr bhasma :- १ ग्राम
३. मोतीपिष्टी - motipisti :- ४ ग्राम
४. प्रवाल पिष्टी – pravaal pisti :- १० ग्राम
५. गिलोय सत giloi sat :- २० ग्राम
ग्रंथि या गाँठ Tavcha Mein Gaanth |
उपरोक्त सभी औषधियों को आपस में
मिलाकर एक मिश्रण तैयार कर लें | इस मिश्रण को एक बराबर मात्रा में ६० पुड़ियाँ
यानि दो महीने की खुराक बना लें | और किसी डिब्बे में बंद करके सुरक्षित जगह पर रख
दें | रोजाना एक पुडिया सुबह नाश्ता करने से आधा घंटा पहले और एक पुडिया रात के
समय भोजन करने से आधा घंटा पहले खाएं | इस औषधि को ताज़े पानी , शहद या गाय के दूध
के साथ खाने से बहुत फायदा मिलेगा |
३. १. कांचनार गुग्गुलु – Kanchnaar Guggal :- ६० ग्राम
२. वृद्धिबाधिका वटी – vardhibadhika vati :- ४० ग्राम
अरोग्य्वार्धानी वटी – aarogyavardhani Vati :- ४० ग्राम
इस जड़ी – बूटी की दो – दो गोली प्रतिदिन सुबह के नाश्ते , रात के भोजन के
आधा घंटा पहले ताज़े पानी के साथ , शहद के साथ या फिर मलाई के साथ खाए | गाय के दूध के साथ खाने से विशेष लाभ मिलता है |
सामाग्री :-
१. गोधन अर्क ( godhan ark ) :- २० मिलीलीटर
२. धृतकुमारी ( dhrat kumari ) :- २० मिली लीटर
इन दोनों औषधियों को मिलाकर सुबह और शाम खाली पेट खाने से शरीर में तवचा में
पाई जाने वाली किसी भी प्रकार की गांठ दूर हो जाती है | इन सभी दवाइयों के साथ साथ
फिजिकल फिटनेस के लिए , और पसीना बहाने के लिए कसरत जरूर करे , शरीर से पसीना
निकले जिससे आपकी त्वचा के रोम छिद्र खुल जाये और बॉडी के अंदर की गंदगी बाहर निकल
जाये. इन सभी दवाइयों का प्रयोग करने
से पहले अपने सरीर की गाँठ की जांच जरूर करवाए और चिकित्सक की सलाह से ही अपने
शरीर की जरुरत के हिसाब से औषधि का प्रयोग करे .
Sareer mein
kisi bhi prakar ki gaanth ho skati hai iske ilaj ke liye hume diye gaye upayeon
ke anussar dwai leni chahiye, ye sabhi dwa lene se pahle kisi acche chikistsak
se salah jaroor kar leni uttam hogi, tavch ke ander gaanth kisi bhi karan ho
skati hai , inki jaanch ke baad hi apna ilaj karwana theek hoga , di gaye jadi
buti ka prayog karke aap inka ilaj karwa sakte hai .ye dwai aap khaali pet le . ausdhi lene ke
liye sadharan pani , honey ya sahad ka prayog kiya ja sakta hai .
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