इमली के पेड़ की जानकारीपूर्ण बाते :-
भूमिका :- इमली के पेड़ से भारत के सभी लोग परिचित है | इमली को अंग्रेजी भाषा में TAMARIND TREE के नाम से जाना जाता है | इमली का पेड़ काफी ऊँचा होता है | यह बहुत सघन होता है | छायादार होने के कारण इसे सड़क के किनारे लगाया जाता है | इमली को केवल खाने के रूप में ही नही प्रयोग किया जाता बल्कि इसमें कुछ औषधि गुण भी विद्यमान है | तो आज हम आपको इमली के गुणों के बारे में बता रहे है |
इमली का पेड़ |
इमली के गुण :- इमली को तीन रूपों में प्रयोग किया जाता है |
१. कच्ची इमली :- यह बहुत खट्टी होती है | इससे पित्त वात के रोग और कफ की बीमारी ठीक हो जाती है |
२. पकी हुई इमली :- इससे रुखी दस्तावर कफ और वात से जुडी हुई बीमारी ठीक हो जाती है |
३. बीज :-वीर्य के रोग , प्रमेह की बीमारी और संग्रही जैसी बीमारी ठीक हो जाती है |
इमली को कई नामों से जाना जाता है | जैसे :-
१. हिंदी में :- इमली
२. अरबी में :- तमर हिंदी
३. बंगाली में:- तेतुला
४. मराठी में :- चिंच
५. गुजरात में :- अम्ब्ली
इमली के औषधि गुण :-
1. मस्तक की पीड़ा :- इमली की 10 ग्राम की मात्रा को एक गिलास पानी में कुछ देर तक रख दें | जब इमली पूरी तरह भीग जाये तो इसे थोडा सा मल कर किसी कपड़े या छन्नी से छानकर रख लें | इसमें थोडा सा शक्कर भी मिला दें | इमली के इस पानी को पीने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है |
पकी हुई इमली |
2. कंठ की सुजन के लिए :- इमली की 6 ग्राम की मात्रा को कम से कम २ किलोग्राम पानी में उबाल लें | जब यह पानी आधा रह जाए तो इसे छानकर हल्का ठंडा होने के लिए रख दें | अब इसमें 10 ग्राम गुलाब जल मिलाकर कुल्ला करने से कंठ की सुजन दूर हो जाती है |
3. आँखों की सुजन के लिए :- इमली के फूलों की पट्टी आँखों पर बांधने से आंख की सुजन उतरती है |
4. गुहेरी का रोग :- आँखों की पलकों पर होने वाली फुंसी पर इमली के बीज को पानी के साथ घिसकर चंदन की तरह लगाने से गुहेरी ठीक हो जाती है |
अतिसार :- इमली के 5 से 10 ग्राम पत्ते को पीसकर उसका रस निकाल लें | इस रस को थोडा सा गर्म कर लें | इसे पीने से आमअतिसार ठीक हो जाता है |
इमली के 10 से 15 ग्राम पत्तों को 400 ग्राम पानी में पका लें | जब इस काढ़े का चौथा हिस्सा बच जाए तो से आंच से उतारकर ठंडा होनेके लिए रख दें | इसे पीने से मनुष्य का आमातिसार ठीक हो जाता है |
इमली के पुराने पेड़ की जड़ की छाल और काली मिर्च दोनों की एक समान मात्रा लेकर छाछ के साथ पीसकर मटर के आकार की गोलियां बना लें | रोजाना दिन में तीन बार एक या दो गोलुई लेने से आमातिसार जल्द ही ठीक हो जाता है |
इमली के बीजों को 15 ग्राम छिलके 6 ग्राम जीरा और इतना शक्कर डाले कि यह मिश्रण मीठा हो जाए | इन तीनों को बिल्कुल बारीक़ पीस लें | इस मिश्रण की एक दिन में कम से कम 4 बार फांकी लेने से पुराने से भी पुराना अतिसार ठीक हो जाता है |
इमली के फायदे |
रक्तार्श :- इमली के फूलों का रस 10 से २० ग्राम की मात्रा में तीन बार पीने से रक्तार्श ठीक हो जाता है |
उदर शूल :- इमली के पेड़ की छाल को सेंधा नमक के साथ मिलाकर एक मिटटी से बने बर्तन में जला दें | जलाने के बाद इसकी बची हुई सफेद राख़ की 125 मिलीग्राम की मात्रा की फंकी लेने से उदरशूल और अजीर्ण की समस्या दूर हो जाती है |
भूख ना लगने पर :- पके हुए इमली का पानी पीने से भूख बढ़ती है और आंतों में होने वाले घाव भी ठीक हो जाते है |
प्रवाहिका :- इमली की पत्तियों को बिल्कुल गर्म किये हुए लोहे से छोंक दें | इन छोंके हुए पत्तेकी 10 से २० ग्राम की मात्रा को एक दिन में कम से कम 2 या 3 बार लेने से प्रवाहिका का रोग मिटता है |
प्रमेह का रोग :- 250 ग्राम दूध में इमली की 125 ग्राम की मात्रा को तीन दिन तक भिगोकर रख दें | तीन दिन के बाद इसका छिलका उतारकर इसे साफ करके पीस लें | रोजाना सुबह और शाम के समय गाय के दूध से या ताज़े पानी से इसकी 6 ग्राम की मात्रा को लेने से प्रमेह का रोग ठीक हो जाता है |
दाद :- इमली के बीज को निम्बू के रस में बारीक़ करके पीस लें | इसे दाद वाले साथ पर लगा लें | इस लेप को लगाने से दाद ठीक हो जाता है |
पेड़ पर लटकती हुई इमली |
बहुमूत्र :- इमली के बीज की 10 ग्राम की मात्रा को सुबह के समय पानी में भिगोकर रख दें | रात को बीजों का छिलका उतारकर इसके अंदर के सफेद भाग जिसे मींगी कहते है उसे गाय के दूध के साथ लेने से यह बमारी दूर हो जाती है |
वीर्यवर्धक :-
इमली के बीजों को भुन लें | भूनने के बाद इसका छिलका उतारकर बारीक़ करके पीस लें | अब इसमें मिश्री मिला दें | (ध्यान रहे कि मिश्री उतनी ही मात्रा में मिलाना है जितनी बीज के चूर्ण की मात्रा है | ) इस मिश्रण को एक दिन में कम से कम तीन बार दूध के साथ लेने से वीर्य का पतलापन दूर हो जाता है |
इमली के चिएं की 10 ग्राम की मात्रा को पानी में चार दिन तक भिगोकर रख दें | चार दिन के बाद इसका छलका उतार लें | अब इसमें गुड़ मिलाकर चने के आकार की गोलियां बनाकर रोजाना रात के समय एक या दो गोली खाने से भी वीर्य बढ़ता है |
इमली के बीजो को भूनकर उसका छिलका उतार लें और उसे बारीक़ करके पीस लें | अब इसमें मिश्री मिला दें | 15 दिन तक लगातार इस मिश्रण का सेवन करने से मूत्र दाह का रोग ठीक हो जाता है |
मोच :- यदि मनुष्य के किसी भी अंग में मोच आ जाती है तो इमली के पत्तों को पीसकर उसे गुनगुना कर लें | अब इसे मोच वाले स्थान पर लगा लें | इस किर्या से मोच में तुरंत आराम हो जाता है |
जल जाने पर :- मीठे तेल के साथ मली की छाल का पिसा हुआ चूर्ण लगाने से जले हुए घाव शीघ्र ही भर जाते है |
फोड़े और फुंसियाँ :- इमली के पेड़ की 10 ग्राम पत्तियों को थोडा सा गर्म कर लें | इन गर्म पत्तों को फोड़ों पर बांधने से फोड़ा पककर जल्द ही फूट जाता है |
सफेद दाग के लिए :- इमली के बीजों को भिगोकर रख दें | अब इसका छिलका उतार लें | बीजों के सफेद वाले हिस्से को बावची के साथ मिलाकर बारीक़ करके पीस लें | इसे किसी लकड़ी के साथ सफेद दाग पर लगायें | सफेद दाग ठीक हो जाता है |
लू लगने पर :- इमली के फल के गुदे को ठन्डे पानी में पीस कर मुंडे हुए सिर पर लगाने से लू का प्रभाव कम हो जाता है और साथ ही साथ इससे मूर्च्छा भी मिटती है |
· पकी हुई इमली के पानी में मसल लें | इस पानी में कपड़े को भिगोकर कुछ देर तक शरीर को पोछते रहे | इससे लू का असर समाप्त हो जाता है |
सूजन के लिए :- इमली के पत्तों को सुजन वाले स्थान पर बांधने से सूजन का प्रभाव कम हो जाता है |
पित विकार :- 10 ग्राम इमली और २० ग्राम छुहारों को कम से कम एक किलोग्राम दूध में उबालकर छान लें | इस दूध को पीने से बुखार और घबराहट ठीक हो जाती है |
·इमली के नर्म नर्म पत्तों और फूलों की सब्जी बनाकर खाने से पित विकार मिट जाता है |
· इमली और मिश्री का शरबत बनाकर पीने से हृदय की जलन मिट जाती है |
पितज ज्वर :- एक गिलास पानी में 25 ग्राम इमली को भिगोकर रख दें | अगले दिन इसी पानी से निथार लें | इस पानी में थोडा सा बुरा मिलाकर इसबगोल के साथ पीने से पित्त ज्वर कम हो जाता है |
खट्टी मीठी इमली |
व्रण :- इमली के पत्तों का क्वाथ बनाकर व्रणों को धोने से यह रोग ठीक हो जाता है |
शीतला :- इमली के पत्तों और हल्दी से तैयार किया हुआ ठंडा शीतला की बीमारी में फायदेमंद होता है |
इमली के कुछ अन्य प्रयोग :- पुरानी इमली का एक किलो गुदा निकालकर इसे दो गुना जल में भिगोकर रख दें | अगले दिन सुबह इसे आंच पर दो या तीन उबाल देने पर उतार दें | ठंडा होने प[र इसे हाथ से मसलकर छान लें | इसके बाद दो किलो खांड मिलाकर चाशनी बन लें | गर्म चाशनी को ठंडा करके किसी बोतल में भरकर रख दें | इसे तीन – तीन घंटे के अंतर पर खाने से वमन , शराब का नशा पित्त , लू , तृष्णा , अजीर्ण , और मन्दाग्नि का रोग ठीक हो जाता है |
· इसके बीज की भस्म की १ से २ ग्राम की मात्रा को दही के साथ चाटने से रक्तार्श का रोग मिटता है |
इमली का खट्टा मीठा पौधा | Imli Ka
Khtta Mitha Poudha | Imli Ke Fayde, Imli Ka Ek
Aushdhi Ke Rup Mein Pryog , Imli Se Anek
Bimari Ka Ilaj |
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