मेघालय :- यह
भारत के उत्तर पूर्व राज्य में से एक है | इसके उत्तर दिशा में असम है जो कि
ब्रह्मपुत्र नदी से विभाजित होती है | इसके दक्षिण दिशा में बंगलादेश है | पहले
मेघालय असम राज्य का हिस्सा था लेकिन बाद में इसे एक अलग राज्य बना दिया गया |
इसकी राजधानी शिलांग है | यह एक खुबसुरत शहर है |
मेघो का घर है मेघालय |
मेघालय की जलवायु उपोष्ण और आद्र
है | इस स्थान पर वार्षिक बारिश 1200 सेंटीमीटर तक होती है | इसी वजह से इसे गीला
राज्य कहा जाता है | मेघालय की राजधानी शिलांग के दक्षिण दिशा में चेरापूंजी नामक
एक स्थान है जंहा पर विश्व की सबसे अधिक बारिश होती है | हाल ही में इस स्थान का नाम सोहरा रख दिया गया
है | यह शिलांग से 60 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है | शिलांग पर्यटकों के लिए एक
आकर्षण का केंद्र रहा है | इसे भारत का skotland भी कहा जाता है | अनेकों पहाड़ियों
से घिरा हुआ यह शहर पहले असम की राजधानी हुआ करती थी | लेकिन विभाजन के बाद इसे मेघालय
की राजधानी बना दिया गया | यंहा का मौसम हमेशा मन को लुभाने वाला होता है | जब
यंहा मानसून आता है तो चारों और खूबसूरती के नजारे दिखाई देने लगते है | यंहा के
आस – पास के झरने में एक अलग सा आकर्षण होता है | इसके आलावा यंहा अनेक घूमने के
स्थान है जिसमे से कुछ के नाम निम्नलिखित है |
मेघालय के जंगल |
वार्ड्स लेक
लेडी हैदरी उद्यान
3. हाथी झरना
4. उमियाम झील
5. शिलाग की पर्वत चोटी |
शिलांग की
पर्वत चोटी से इस सुंदर शहर का द्रश्य साफ – साफ दिखाई देता है | इस स्थान पर
गोल्फ कोर्स के मैदान भी उपस्थित है | शिलांग का प्रक्रितक परिवेश इतना सुंदर है
कि यंहा आप अपना सारा साल मोज मस्ती में बिता सकते है | शिलांग एक ऐसा पर्यटन स्थल
है जंहा आप अधिक पैदल नही चलते | शिलांग की हसी वादियों को देखने के लिए , खुशहाल
लोगों की जीवनशैली के बारे में जानने के लिए , पर्वत , घाटियों के सुंदर दृश्य को
देखने के लिए , दलदल और मनोरम द्रश्य देखने के लिए अनेक सुविधायें मौजूद है |
यंहा के
रहने वाले लोगों का जीवन :- मेघालय की राजधानी शिलांग में अधिकतर खासी जाति के लोग
रहते है | ये लोग इसाई धर्म को मानते है | इस जनजाति के बारे में एक विशेष बात यह
है कि महिला को घर का मुखिया माना जाता है | जबकि पुरे भारत में पुरुष को परिवार
का मुखिया कहा जाता है | इस जाति की सबसे बड़ी लडकी को पूरी जमीन जायदाद का मालिक
बनाया जाता है | यंहा के वासी माँ के उपनाम को बच्चे अपने नाम के आगे लगाते है |
इस जाति के रीती रिवाज दुनिया से हटकर है |
मेघालय की झील |
मेघालय में
उपस्थित बड़ी – बड़ी झील :- यंहा पर अनेक बड़ी – बड़ी झील है | जिसका सुंदर नजारा
देखकर आप सम्मोहित हो जायेंगे | चारों और हरी भरी पहाड़ियाँ ही पहाड़ियाँ है | जिसे
दूर से दूर सैलानी देखने के लिए आते है | इसके आलावा यंहा छोटी – छोटी झीलें है |
जिसका पानी हमेशा कलकल करता हुआ नजर आत है | घने जंगल और बंगला देश की सीमा पास –
पास है इसलिए यंहा की जगह को लोग गुप्तवास के लिए प्रयोग करते है | यंहा के लोग
अपना जीवन रंग –बिरंगे तरीके से जीते है और साथ ही साथ अपनी परम्पराओं को सही तरह
से निभाते है |
नोकरेक नेशनल पार्क |
नोकरेक
नेशनल पार्क :- गोरो पहाड़ी जिले में एक बहुत ही खुबसुरत इलाका है जिसे नोकरेक
नेशनल पार्क के नाम से जाना जाता है | यह पार्क शिलांग से 45 किलोमीटर की दुरी पर
स्थित है | यह पार्क गोरो पहाड़ी के ऊँचे बिंदु पर स्थित है | इस स्थान पर अनेक
प्रकार के वन्यजीव देखने को मिलते है | यंहा पर हाथी और हु लाक गिब्ब्स अधिक
मात्रा में दिखाई देंगे |
इस पार्क के
आस – पास पाए जाने वाले जंगली जानवर , दुर्लभ पक्षी आदि के संरक्षण के लिए ही इस पार्क
का निर्माण किया गया था | इस पार्क में सिट्रिस इंडिका की सबसे दुर्लभ प्रजाति पाई
जाती है | इसका नाम मेमांग है | इस पार्क के आस – पास जंगली मनुष्य को देखा गया है
| इसलिए इसे जंगली मनुष्य का घर माना जाता है | ये मनुष्य किसी भी जानवर को नुकसान
नही पंहुचाते | गाँव शहर से दूर ये अपना जीवन अलग बिताते है |
हाथी झरना |
हाथी झरना
:- इसे एलिफेंट फाल के नाम से भी जाना जाता है | यह शहर से 8 किलोमीटर की दुरी पर
स्थित है | यह एक अत्यंत खुबसुरत पर्यटन स्थल है | माना जाता है है जिस चट्टान से
पानी गिरता है वह हाथी से मिलता - जुलता है | लेकिन सन 1817 में यंहा
एक भयंकर भूकंप आया था जिसके कारण इस चट्टान का कुछ भाग नष्ट हो गया था | इस झरने
की एक खास बात है जो इसकी विशेषता प्रकट करता है | इसके काले चट्टान के ऊपर से एक
दुधिया पानी बहता है | इसके आलावा इस स्थान पर पौधे की अनेक प्रजातियाँ पाई जाती
है |
बालपकराम नेशनल
पार्क :- यह तुरा से 167 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है | इस पार्क को स्थानीय लोग
लेसर पांडा के नाम से जानते है | इस स्थान को दुनिया की सबसे दुर्लभ प्रजाति लाल
पांडा पाया जाता है | इसके आलावा इस स्थान पर बाघ , हाथी , काले भालू , चीते
साम्भर और हिरण आदि के साथ और भी कई वन्यजीव एक साथ रहते है | यह पार्क लगभग 220
वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है | यह पार्क गोरो पहाड़ी और सिमसेंग नदी
से जुड़ा हुआ है |
नेशनल पार्क |
मेघालय में अनेक
गुफाएं , पर्वत शिखर , पार्क झील – रिजोर्ट , गर्म पानी के स्त्रोत , और जलप्रपात
स्थित है | ये सभी घूमने – फिरने के लिए मुख्य स्थान है | यंहा के दृश्य इतने
खुबसुरत है कि इस स्थान से आपका जाने का बिल्कुल भी मन नही करेगा | यंहा पर
गिरजाघर मैदान भी है |
मेघालय के
त्यौहार :- मेघालय के जनजाति खासियों का त्यौहार प्रमुख पांबलांग नोंगक्रेम है | इस
त्यौहार को पांच दिन तक मनाया जाता है | इस त्यौहार को शिलांग से 11 किलोमीटर की
दुरी पर स्थित सिम्त नामक गाँव में अधिक धूम – धाम से मनाया जाता है | इस त्यौहार
के आलावा शाद सुक मिनसिम भी इन लोगो का मुख्य त्यौहार है | यह त्यौहार हर साल अप्रैल
महीने के दुसरे हफ्ते में मनाया जाता है |
मेघालय का त्यौहार |
यंहा के
आदिवासियों का मुख्य त्यौहार बेह्दीनखलम है | यह त्यौहार आदिवासियों का एक
महत्वपूर्ण त्यौहार है | इस त्यौहार को जुलाई माह में जयंतिया पहाड़ी पर रहने वाले जोवाई
कस्बे के आदिवासी के लोग मनाते है | ये आदिवासी सलजोंग नामक देवता की पूजा करते है
| इस देवता को सूर्य देवता माना जाता है | इस त्यौहार को एक हफ्ते तक मनाया जाता
है |
मेघालय या
शिलांग तक जाने का रास्ता :-
यंहा पर आप
रेल मार्ग के द्वारा नही जा सकते | क्योंकि इस स्थान पर किसी भी प्रकार की रेल
सेवा मौजूद नही है |
Meghalaya Ke Sundr Drishay |
सड़क मार्ग
:- मेघालय तक पंहुचने के लिए आपको सड़क का 6022 किलोमीटर की दुरी तय करनी पड़ेगी | यंहा
तक जाने के लिए कच्ची और पक्की सड़कों का उपयोग करना पड़ता है |
इसके रास्ते
में मुख्य रूप से छ: राज्य मार्ग आते है |
वायु
मार्ग :- मेघालय या शिलांग जाने वाले वायु
मार्ग का उपयोग कर सकते है | इस मार्ग से जाने में कम समय लगता है और हम आसानी से
मेघालय पंहुच जाते है |
मेघालय में
एकमात्र हवाईअड्डा है जिसका नाम उमरोई है | यह शिलांग से 35किलोमीटर की दुरी पर
स्थित है |
मेघो का घर है मेघालय,Meghon
Ka Ghar Meghalaya| Meghalaya Mein Ghumne Ka Sthan , Meghalaya Ke
Sundr Drishay, Meghalaya Mein Sthit Khubsurt Park, Jhil |
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