धनिये कि फसल में लगने वाले कीट और उसकी रोकथाम
के उपाय :-
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चेम्पा :- चेम्पा नामक कीट इसकी फसल पर सबसे पहले आक्रमण करता है |जब इसके पौधे
पर फूल निकलने लगते है तो इस कीट का कुप्रभाव पौधे पर पड़ने लगता है | यह कीट पौधे
के कोमल भागों का रस चूस लेता है | जिसके कारन पौधा सुख जाता है | इसकी रोकथाम
करने के लिए एक उपाय है जो बहुत ही साधारण और सस्ता है|
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रोकथाम
का उपाय :- नीम के तेल में
गौमूत्र को मिलाकर एक अच्छा सा मिश्रण तैयार करें | इस मिश्रण को किसी पम्प में
भरकर फसलों पर छिडकाव करें | इससे चेम्पा नामक कीटों का कुप्रभाव दूर हो जाता है |
धनिये कि फसल में लगने वाले कीट |
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पौधे
में लगने वाली बीमारी :- हरे
धनिये की फसल में बहुत सारे रोगों का प्रभाव होता है| जिससे पौधे कि विरधी और विकास रुक जाता है और
उत्पादन कम होता है | यदि पौधे में किसी भी प्रकार कि बीमारी हो जाती है तो इसकी
गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है | इसलिए हमे धनिये कि फसल को रोगमुक्त बनाना चाहिए |
धनिये कि फसल में उकठा नामक रोग बहुत जल्दी ही लग जाता है | जिसकी रोकथाम करना
जरूरी होता है |
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उकठा :-
जब यह बीमारी पौधे में लग जाती है तो पौधे
कि वृद्धि और विकास रुक जाती है और पौधा मुरझा जाता है | यह हरे धनिये के पौधे में
लगने वाला सबसे भयंकर बीमारी होती है | इसकी
रोकने के लिए निम्न उपाय करना चाहिए |
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उपाय :-
पौधे को बीमारी से बचाने के लिए उचित फसल
चक्र का उपयोग करना चाहिए | इसके आलावा बीजों को उपचारित करके बोये ताकि पौधे में
बीज से सम्बन्धित कोई बीमारी ना हो | गर्मियों के मौसम में बुआई करने से पहले खेत
कि गहरी जुताई करनी चाहिये |
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तना
व्रण :- इस बीमारी में पौधे
का उपर वाला भाग प्रभावित होता है | यह धनिये कि फसल को खराब करने वाला खतरनाक रोग
है | इससे पौधा सुखकर भूमि पर गिर जाता है | पौधे को इस बीमारी से बचाने के लिए
निम्न उपाय करने चाहिए |
Dhaniye Ki Fasal mein Lagne Vale Kit Aur Uski Roktham |
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उपाय :- बीजों को उपचारित करके बुआई करनी चाहिए | इसके
लिए नीम के तेल या गौमूत्र में बीजों को उपचारित करें | समय – समय पर फसलों पर
कीटनाशक दवाओं का छिडकाव करना चाहिए |
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धनिये
की फसल को पाले से बचाने के लिए :- धनिये की फसल को पाला पड़ने से बहुत हानि होती है | इसलिए जिस समय पाला
गिरने लगता है उस समय खेत में पानी से हल्की सी सिंचाई करके रात के समय चारों तरफ़
धुआं करके इसकी फसल को पाले से बचाया जा सकता है | इसके आलावा गोबर से बने उपले की
राख को फसल पर छिडक दें इससे भी फसलों को पाले के कहर से बचाया जा सकता है | गोबर
के उपले की राख गाँव के भागों में आसानी से मिल जाती है |
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नीम का
काढ़ा बनाना :- नीम के पेड़ कि 25
किलोग्राम पत्तियों को तोड्कर उसे पीसकर ५० लीटर पानी में डालकर एक मिश्रण तैयार
करें | इस मिश्रण को मंद अग्नि पर पकाएं | पकते – पकते जब पानी की मात्रा आधी शेष
रह जाये तो इसे आंच से उतारकर ठंडा होने के लिए रख दें | इस काढ़े के आधे लीटर कि मात्रा को एक लीटर पानी
में मिलाकर पम्प की मदद से फसलों पर
छिडकाव करें|
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गौमूत्र
को किस प्रकार से प्रयोग करें :- 10 लीटर
देसी गाय के मूत्र को किसी प्लास्टिक या कांच के बर्तन में डालकर 10 से 15 दिन तक
धुप में रख दें | जब यह मूत्र पुराना हो जाता है तो इसकी आधे लीटर कि मात्रा में
एक लीटर पानी मिलाकर पम्प में डाल दें और फसलों पर छिडकाव करें |
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फसल के
पकने के बाद कटाई :- जब
धनिये की फसल में फूल आना बंद हो जाये और बीजों का रंग भूरा हो जाये तो यह फसल
पककर तैयार ही जाती है | इस समय हम इसकी कटाई कर सकते है | वैसे धनिये कि फसल 90
से 100 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है |
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भंडाराण
करने के लिए :- धनिये की कटाई करने
के बाद इसकी फसल को खलियानों मे छाया में सुखाना चाहिए | जब धनिया अच्छी तरीके से सुख
जाये तो इसमें से दानो को अलग करके साफ कर लिया जाता है |दानो कि सफाई करने के बाद
इन्हें सुखाकर बोरियों में भर लिया जाता है | और भंडारगृह में रख दिया जाता है |
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उपज की
प्राप्ति :- धनिये कि खेती करने
से हमे एक हेक्टेयर भूमि पर से 15 से 18 किवंटल तक कि अच्छी उपज मिल जाती है | लेकिन
धनिये की और भी अच्छी उपज लेने के लिए हमे इसकी देखभाल अच्छी तरीके से करनी चाहिए,
भूमि में उर्वरक शक्ति होनी चाहिए और केवल
उन्नत किस्म के बीजों का ही चयन करना चाहिए |
इस प्रकार कि विधि
का उपयोग करके आप धनिये कि अच्छी और लाभदायक फसल प्राप्त कर सकते है |
Goumutra Or Neem Ka Dhanie ke Khet Mein Kaise Prayog Karen |
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