लेमन ग्रास की उन्नत खेती करने का तरीका :-
लेमन ग्रास की खेती करने से पहले इसके
फायदे के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातों की जानकारी दे रहे है | लेमन ग्रास को निम्बू के ग्रास के नाम से भी
जाना जाता है | इसे और भी नाम से जाना जाता है | जैसे :- च्याना ग्रास ,भारतीय
निम्बू घास , मालाबार घास या कोचीन घास आदि | इसका वैज्ञानिक नाम सिम्बेपोगोन
फल्कसुओसस के नाम से पहचान मिली है | लेमन
ग्रास को मुख्य रूप से उत्तर भारत में उगाया जाता है | निम्बू घास कि पत्तियों का
ही प्रयोग किया जाता है | इसकी
पत्तियों को चाय में डालकर पीया जाता है | क्योकि इसकी पत्तियों में एक खट्टी –मीठी तिक्षण गंध आती है | चाय बनाते समय
लेमन ग्रास कि पत्तियों को डालकर उबाल लें | इसको पीने से शरीर में ताजगी महसूस
होती है और साथ ही साथ सर्दी आदि से भी राहत मिलती है | लेमन ग्रास में
एंटीओक्सिडेंट और जीवाणुरोधी नामक कुछ तत्व पाए जाते है | इसलिए इसका सेवन करने से
किसी भी प्रकार के दर्द से निजात मिलती है | लेमन ग्रास से बनी हुई हरी चाय में
रोगों से लड़ने कि क्षमता होती है | यह हमारे शरीर में उपस्थित विषाक्त पदार्थों को
बाहर निकलाता है | लेमन ग्रास की खेती केरल , कर्नाटक , तमिलनाडू , बंगाल , उत्तर
प्रदेश , आसाम और राजस्थान के कुछ हिस्से में कि जाती है | इसके आलावा डुंगरपुर
बांसवाडा और प्रतापगढ़ इसकी खेती के लिए उपयुक्त हिस्से है | इन स्थानों पर यह
प्राक्रतिक रूप से पैदा हो जाती है |
लेमन ग्रास की विशेष खेती कैसे करें |
· लेमन ग्रास की खेती करने के लिए उपयुक्त स्थान :- लेमन ग्रास को 100 से 1200 मीटर कि ऊंचाई के
बीच पर उगाया जाता है | इस फसल को पहाड़ी भागों में अच्छी तरह से उगाया जाता है |
इसकी अच्छी पैदावार और गुणवत्ता से भरी हुई उपज लेने के लिए इसे दोमट मिटटी में या
गरीब लेटेराइट मिटटी का चुनाव करना चाहिए | समुन्द्र तट के उपरी भागों में भी इसकी
सफलतापूर्वक खेती कि जाती है |
· लेमन ग्रास की खेती करने के लिए उपयुक्त जलवायु :- लेमन ग्रास की खेती करने के लिए गर्म और आद्र
जलवायु कि अवश्यकता होती है | इसकी फसल में 250 से 300 सेंटीमीटर की वार्षिक वर्षा का होना
बहुत जरूरी है | लेमन ग्रास कि फसल पर सूखे का कोई प्रभाव नहीं पड़ता | इसके लिए
उच्च तापमान और धूप की आवश्यकता है | लेमन ग्रास का पहाड़ी भागों में अधिक फैलाव
होता है | इन स्थानों पर इसकी कटाई एक से अधिक बार कि जाती है | यहाँ का मौसम इसकी
खेती के लिय अनुकूल है |
·
लेमन
ग्रास की नर्सरी तैयार करना :- लेमन
ग्रास कि प्रतिरोपित फसल के रूप में खेती की जाती है | क्योंकि यह फसल घास के रूप में बोई जाती
है | इसमें अच्छे किस्म के बीजों कि बुआई करनी पड़ती है | बारिश के मौसम के शुरुआत
में या अप्रैल , मई के महीने में इसकी नर्सरी तैयार कर लेनी चाहिए | बीज
की बुआई के बाद इस पर एक पतली मिटटी कि
परत चढ़ा देनी चाहिए | यदि नर्सरी में बारिश के पानी की कमी होती है तो हजारे कि
सहायता से नर्सरी में सिंचाई करें | बीजों के
अंकुरण में 5 से 6 दिन का समय लगता
है | जब पौधे कि आयु ५० दिन की हो जाती है
तो इसकी खेतों में रोपाई कर देनी चाहिए |
·
लेमन ग्रास कि खेती करने के लिए
बीज की मात्रा :- इसकी खेती करने के लिए एक हेक्टेयर भूमि पर कम से कम 10 से 12
किलोग्राम बीज कि मात्रा पर्याप्त होती है |
· रोपाई करने का तरीका :- लेमन ग्रास की कतारों में रोपाई करें | कतारों
को बनाते समय इसकी दुरी का ध्यान रखे | एक कतार से दुसरे कतार कि बीच कि दुरी लगभग
५० से ६० सेंटीमीटर की रखे और पौधे से पौधे कि दुरी ७० सेंटीमीटर कि रखे | इससे
पौधे का अच्छी तरह से विकास और वृद्धि होती है| यदि बारिश अच्छी होती है तो इससे हमे अधिक उपज
कि प्राप्ति होती है |
· लेमन ग्रास कि फसल में उपयोग की जाने वाली खाद और
उर्वरक :- लेमन ग्रास की
अच्छी पैदावार के लिए खेत को तैयार करने से पहले सड़ी हुई गोबर की खाद और आर्गनिक
खाद को मिटटी में मिला दें और खेत कि
जुताई करें | इससे खाद और मिटटी आपस में अच्छी तरह से मिक्स हो जाएगी | इसके बाद
ही खेत में रोपाई करें | लेमन ग्रास को हर तरह कि उपजाऊ मिटटी में उगाया जा सकता
है | लेकिन इसमें 10 टन लकड़ी कि राख़ को मिला दिया जाये तो हमे बेहतर और
उत्त्साहपूर्ण परिणाम प्राप्त हो सकते है | लेमन ग्रास की वृद्धि के समय हमे इसकी
फसल में नाइट्रोजन और पौटेशियम कि पर्याप्त मात्रा का उपयोग करना चाहिए |
Lemon Gras ki Vishesh Kheti kaise Karen |
· सिंचाई करने का तरीका :- इसकी फसल में अधिक सिंचाई की जरूरत होती है |
यदि बारिश अच्छी होती है तो इसकी फसल में सिंचाई की कोई आवश्कता नही है | लेकिन
बारिश ना होने कि स्थिति में इसकी समय –
समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए | जन भागों में एक समान रूप से बारिश नहीं होती उन
भागों में हम सिंचाई के माध्यम से इसकी अच्छी उपज प्राप्त कर सकते है |यह इसकी
सबसे बड़ी विशेषता है |
· खरपतवार को दूर करने के लिए :- लेमन ग्रास की फसल में अनचाहे छोटे – छोटे
खरपतवार निकल ही जाते है | ये खरपतवार मिटटी कि गुणवत्ता और उपज पर विपरीत प्रभाव
डालती है | इनको हटाने के लिए हमे निराई –
गुड़ाई करनी चाहिए | इसकी फसल में एक साल
में दो या तीन बार निराई और गुड़ाई करना महत्वपूर्ण है |
· कीट की रोकथाम करने के लिए :- लेमन ग्रास की फसल में कई कीट और बीमारियाँ लग
जाते है | लेकिन लेमन ग्रास को मुख्य रूप से चिलोत्रेए जाति के कीट के प्रभाव अधिक
देखने को मिलता है | यह कीट कमला सफेद रंग का होता है और इसके सिर काले रंग का
होता है | .इस कीट के पूरे शरीर पर काले रंग के धब्बे होते है | यह कीट लेमन ग्रास
के अगले नुकीले भाग पर हमला करता है | जब पौधे पर इस कीट का कुप्रभाव पड़ता है तो
सबसे पहले पत्तियों के बीच का हिस्सा सुख जाता है | इसके बाद धीरे – धीरे पूरा
पत्ता सुख जाता है | जिससे लेमन ग्रास कि उपज में भारी कमी हो जाती है | पौधे को
इस कीट के कुप्रभाव से बचाने के लिए इस पर नीम की पत्तियों का काढ़ा बना लें | और
इस काढ़े में पर्याप्त मात्रा में पानी मिलाकर फसलों पर छिडकाव करें | पौधे में लगे
हुए कीट मरकर भूमि पर गिर जाते है |
· लेमन ग्रास के उपयोग :- लेमन ग्रास को भोजन में जायके को बढ़ाने के लिए
उपयोग किया जाता है | इसके आलावा सुन्दरता को बढ़ाने के लिए और इत्र , तेल कि एक
छोटी राशी के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है | लेमन ग्रास से साबुन और
डिटर्जेंट भी बनाया जाता है | जिसे आमतौर पर लोग अपने घरों में उपयोग करते है |
1.लेमन ग्रास को मुख्य रूप से चाय के रूप में
प्रयोग किया जाता है और साथ ही साथ इसे नहाने के पानी में डालकर भी प्रयोग किया
जाता है | कुछ देशों में लेमन घास को भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसका
इस्तेमाल चिकन मसालें के रूप में करते है |
2.निम्बू कि सुंगंध लिए लेमन ग्रास में एक जबरदस्त
औषधि गुण पाए जाते है | जो शरीर के लिए फायदेमंद होती है | यह बाजार में हमे बड़ी
ही आसानी से मिल जाती है |
3.लेमन ग्रास की आसवन विधि करने के बाद जो बचा हुआ
अवशेष होता है उसे इंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है | इसके आलावा लेमोग्रास की
पत्तियों से कागज भी तैयार किये जाते है | यह खाद का अच्छा स्त्रोत है | इसलिए
इसका उपयोग खाद के रूप में किया जाता है | इसकी रख को पानी के बहाव को रोकने के
लिए एक बांध के रूप में प्रयोग किया जाता है |
· टपकाव :- लेमन ग्रास से हमे एक अच्छी गुणवत्ता वाला तेल
प्राप्त होता है |इसका तेल हमे आसवन विधि के द्वारा प्राप्त होता है | लेमन ग्रास
को लम्बाई में छोटा काटे और कते हुए घास को द्रढ़ता से पैक करें | इसके बाद १ बोयलर में 32 किलो दबाव से भांप के
द्वारा दबाव देकर गुजारें | इस प्रक्रिया से हमे अधिक उपज से अच्छे तेल कि प्राप्ति
होती है | जिसका उपयोग दुसरे देशों में कई रूपों में किया जाता है |
आप द्वारा लेमन के खेती की ओर ध्यान आकर्षित किये जाने से बेरोजगारी समाप्त करनें में योगदान साबित हो रहा है यह प्रयास शायद पहली बार देखनें को मिला है .
ReplyDeleteSir iska beej kaha se prapt hoga aur iski fasal ko kense becha ja sakta hai
ReplyDeleteCall me far lemongrass cultivation
DeleteLemon grass ka oil Mentha ke tel nikalne bale plant se nikal sakte hai kya
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