वर्ण
ग्रन्थि, गलगण्ड , नारू के रोग :-
आक
के पौधे की बिना पत्तो की टहनी को कूटकर इसका छिलका अलग कर ले । और इस छिलके की ४०-५०
ग्राम की मात्रा को लेकर रगड़ कर इसकी टिकिया बना के किसी करछी में गर्म कर ले । फिर इसे वर्ण वाले स्थान पर लगायें । २-३
बार लगाने से शोथ युक्त वर्णो से छुटकारा मिल जाता है ।
2. आक के पौधे की जड़ की छाल को सुखाकर उसे बारीक़ करके पीस ले । वर्ण वाली जगह जिसमे से मवाद निकलता हो , सड़ने
के कारण बदबू आती हो इस बारीक़ चूर्ण की २-५
ग्राम की मात्रा में लेकर उस स्थान पर छिड़क दे । और इस पर कपूर , सिंदूर
और राल का तैयार किया हुआ मलहम लगाये । इस उपचार को लगातार ३-४
दिन करने से सड़ा हुआ मांस निकल जाता है और घाव जल्दी भर कर ठीक हो जाते है ।
2. सामग्री :-
1.
आक के पत्तो का रस = १ किलो
2. कच्ची हल्दी का रस
= १२५ ग्राम
3. तिल का तेल
= २५०
ग्राम
ऊपर
लिखी सामग्रियों को मिलाकर धीमी - धीमी
आंच पर पकने के लिए रख दे । जब यह मिश्रण पक जाये और सिर्फ तेल रह जाये । तो इसे छान कर रख ले । और इसे वर्ण , बिगड़े
हुए फोड़ो पर लगाने से ये सब बीमारी ठीक हो जाती है |
आक
के पौधे की जड़ को सुखाकर बारीक़ पीस ले । फिर २ ग्राम चूर्ण में १० मिलीलीटर घी या नारियल का तेल मिलाकर घाव पर लगाने से व्रण वाले घाव ठीक हो जाते है । इसके आलावा गाय का घी और आक के पौधे का दूध बराबर मात्रा में मिलाकर एक दिन में ३-४
बार लगाने से वर्णो से जुडी हुई बीमारी ठीक हो जाती है ।
Aak ke Paudhe se Upchaar , Madar plant and use as Ayurvedic medicines for goitre or dracunculiasis |
बंद ग्रंथि - Dracunculiasis
आक
के पौधे के दूध में सफेद उशारेबन्द को थोड़ी मात्रा में मिलाकर दिन में ३-४
बार लेप लगाये । इस लेप को लगाने से कच्ची गाँठ बैठ जाती है । इस बीमारी को ठीक करने का एक और तरीका है जो इस प्रक़र है :- २
आक के पत्तो पर एरंड का तेल लगाकर इसे गर्म करके ग्रंथि पर बांधने से ग्रंथि फट जाती है या फिर बैठ जाती है|
नारू
आक
के पौधे के १० -१२
फूलो को पीस कर नारू वाले स्थान पर बांधने से यह रोग ठीक हो जाता है । इस पर हम आक का दूध भी लगा सकते है इससे नहरुवा निकल जाता है।
आक
के ७ पत्ते और ५० ग्राम गुड़ को मिलाकर कूट ले फिर इनकी छोटी आकार की गोलियाँ बना कर एक दिन में तीन बार ताज़े पानी के साथ खाये । इस उपचार से नारू की बीमारी ठीक हो जाती है ।
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