कुष्ठ
कुष्ठ
रोग दो प्रकार के होते है
1. कपाल
कुष्ठ 2. श्वेत कुष्ठ
कपाल
कुष्ठ को ठीक करने के लिए आक के दूध में ईख का रस मिलाकर लेप तैयार करे और इस लेप को कुष्ठ वाले स्थान पर लगाने से कपाल कुष्ठ ठीक हो सकता है
श्वेत कुष्ठ :-
इस
रोग में आक के पौधे का २० मिलीलीटर दूध में आधा ग्राम हरताल और ५ ग्राम बवाची मीलकर पीसकर बारीक़ चूर्ण करके लेप बना ले इस लेप को लगाने से श्वेत कुष्ठ ठीक हो जाता जाता है ।
कुष्ठ
रोग में जब हाथ पैरो की उंगलिया सूजन की वजह से मोटी हो गयी हो कानों की बालियाँ बेडौल हो गयी हो शरीर गलने लग गया हो तो ऐसी अवस्था में आक के पौधे की सुखी हुई जड़ की २ ग्राम की मात्रा ले और इसमें ४०० ग्राम पानी मिलाकर आग पर पकने के लिए रख दे जब यह पककर मात्र ५० ग्राम रह जाये तो इसे ताज़े पानी के साथ पी ले इससे कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है ।
2. आक के पौधे की जड़ को छाया में सूखने दे । सूखने के बाद जड़ को पीस कर बारीक़ पीस ले । लगभग २५० मिलीग्राम की मात्रा में चूर्ण ले और इसमें २५० मिलीग्राम शुंठी का चूर्ण मिला ले । इस मिश्रण को शहद के साथ एक दिन में कम से कम तीन बार खाये । और साथ ही साथ आक के जड़ की छाल को सिरके में मिलाकर बिल्कुल महीन करके लेप तैयार कर ले । इस तैयार लेप को कुष्ठ वाले स्थान पर लगाये । यह उपयोग बहुत समय तक करते रहे धीरे - धीरे
आराम मिलता रहेगा ।
3. आक के दूध की २५० - ३७५
मिलीग्राम की मात्रा को शहद के साथ एक दिन में तीन बार खाने से भी फायदा होता है |
4. आक के पौधे के १० -१५
फल को किसी मिट्टी के बर्तन में रखकर उसका मुह बंद कर दे और आग में रख दे । कुछ देर बाद आग में से निकल कर ठंडा कर दे । और जले हुए फल की रख में सरसो का तेल मिलाकर लगाने से गलने वाला कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है । इसके आलावा आक के फूलो को छाया में सुखाकर इसे बारीक़ चूर्ण बना ले । इस चूर्ण को लगभग आधा ग्राम की मात्रा में ताज़े पानी के साथ सुबह - शाम
खाने से कोढ़ का रोग ठीक हो जाता जाता है । यदि किसी का कोमल शरीर है तो उसे इस औषधि की मात्रा कम करके लेनी चाहिए । इस उपचार को कम से कम २-३
महीने करने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है ।
aak paudhe ki jad , आक के पौधे की जड़ |
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