दमा का रोग
क्या होता है :- दमा एक बहुत ही गंम्भीर रोग होता है | यह रोग हमारी साँस की
नलिकाओं से जुड़ा हुआ है | यह साँस की नलिकाओं को प्रभावित करता है | साँस नलिकाएं
फेफड़े से हवा को अंदर – बाहर करती है | आर आपको दमा है , तो साँस की नलिकाओं में
सूजन आ जाती है | यह सूजन नलिकाओं को बहुत प्रभावित करती है | और किसी भी बैचेन करने
वाली चीज को छुते ही गुस्सा आता है | जब साँस की नलिकाएं प्रभावित होती है , उनमे
संकुचन होता है | ऐसी परिस्थिति में आपके फेफड़े मे हवा की मात्रा कम हो जाती है | इससे
आपको खांसी , नाक बजना , छाती का कड़ा होना , रात के समय और सुबह के समय साँस लेने
में कठनाई होना | जैसे कुछ लक्षण दिखाई देते है | परन्तु इस रोग पर नियन्त्रण पाया
जा सकता है | इस रोग से पीड़ित व्यक्ति एक सामान्य जीवन जी सकता है | जब रोगी को
दमे का दौरा पड़ता है , तो उसकी साँस की नलिकाएं बंद हो सकती है | जिसके कारण शरीर
के दुसरे अंगों में ऑक्सीजन की पूर्ति बंद हो जाती है | यह चिकत्सा के रूप में
बेहद कष्टदायी स्थिति होती है | इस रोग में जब व्यक्ति को दौरा पड़ता है | तो
व्यक्ति की मौत भी हो सकती है | इसलिए अगर आपको दमा का रोग है तो , आपको नियमित
रूप से डॉक्टर से मिलना चाहिए | उनसे परामर्श लेकर इस रोग की रोकथाम करने के उपाय
पर अम्ल करना चाहिए | उचित दवाओं का उपयोग करना चाहिए | ताकि इस बीमारी पर
नियन्त्रण पाया जा सके |
दमा रोग होने
कारण :- दमा के रोग के बारे में आपको यह जानना बहुत जरूरी है कि यह रोग किन कारणों
से उत्पन्न होता है | इसके आलावा कुछ अन्य जानकारी का होना भी बहुत जरूरी है | कुछ
लोगों को व्यायाम करने से या विषाणु के संक्रमण होने पर दमा का दौरा पड़ता है |
Dma Ke Rog Ke Lakshan |
दमा होने के
बाद के कुछ कारण :- इस रोग जानवरों की स्किन से , बाल से या पंख के रोंय से होता
है |
डीमक जो कि
घरों में पाए जाते है |
तिलचट्टे से
|
पेड़ और घास
के पराग कणों से |
धुम्रपान
करने से | इसके आलावा वायु प्रदुषण के कारण |
ठंडी हवा
चलने से या मौसम में बदलाव होने के कारण |
धुल के कणों
से |
पेंट की
सुगंध से या रसोई की तीखी खुशबु से |
खुशबूदार
सामान से |
जरूरत से
अधिक रोना , हँसना , और तनावपूर्ण वातावरण में रहना |
एस्पिरिन और
अन्य दवाओं के उपयोग से |
खाद्य
पदार्थों में सफाईट जैसे सूखे फल,या पेय पदार्थ आदि |
संक्रमण से |
परिवार के
इतिहास से |
जो लोग
तम्बाकू या किसी चीज का धुम्रपान करने से या उस वातावरण में रहने से बच्चों को दमा
होने का खतरा बढ़ जाता है | अगर कोई गर्भवती स्त्री अपनी गर्भावस्था के समय धुएं से
भरे हुए वातावरण में रहती है | तो , उससे बच्चे को दमा होने का खतरा बढ़ जाता है |
Dama Ko Niyantrit Krne Ka Trika |
ये थे कुछ
कारण जिनसे दमा हो सकता है | इसके बाद बात करते है कि दमा के लक्षण क्या – क्या है
|
छींके आना|
इस रोग में
किसी भी समय में रोगी को साँस लेने में परेशानी हो सकती है |
रात के समय
या सुबह के समय तेज़ होता है |
ठंडी जगहों
में या व्यायाम करने से , या अधिक गर्मी से यह समस्या और भी बढ़ जाती है |
दमा के रोगी
को खांसी के साथ बलगम आता है या फिर सुखी खांसी होती है |
दमा के रोगी
को उचित प्रकार की दवाइयों का उपयोग करना चाहिए | जिससे आप इस बीमारी को रोक सकते
है |
इस रोग में रोगी को साँस फूलना आदि जैसे लक्षण
हो सकते है | इसके आलावा जब आप कोई काम तेज़ी से करते है , तो भी आपकी साँस फूलने
लगती है |
शरीर के अंदर
खिचाव होता है |
आज हमने आपको
दमा के लक्षणों और इस बीमारी के होने का कारण बताया है |
दमा के रोग की कुछ विशेष जानकारी ,Dma Ke Rog Kuch
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Sir i am suffered from asthma since two years please suggeat mw some home remedy
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