अजवायन / Ajwain Seeds / Carom Seeds
पुराने
समय से ही हमारे भारत में अजवायन का प्रयोग एक औषधि के रूप में किया जाता है । प्रसव के बाद महिलाओं को इसका सेवन विशेष तौर पर करवाया जाता है । इसके प्रयोग से खाना अच्छी तरह से पच जाता है । गर्भाशयशुद्ध हो जाता है और दर्द दूर हो जाता है । भूख ज्यादा लगती है । प्रसूति के बाद गर्भाशय में बदबूदार जलस्राव और किटाणुओ का प्रकोप होता है इसे दूर करने के लिए अजवायन के चूर्ण की पोटली बनाकर योनि में रखने से या अजवायन को पानी में उबालकर थोड़ा ठंडा करके योनि को धीरे - धीरे
धोये इससेगर्भाशय की सारी परेशानी ठीक हो जाती है । पाचन शक्ति को उचित प्रकार से चलाने के लिए इस औषधि का कोई जवाब नहीं है । अजवायन में चिरायते का कटुपौष्टिक गुण , काली
मिर्च का अग्नि दीपन गुण और हींग का वायु नाशक इसी कारण खा जाता है ।
एक अकेली अजवायन ही सैंकड़ो , हजारों प्रकार के अन्न को पचा सकता है । यदि किसी को दूध उचित प्रकार से नहीं पचता उसे दूध पीने के बाद थोड़ी से अजवायन खा लेनी चाहिए । और यदि कोई भी मिठई या गेंहू का आटा न पचता हो तो इसमें अजवायन का चूर्ण मिलाकर खाना चाहिए । अजवायन को थोड़ी सी अग्नि पर डालकर धुँआ लेने से शरीर का दर्द ठीक हो जाता है और पसीना आने के बाद शरीर शुद्ध हो जाता है । इसके आलावा शरीर में कहीं भी दर्द हो तो अजवायन को पानी में पीसकर लेप लगाये और धीरे से सेंक दें । इस प्रकार अजवायन के प्रयोग से शरीर का दर्द ठीक हो जाता है । अजवायन अनेक गुणों का खजाना है| ।
अजवायन
को अलग - अलग
स्थानों
पर अलग भाषा में अलग - अलग
नामों से जाना जाता है । जैसे :-
1. अंग्रेजी में
= अजोवन , Parsley, carom seeds
2. हिंदी भाषा में = अजवायन
3. संस्कृत भाषा में = यवानी , अजमोदिका , दिप्य्का
4. मराठी language में = ओवा
5. गुजराती भाषा में
= अजमो
6. तेलगु लैंग्वेज में = वामु
7. फ़ारसी लैंग्वेज में = नानख़ाह
8. पंजाबी bhasha में = अन्वाइन , जवेन
9. बंगाली लैंग्वेज में
= जोवान
अजवायन के पौधे की बाहरी संरचना :-
अजवायन
का पौधा एक से तीन फीट ऊँचा होता है । इसकी लकड़ी धारीदार व पतली लाइनों वाली होती
है। इस पौधे की शाखा चिकनी और पत्तों से ढके हुए होती है । इसके पत्ते दो या तीन भागो में विभक्त होते है । पत्ते के आखरी हिस्से की लम्बाई आधे से एक इंच की होती है और ये रेखा आकार के होते है । अजवायन के फूल का रंग हल्का गुलाबी या सफेद होता है । ये फूल एक ही जगह पर बहुत सारी संख्या होने के कारण एक छतरी का
रूप ले लेते है ।
अजवायन के फल अंडाकार भूरे रंग के सूक्ष्म और कांटेदार होते है । और इसकी लम्बाई आधे इंच की होती है । अजवायन के फल के दो भाग होते है प्रत्येक भाग में बीज होता है । इसके फूल फरवरी से अप्रैल में निकलते है और बाद में फल लगते है । और अजवायन का पौधा समाप्त हो जाता है ।
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