प्रमेह और शुक्रमेह की बीमारी का ईलाज
शुक्रमेह अक्सर शादी से पहले
पाया जाता है , इसका प्रमुख कारण सम्भोग की इच्छा मन ही मन करना और स्त्री के बारे
में सोचते रहने से होता है. जब हम सम्भोग नहीं करते परन्तु लिंग में उत्तेजना
पूर्ण होती है लिंग सख्त काफी टाइम तक रहता है , उस अवस्था में वीर्य का स्राव
धीरे धीरे बाहर की ओर होने लगता है. जब लिंग उत्तेजित होता है तो इसमें से पानी का
स्राव होता है जो की लिंग की नली को अंदर से गीला करता है ताकि उसमें से वीर्य का
स्राव सुगमता पूर्वक हो जाये.
इस बीमारी में वीर्य कभी पेशाब
के साथ या फिर कभी पेशाब से पहले या फिर बाद में निकलता है , कई बार साधारण
उत्तेजना में भी वीर्य पात होना आरम्भ हो जाता है
सावधानियां – शुक्रमेह रोग में हमें
सावधानी बरतनी जरूरी होती है, यदि इसमें सावधानी नहीं बरती जाती तो शरीर कमजोर
होने लगता है. सावधानी में ही हमारी सुरक्षा है.
१ कब्ज बिलकुल भी ना होने दे.
२ अधिक से अधिक पानी पीये .
३ मन को शांत रखे ,
४ बुरी संगत से दूर रहे व अश्लील
विडियो और पिक्चर न देखे.
५ जोर लगाकर शौच न करे ऐसा करने
से वीर्य पात हो सकता है.
६ तला हुआ भोजन न करे,
७ मसालेदार भोजन से दूर रहे.
सामग्री : -
सर्वकल्प क्वाथ (Sarv kalp kawath) : - १०० ग्रामवृक्कदोषहर क्वाथ (Vrakkdoshahar Kwath) : - २०० ग्राम
बनाने की विधि :- इन दोनों औषधियों को मिला ले |
फिर किसी बड़े बर्तन में कम से कम ४०० मिलीलीटर पानी की मात्रा लें | इसमें एक
चम्मच औषधि के मिश्रण को मिलाकर धीमी – धीमी आंच पर पकाएं | कुछ देर पकने के बाद
जब इसका पानी १०० मिलीलीटर रह जाए तो इसे छानकर खाली पेट पीये | इस प्रिक्रिया को
रोजाना सुबह और शाम के समय करें | इस औषधि के द्वारा बनाए हुए क्वाथ के साथ – साथ
दो – दो गोली गिलोयघन वटी की भी लें | इससे विशेष लाभ मिलेगा |
सामग्री : -
आंवला चूर्ण (amla churan) :- १०० ग्राम
वंग भस्म ( vang bhasma ) :- ५ ग्राम
प्रवाल पंचामृत (praval panchamrit) :- ५ ग्राम
ह्जरुल यहूद भस्म (hajrool yahood bhasma) :- ५ ग्राम
गिलोय सत (giloye sata ) :- २० ग्राम
इन सभी आयुर्वेदिक औषधियों को
मिलाकर एक मिश्रण बनाए | रोजाना इस मिश्रण की एक चम्मच की मात्रा को खाना
खाने से पहले फांकी लें | इस औषधि को ताज़े पानी के साथ , या शहद के साथ प्रयोग
करें |
सामग्री : -
गोक्षुरादि गुग्गुलु (Gokshuradi Guggal):- ६० ग्राम
चन्द्र प्रभा वटी (chandra prabha vati) :- ६० ग्राम
शिलाजीत रसायन वटी (Shilajeet rasayan vati):- ६० ग्राम
इन तीनो आयुर्वेदिक औषधि की एक – एक गोली दिन में कम से कम तीन बार खाना खाने
के बाद ताज़े पानी के साथ लें | इन सभी विधियों का प्रयोग करके हम शुक्रमेह और
प्रमेह की बीमारी को ठीक कर सकते है |
shukrameh or prameh rog ladko mein shaadi or marriage se pahle hoti hai , iska pramukh karan adhik uttejana or link mein tanaav ke karan hota hai , yedi ling mein kaafi der tak tanaav rahata hai, khyalon or imagine karne sapno mein sex karna , man hi man kisi ke saath sambhog karna khyalon or khwabo mein , ye iska pramukh karan hai, ashleel or nangi ladkiyon ki photo or video dekhne , sambhog story or sex ki kahaniya sunna ityadi iske pramukh karan hai , shukrameh or prameh ki bimari mein virya urine ke saath saath ya phir pahle ya baad mein nikalta hai , jab kabj hoti hai or hum jor lagate hai tab bhi virya sakhlan ki sambhavna bani rahti hai ,isliye kabj or kabz bilkul bhi na hone de, jitna aaram se latreen aayegi utna hi accha hai,
ds
ReplyDeleteHello
DeleteSir, I have exactly same problem of shukrameh and other problems also. Please give me contact number of doctor or vaide?
ReplyDelete