थैलेसिमिया की
बीमारी का उपचार - thalassemia ki bimari ka ilaj
थैलेसिमिया की बीमारी माता – पिता से बच्चों को हो जाती है | यह एक संक्रमित
व वंशानुगत रोग है जो पीड़ी दर पीड़ी पूर्वजों से बच्चों में फैलता जाता है | यह रोग
अधिकतर अरब और एशिया के लोगो में पाई जाती
है | इस बीमारी से बचने के लिए सावधानी बहुत जरूरी है जैसे विवाह से पूर्व पति और
पति दोनों का टेस्ट करवा लिया जाये . ऐसा करने से उनकी संतान को ये बीमारी होने से
बचाया जा सकता है , इस बीमारी शरीर के अंदर शुद्ध रक्त का निर्माण नहीं हो पाता और
अशुद्ध रक्त का निदान भी नहीं हो पाता जिसके कारण सिस्टम गड़बड़ में आ जाता है, हिन्दू
धर्म में अपने गौत्र को छोड़ कर शादी करने की परम्परा यहाँ पर वैज्ञानिक प्रमाणित
होती है, ऐसा करने से वंशानुगत बीमारी होने की संभावना 80 % तक कम हो जाती है. 8 मई को पूरे विश्व में थैलेसिमिया दिवस मनाया जाता है
थैलेसिमिया के लक्षण -
इस बीमारी में रोगी का सरीर पीला पड़ जाता है,
रोगी के शरीर में शुद्ध खून बनना बंद हो जाता है,
हड्डियों का विकास रूप जाता है,
सोचने विचारने की क्षमता कम हो जाती है,
बच्चों में सरीर के विकास की दर कम हो जाती है,
बड़ो में थकावट अधिक होने लगती है,
थोड़ी बहुत मेहनत के बाद चक्कर आने लगते है,
इस बीमारी की रोकथाम हम
आयुर्वेदिक तरीके से कर सकते है | जो इस प्रकार से है |
सर्वकल्प क्वाथ (sarvkalp kawath) :- ३०० ग्राम
बनाने की विधि :- एक बर्तन में लगभग ४०० मिलीलीटर पानी लें | इस पानी में एक
चम्मच सर्वकल्प क्वाथ की मिलाकर इसे मन्द अग्नि पर पकाएं | थोड़ी देर पकने के बाद
जब इसका पानी १०० मिलीलीटर रह जाए तो पानी को छानकर सुबह के समय और शाम के समय
खाली पेट पीये |
सामग्री : -
कुमारकल्याण रस (kumar kalyan rasa) :- १- २ ग्राम
प्रवाल पिष्टी (praval pisti) :- ५ ग्राम
कहरवा पिष्टी (kaharva pisti) :- ५ ग्राम
मुक्ता पिष्टी (mukta pisti) :- ५ ग्राम
गिलोय सत (giloy sat) :- १० ग्राम
प्रवाल पंचामृत (praval panchamrit) :- ५ ग्राम
इन सभी आयुर्वेदिक औषधियों को आपस में मिलाकर एक मिश्रण बनाए | अब इस मिश्रण
की बराबर मात्रा में ६० पुड़ियाँ बना लें और किसी डिब्बे में बंद करके रख दें |
रोजाना एक – एक पुड़ियाँ और शाम के समय खाना खाने से आधा घंटा पहले ताज़े
पानी के साथ या शहद के साथ खाएं |
सामग्री : -
कैशोर गुगुल (Kaishor guggal ) :- ४० ग्राम
आरोग्यवर्धिनी वटी(aarogaya vardhini vati):- २० ग्राम
इन दोनों औषधीयों की एक – एक गोली रोजाना सुबह और शाम के खाना खाने के बाद
लें | इस औषधि को हल्के गर्म पानी के साथ लें |
सामग्री : -
धृतकुमारी स्वरस(Dhritkumari Savrasa) : - १० मिलीलीटर
गिलोय स्वरस (giloye Savrasa) :- १० मिलीलीटर
इन दोनों औषधियों में से किसी एक रस में गेहूँ के ज्वारे का रस मिलाकर पीये
| इस उपचार को रोजाना सुबह और शाम खाली पेट पीये | बहुत लाभ मिलेगा |
अनचाहे बालों का समाधान
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thalassemia ki bimari ek vanshanugat chalne wali bimari hai , yeh peedi dar peedi chalne wala rog hai, is bimari mein mata pita se or parents se sankaramn bacchon mein chala jaata hai , ye bimari khoon ki vardhi or nirman ko badhit karti hai, nai khoon ke nirman ko rok deti hai, is bimari ka ilaj bachpan ya 16 years or varsh se pahle karwana adhik faldayak hota hai, 8th may ko thalassemia day world mein manaya jaata hai or iske baare mein jankari di jaati hai, shaadi se pahle thalassemia ka test karwana chahiye, before marriage thalassemia ki janch karwane se bacchon mein iske hone ki sambhavna ko kam kiya jaa sakta hai,
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