कैंसर का ईलाज : -
कैंसर की बीमारी एक खतरनाक
बीमारी है | यह बीमारी मनुष्य के लिए जानलेवा भी हो सकती है | यदि कोई मनुष्य इस
रोग से पीड़ित है तो यह बीमारी शीघ्रता से
ठीक नहीं होती है क्योंकि इस बीमारी के लक्षणों के बारे में मनुष्य को बहुत देर से
पता चलता है | कैंसर का रोग मनुष्य के शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता
है जैसे :- मनुष्य के मुहँ में , हड्डियों में और फेफड़े में या शरीर के और किसी
हिस्से में |इस बीमारी की वजह से मनुष्य की जीने के तरीके बदल जाते है और मनुष्य
हर समय डिप्रेशन में रहता है | बीड़ी और सिगरेट और तम्बाखू के प्रयोग से कैंसर हो
सकता है | इसलिए हमें इन सभी चीजों को छोड़ देना चाहिए | और साथ ही साथ अपना उपचार
करवाना चाहिए | इस बीमारी को ठीक करने के लिए हमारे आयुर्वेदिक में एक तरीका है
जिसका प्रयोग करके हम कैंसर से बच सकते है | जैसे :-
कैंसर का देसी और बिना पैसे के
सबसे सरल उपाय भी है , देसी गाय जो गर्भवती न हुई हो , ऐसी गाय के मूत्र का प्रयोग
करना है एक गलास मूत्र सूती धोती जिसमें 7 से 9 परत हो , इसमें से छान ले, और थोड़ी
सी शुद्ध हल्दी मिला कर उबाल ले , जब अच्छी तरह से उबल जाये तो साधारण तापमान पर
आने के बाद चाय की तरह चुस्की ले ले कर पीये , आपको जल्दी लाभ मिलेगा. इस देसी
उपाय का असर केवल तभी आता है जा आपने कीमोथेरेपी न करवाई हो , या और कोई अंग्रेजी
दवा न ली हो.
इसके अलावा नीचे दिए गये
आयुर्वेदिक दवा का भी उपयोग किया जा सकता है , परन्तु किसी अनुभवी आयुर्वेदाचार्य
के सहयोग से और सुझाव से ही दवा ले .
सामग्री : -
सर्वकल्प क्वाथ (sarvkalp kwath) :- २०० ग्राम
कायाकल्प क्वाथ (kayakalp kwath) :- १०० ग्राम
बनाने की
विधि :-
एक बड़े बर्तन में ४०० मिलीलीटर पानी ले | इस पानी में सर्वकल्प क्वाथ और कायाकल्प क्वाथ दोनों औषधियों को
मिलाकर एक चम्मच की मात्रा मिलाकर धीमी –धीमी आंच पर पकाए | कुछ देर पकने के बाद जब
इस पकाए हुए पानी की मात्रा १०० मिलीलीटर शेष रह जाए तो इसे छानकर पी लें | इस
प्रयोग को प्रतिदिन सुबह के समय और शाम के समय करें |
सामग्री : -
संजीवनी वटी (sanjivani vati) :- २० ग्राम
शिलासिन्दूर (shila sindoor) :- ३ ग्राम
ताम्र भस्म (taamra bhasma ) :- १ ग्राम
गिलोय सत (giloy sat) :- २० ग्राम
अभ्रक भस्म (Abhrak Bhasma ) :- ५ ग्राम
हरिक भस्म (Hareeka bhasma):- ३०० से ५०० मिली ग्राम
स्वर्ण बसंत मालती रस (swaran basant malti ras) :- २ से ४ ग्राम
मुक्ता पिष्टी (mukta pisti) :- ४ ग्राम
प्रवाल पंचामृत (praval panchamrita) :- ५ ग्राम
इन सभी आयुर्वेदिक औषधियों को
मिलाकर एक अच्छा सा मिश्रण बना लें | और इन तैयार मिश्रण की बराबर मात्रा में ९०
पुड़ियाँ बना कर किसी डिब्बे में बंद करके सुरक्षित जगह पर रख दें | रोजाना एक
पुड़ियाँ सुबह के समय खाना खाने से पहले ,
एक पुड़ियाँ दोपहर को खाना खाने से पहले और एक पुड़ियाँ रात को खाना खाने से पहले
खाएं | इन औषधियों का प्रयोग ताज़े पानी के
साथ शहद के साथ या मलाई के साथ करें | बहुत जल्द कैंसर की बीमारी ठीक हो जायगी |
नोट :- यदि किसी व्यक्ति को
फेफड़ो में कैंसर है, तो उसे अभ्रक भस्म की ५ ग्राम की मात्रा उपर लिखी औषधियों में
मिला दें | और साथ ही साथ श्वासारी क्वाथ का भी उपयोग करना चाहिए |
१. यदि शरीर में खुजली हो या चर्म रोग हो तो ऊपर लिखी हुई सामग्रियों में
संजीवनी वटी का प्रयोग न करे |
सामग्री : -
कांचनार गुग्गुलु (kanchnaar guggal) :- ६० ग्राम
वृद्धिबाधिका वटी (vardhi badhika vati) :- ४० ग्राम
आरोग्यवर्धिनी वटी (aarogya vardhini vati):- ४० ग्राम
इन तीनो औषधियों की एक – एक गोली दिन में कम से कम तीन बार खाना खाने के बाद
गुनगुने पानी के साथ खाएं |
सामग्री : -
गेहूँ के ज्वारे का रस (gehun ke jaware ka
ras):- २५ मिलीलीटर
गिलोय का रस (giloy ka ras) : - २५ मिलीलीटर
धृतकुमारी का रस (dhrit kumari ka ras) : - २५ मिलिलीटर
गोधन अर्क (go dhan ark) : - २५ मिलीलीटर
नीम के पत्ते (neem ke patte) : - ४ से ७ पत्ते
तुलसी के पत्ते (tulsi ke patte) : - ११ पत्ते
इन सभी औषधियों को मिलाकर एक दिन
में कम से कम दो बार ( सुबह और शाम ) खाली पेट खाएं |
इन सभी उपचारों का प्रयोग करके
हम कैंसर जैसी भयंकर बीमारी से बच सकते है |
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