Pigmentation on Face in Hindi | पिगमेंटेशन

चेहरे की झाइयाँ (पिगमेंटेशन)

प्रत्येक युवती अपने रूप और उसकी सुन्दरता के लिए हमेशा चिंतित रहती है. क्यूंकि चेहरे के खुबसूरत होने के बावजूद भी अक्सर युवतियां अपनी खूबसूरती को लेकर संतुष्ट नहीं होती. उनकी असंतुष्टता का कारण अनेक प्रकार की त्वचा सम्बन्धी समस्याएं होती है जैसे झुर्रियां, कील-मुहांसे, झाइयां आदि. त्वचा सम्बन्धी प्रत्येक समस्या किसी भी सुन्दरता प्रिय महिला की मुश्किलें बढ़ा देती है परन्तु झाइयां एक ऐसी समस्या है जो न सिर्फ हमारी खूबसूरती पर हमला करती है बल्कि हमारे आत्मविश्वास को भी क्षति पहुंचाती है.
किसी युवती की त्वचा का रंग चाहे गोरा हो या सावंला, वह तभी खुबसुरत लगेगी जब सम्पूर्ण रंगत  एक-सी दिखाई देगी. यदि शरीर के किसी हिस्से की त्वचा का रंग अधिक गहरा तो कही हल्का है तो इससे ना केवल चेहरे की सुन्दरता कम होगी बल्कि त्वचा पर भी महीन सिलवटे पड़ जाती है और इन्ही सिलवटो को सामान्य भाषा में झाइयां और पिगमेंटेशन कहते है. ये झाइयां आपके चेहरे की चमक, उसकी खूबसरती और आकर्षण छीन लेती है. अक्सर महिलाओं को चेहरे पर झाइयां पड़ने की शिकायत रहती है और यें झाइयां आपको आपकी उम्र से कहीं अधिक बड़ा दिखाती है क्यूंकि इस समस्या के कारण आपके चेहरे की मासूमियत खोने लगती है, जो महिलाओं को बिल्कुल ग्वारा नहीं होता.
Pigmentation on Face in Hindi, पिगमेंटेशन क्या और क्यों होती है , चेहरे पर झाई
Pigmentation on Face in Hindi, पिगमेंटेशन क्या और क्यों होती है , चेहरे पर झाई 

क्यूँ तथा कहाँ होती है झाइयां :-

झाइयां होने का वैज्ञानिक कारण हमारी त्वचा की कोशिकाओं का ठीक प्रकार से कार्य ना कर पाना होता है. दरअसल हमारी त्वचा की उपर वाली परत को एपिडर्मिस कहते है, इसमें कुछ ऐसी कोशिकाएं होती है जो हमारी त्वचा को रंग प्रदान करती है जिसमें से कुछ कोशिकाएं मिलानिन नाम के रंग देने वाले पदार्थ का निर्माण करती है. सूर्य की किरणों से संपर्क में आकर ये कोशिकाएं अधिक मात्रा में मिलानिन बनाने लगती है जो हमारी त्वचा को सूर्य की हानिकारक अल्ट्रा-वायलेट किरणों से होने वाले नुकसान से बचाती है या यूँ कहे कि यें पदार्थ हमारी त्वचा के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है. जिस कोशिका से इस पदार्थ का निर्माण होता है जब वो कोशिका धुप से झुलस जाती है तो ऐसी स्थिति में इस पदार्थ का निर्माण होना बंद या कम हो जाता है, ऐसे में कोशिकाओं के कार्य में हुए असंतुलन के कारण ही हमें अनेक प्रकार की त्वचा सम्बन्धी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पिगमेंटेशन भी उन समस्याओं में से एक है.

त्वचा को रंग देने वाली इन कोशिकाओं का पोषण बहुत छोटी-छोटी blood-vessels (रक्त की नलिकाएं) द्वारा होता है. अक्सर बहुत-से बाहरी तथा आंतरिक प्रभावों या समस्याओं के कारण कोशिकाओं तक सही मात्रा में पोषण नहीं पहुंच पाता. जिसके कारण इनके कार्यों में असंतुलन बन जाता है. यें कारण अलग-अलग हो सकते है जैसेः डायबिटीज़, ह्रदय रोग या ऐसी किसी अन्य बीमारी का होना, प्रसव व गर्भपात के दौरान भी शरीर में खून की कमी हो जाने के कारण भी झाइयों जैसी समस्या का सामना करना पड़ जाता है. इसके अलावा कृत्रिम व् घटिया किस्म के सौन्दर्य उत्पादों के इस्तेमाल से, या हेयरडाई, ब्लीच, रुज या फाउंडेशन का अधिक इस्तेमाल भी इस समस्या को जन्म देता है.


झाइयां मुख्य रूप से चेहरे की त्वचा पर होने वाली एक समस्या है. झाइयों और पिगमेंटेशन से प्रभावित होने वाले हिस्सों में हमारा चेहरा तथा चेहरे में गाल व कान के आस-पास का हिस्सा अधिक शामिल होता है. इनसे हमारी त्वचा की सतह में तो कोई खास तरह का परिवर्तन तो नहीं आता है बस केवल इनके रंग में ही कुछ परिवर्तन आ जाता है. यें स्पर्श करने में चिकनी-सी प्रतीत होती है. इनका रंग थोड़ा कत्थई सा होता है जिसके कारण ये चेहरे की त्वचा स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है और हमारी खूबसूरती में दाग का काम करती है. 


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pigmentation of jhaaiyon ki bimari ka sabse badhiya or desi ilaj hai , inki jankaari or unse bachaav.  jitni aap safety baratte ho utni hi adhik maatra mein aap apne face ko bacha sakte hai jhaiyon se , pigmentation ki bimari ek ghatak or preshaan karne wali samashya hai is bimari ka koi ilaj nahi , bas ilaj hai to ek savdhani baratne ke baad hi iska asar dikhta hai, jhaiyan adhik sun light mein ghoomne phirne se hoti hai , tej dhoop or garmi mein kaam karne se hamari skin ki uperi parat jal jaati hai , jhai se hamari skin ki shape mein koi fark nahi aata , but color mein thoda change hota hai, pigmentation se stri or pursh ka confidence bhi kam ho jaata hai ,  skin ko paushan or khurak dene wale paushak tatav jab khatam ho jaate hai to aapki skin mein ye problem hoti hai , blood vessels ka asantulit hona hi iska pramukh karan hai, jab hamari koshikaon mein milanin ki availability kam ho jaati hai tab hi pigmentation ki shuru aat hoti hai ,

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