गंजापन
गंजापन के कारण मानव की सुंदरता पर बुरा प्रभाव पड़ता है । इस बीमारी के कारण व्यक्ति की सुंदरता कम हो जाती है । गंजेपन की बीमारी किसी भी तरह से दुख या दर्द देने वाली नहीं होती लेकिन इस बीमारी में व्यक्ति दिमागी रूप से परेशान हो जाता है । और वह चिड़चिड़ा हो जाता है वह दुसरो की सुंदरता को देखकर जलन महसूस करता है । गंजेपन की बीमारी शरीर के किसी भी स्थान पर हो जाती है यह बीमारी अधिकतर सिर और दाढ़ी के गोल घेरे में पाई जाती है । जब गंजेपन की बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है तो इस बीमारी से घ्रसित मानव को दाढ़ी , पलकों , बगल , और जांघो के बाल उड़ जाते है । इस रोग को खालित्य के नाम से जानते है । गंजेपन का इलाज और्वेदिक ढंग से किया जा सकता है |
ईलाज़:-
गंजेपन की बीमारी का उपचार करने के लिए भृंगराज या भांगरा नाम का तेल का उपयोग करना चाहिए । ये तेल बहुत ही लाभदायक माना जाता है । डॉक्टर भी भृंगराज या नीली भृंगादि तेल लगाने की सलाह देते है ।इस बीमारी को दूर करने के लिए भृंगराज
तेल की सिर की त्वचा अथवा बालों की जड़ो में हल्के हाथो से मालिश करने के एक घंटे बाद
स्नान करे । इस तेल की मालिश करने से सभी कमजोर बाल टूट जाते है इन टूटे हुए बालों
को देखकर रोगी को घबराना नहीं चाहिए बल्कि रोजाना छः महीने तक इस तेल की मालिश करें
। और अधिक लाभ पाने के लिए रोगी को भांगरे का चूर्ण शहद के साथ एक चम्मच सुबह - शाम
खाली पेट खिलने से यह बीमारी धीरे - धीरे कम होने लगती है ।
गंजेपन की बीमारी को दूर करने के लिए हाथी दाँत
का भी उपयोग किया जाता है । इस उपचार में हाथी दाँत को पीसकर चूर्ण तैयार कर ले । इस
चूर्ण को शहद अथवा घी में मिलाकर रोजाना गंजे वाली जगह पर लगाने से अघिक लाभ मिलता
है । अगर रात के समय इस ओैषधि को लगाया जाये तो यह बहुत लाभकारी सिद्ध होती है क्योंकि
यह ओैषधि रात भर सिर की त्वचा पर लगी रहती है ।
गंजापन यदि कम उम्र में हो तो ऐसी अवस्था में ये ओैषधि बहुत ही उपयोगी सिद्ध
होती है इस बीमारी में अश्वकुंचक नामक ओैषधि का उपयोग करना चाहिए । सामन्य तौर पर यह
ओैषिधि दस्त लाने वाली होती है । ये एक प्रकार की गोलियाँ होती है इन गोलियों को बारीक़
पीसकर चूर्ण बना ले और इसे शहद में मिलाकर गंजे वाली जगह पर लगा ले । यह दवाई लगाने
से सिर की त्वचा में जलन या खुजली होने लगती है और त्वचा लाल हो जाती है लेकिन हमें
डरना नहीं चाहिए । इस दवाई को प्रतिदिन लगाने से बाल धीरे - धीरे उगने लगते है ।शरीर
में कमजोरी के कारण बाल टूटने लगते है । इसलिए इस बीमारी से पीड़ित रोगी को पौष्टिक
आहार खाना चाहिए । जैसे - मक्खन , दूध , घी , अंकुरित दाले , Fruits and vegetables आदि , खाद्य पदार्थो का
उपयोग करना चाहिए । रोगी को तले हुए खाद्य पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि
इससे लीवर ख़राब होने की सम्भावना होती है । और ज्यादा से ज्यादा प्रोटीनयुक्त भोजन
करना चाहिए इससे हमारे शरीर की कमजोरी दूर हो जाती है शरीर स्वथ्य हो जाता है । और
हम बालों की बीमारी या शरीर की अन्य किसी बीमारी का शिकार नहीं होते ।
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