प्रणायाम का हमारे जीवन के लिए महत्व ,Prnayam Ka Hmare Jivn Ke Liy Mahtaav |

प्रणायाम का हमारे जीवन के लिए  महत्व
प्रणायाम का हमारे जीवन के लिए  महत्व

प्रणायाम योग और आयुर्वेद का महत्व :- प्रणायाम करना हमारे सेहत के लिए बहुत ही जरूरी होता है | यह दो शब्दों के जोड़ से मिलकर बना है | जैसे प्राण +आयाम | इसका पहला शब्द प्राण है और दूसरा आयाम है | प्राण का मतलब होता है | शक्ति या बल | यानि जो हमे शक्ति और बल देता है | सरकारी अस्पताल में मरीजों को अच्छे स्वास्थ्य के लिए सुविधा उपलब्ध करने के लिए अब प्रणायाम , योग , ध्यान करके खुद भी स्वास्थ्य बनाने में लग गए है | योग प्रिकिया के अंदर प्राणायम का एक अलग महत्व है| आचार्य रामदेव बाबा ने मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए कुछ प्रणायाम और असानो के बारे में बताया है | इसे करने के कुछ नियम भी बताएं है | मनुष्य में कभी ना कभी किसी कारण से कुछ खराबी आ जाती है | मनुष्य का शरीर अपवाद नही है | अत: नाना प्रकार की व्याधियां आ जाती है | इन्ही रोगों से छुटकारा पाने के लिए कई सारी औषधी खोजी गई | इसके आलावा इन्हें किस प्रकार से उपयोग करना है | इसकी जानकारी भी दी है |
सदा मनुष्य के हित की चिंता करते हुए पुराने ऋषि मुनियों ने कुछ योगसानो का निर्माण किया है और उनका चलन भी किया है| उन्होंने कहा है कि जो मनुष्य नियमित रूप से कुछ समय के लिए शरीरिक क्रियाएँ कर अपने शरीर को स्वस्थ रूप से चला सकते है | इसके आलावा मनुष्य का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है | ऐसा करने से मनुष्य के शरीर का कोई भी किसी भी प्रकार का रोग नही लगता | उनका शरीर स्वस्थ बना रहता है | इसके आलावा दीर्घ आयु तक निरोगी जीवन जीता है |
Prnayam Ka Hmare Jivn Ke Liy Mahtaav
Prnayam Ka Hmare Jivn Ke Liy Mahtaav
प्राणायम :- योग और आयुर्वेद का भारतीय संस्कृति की बहुत अनोखी दें है | प्राणायम सभी चिकित्सा में से उत्तम होता है | क्योंकि इससे नियमित और विविध अभ्यास से समस्त स्नायु , कोष , नस , नाड़ियाँ , अस्थियाँ , मासपेशियाँ और अंग के सभी हिस्सों  से रोगों को दूर करता है | इसके आलावा प्रणायाम से हमे प्राण शक्ति और जीवन शक्ति मिलती है | प्राणायम करने से हमे शरीरिक और मानसिक लाभ के साथ – साथ आध्यामिक उन्नति भी मिलती है |  
सावधानियां :-प्रणायाम को स्नान करके कभी भी प्रणायाम ना करें | प्रणायाम करने से लगभग आधा घंटे के बाद ही नहायें |  
योगसानो और प्रणायाम के आधे घंटे के बाद पानी या जूस का सेवन करें | इसके एक घंटे के बाद भोजन खाएं | जब आपको भोजन खाए लगभग 5 घंटे हो जाये तो प्रणायाम कर सकते है |
जब कोई महिला पीरियड होती है | तो उसे उस अवस्था में प्रणायाम या योगासन नही करने चाहिए | इसके आलावा जो व्यक्ति बहुत बीमार है | उसे भी प्रणायाम नही करना चाहिए |
श्वसन किर्या में अपने मुंह को बंद रखकर साँस लें | जिन लोगों को कमर में दर्द रहता हो  उन्हें आगे झुकने वाले आसनों का प्रयोग नही करना चाहिए |
जिन लोगों को हर्नियाँ का रोग है , उन्हें पीछे झुकने वाला आसन नही करना चहिये |
जिस समय आप आसन कर रहे होते है , इस समय में मल , मूत्र , छींक खांसी आदि को ना रोकें | विसर्जित करते रहे |
आसन करते समय किसी के साथ कोई प्रतिस्पर्धा ना करें | और ना ही जल्दबाजी करें |
किसी भी आसन को झटके के साथ ना करें |
आसन करते समय शरीर की स्थिति कैसी होनी चाहिए :- जब आप कोई भी आसन करते है ,जैसे सुखासन , वज्रासन , पद्मासन , सिधासन आदि | इन आसनों को करते समय में जिस तरह से आपको बैठने में सुविधा महसूस हो और अधिक समय तक बैठ पायें | उस आसन में बैठे |
अपने सिर , गर्दन और मेरुदंड को एक सीधी रेखा में रखें | और अपना चेहरा सामने की और रखें |
योगासन करते समय अपनी आँखों को बड़ी ही कोमलता के साथ बंद करें | ताकि आपका मन अन्तर्मुखी हो और बाहरी दृश्यों में चित अटके नही |
अपने चेहरे पर प्रसन्नता का भाव रखें | किसी भी प्रकार का तनाव नही होना चाहिए |
Yogasan Or Pranyam Se Hone Vale Laabh
Yogasan Or Pranyam Se Hone Vale Laabh
किसी भी मुद्रा में बैठे हो , ध्यान मुद्रा , पृथ्वी मुद्रा , वायु मुद्रा , प्राण मुद्रा , शून्य मुद्रा आदि में सीधी रहने वाली उंगिलयों को सीधा रखें |
तीन बार ॐ का जाप करें | ॐ का जाप करते समय एक गहरी लम्बी साँस नाक से लें , और फेफड़ों में भर लें | ॐ का उच्चारण नाभि की गहराई तक करें | इस प्रिकिया को तीन बार करें |
प्रार्थना कैसे करें :- सर्वे भवन्तु सुखानि: , सर्वे सन्तु निरामया: | सर्वे भद्राणि पश्च्यतूं, मा कश्चिद दुःख भाग भवेत |
असतो मा सद्गमय | तमसो मा ज्योतिर्गमय:, मृत्युर्म अमृतमय गमय |
ॐ शांति , शांति , शांति | 
भस्त्रिका प्रणायाम :- साँस को लम्बा गहरा और धीरे – धीरे नाक के द्वारा फेफड़ों में भरे | साँस को जब तक मुंह में भरे जब तक की पेट फूल ना जाएँ | साँस को बिना रोके नाक से आराम – आराम से पूरा बाहर छोड़ दें | इस प्रिकिया को दोहरायं और जारी रखें |
जो लोग नये – नये प्रणायाम का अभ्यास कर रहे है | और थक जाते है | उन्हें कुछ देर तक आराम कर लेना चाहिए | इसके आलावा अपनी साँस को और भी गहराई में बढ़ाने का प्रयत्न करें |
इस आसन को गर्मी के मसौम में तीन मिनट के अधिक और सर्दी के मौसम में 7 मिनट से अधिक नही करना चाहिए |
लाभ और फायदे :-  पुराना नजला ,सर्दी ,जुकाम ,क्षय आदि सारे कफ से सम्बंधित रोग भी दूर हो जाते है , तथा थाईराइड , टोंसिल , आदि गले के रोगों में लाभ मिलता है | इसके आलावा जिन लोगों को नींद अधिक आती है या जिनको नींद कम आती है ,आलास रहता है , इन सभी चीजों से मुक्ति मिल जाती है | इसके आलावा हृदय , फेफड़े और मष्तिष्क भी स्वस्थ रहता है |
सूक्ष्म व्यायाम किस तरह से करना है :- पैरों की उंगिलयों और अंगूठे , अपने आगे , पीछे की और दबाएँ और एडियों को स्थिर रखें |
अपने दोनों पैरों को मिलते हुए पुरे पंजे को एडी सहित आगे और पीछे की और दबाएँ |
अपने दोनों पैरों को मिलते हुए पुरे पंजे को एडी सहित गोल घुमाएँ |
दोनों पैरों को थोड़ी – थोड़ी दुरी पर रखें | इसके बाद दोनों पैरों के अंगूठे को अंदर की और दबाते हुए मिलाएं | इसके बाद दोनों पैरों के पंजे को गोल – गोल घुमाते हुए शून्य जैसी आकृति बनाएं |
अपने पैरों को सीधा रखते हुए दोनों हाथों को कमर के दोनों और में रखें |
घुटनों की कपाली को दबाते हुए छोड़ते हुए सिखोड़े और प्रसारण करें |
इसके बाद दोनों हाथों की उंगिलयों को एक दुसरे में डालते हुए घुटने के नीचे जंघा को पकड़ें | इसके बाद पैरों को धीरे से मोड़ते हुए नितम्ब के पास लायें और साइकिल चलाने जैसी किर्या करते हुए पैरों को  सामने की ओर शून्य बनाएं | इस किर्या को दोनों पैरों से करें |
दायें पैरों को मोडकर बाएं जांघ पर रखें | बाय हाथ से दांय पंजे को पकड़ें | , दायं हाथ को दाहिने घुटने पर रखें | इसके बाद घुटने को नीचे भूमि पर लगाने का प्रयत्न करें | इसके बाद दाहिने हाथ को दांय घुटने के नीचे लगाते हुए घुटने को उपर उठाकर छाती से लगायें | इसके बाद घुटने को दबाते हुए भूमि पर टिका लें | इस तरह से अभ्यास को विपरीत बाएं पैरों को मोडकर दांय जंघे पर रखकर पहले की तरह करें |
आखिर में दोनों हाथों से पंजे को पकडकर घुटने को धरती पर स्पर्श कराएं | और उपर उठायें | इस पराक्र कई बार इसकी प्रिकिया को करें | इस आसन को कम से कम 3 से 5 मिनट तक करें | 
Yogasan Or Pranyam Se Hone Vale Laabh
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कपाल भाती प्रणायाम किस तरह से करना है | कपाल का अर्थ होता है मस्तिष्क, भाति का अर्थ होता है तेज, प्रकाश आभा, यानि प्राणायाम को करने से आभा,तेज व ओज बढ़ता हो वह है कलापभाती प्राणायाम को करने की विधि :-एक लम्बी गहरी सांस को नाक के द्वारा फेफड़ो में पहुचाये और लिए गये सांस को बिना अंदर रोके नको के छेदों द्वारा प्रयासरत होकर सांस को इस प्रकार छोड़ेंगे की हम सांस बहार छोड़े और पेट साथ ही अंदर की तरफ होने लगे |सांस हमारे अंदर जा रहा है इस पर ध्यान न देते हुये इस क्रिया को लगातार करनी है |मध्यमगति व माध्यम शक्ति के साथ इस क्रिया को करे और बीच  में विश्राम करते रहे जिससे आपको थकान न महसूस हो |आप अपने सांस को अधिक गहराई के साथ छोड़े | और इस प्रिक्रिया को रोज करते रहे कम से कम इस क्रिया को करते समय 5-10 मिनट तक करने की क्षमता का विकास करे |  जिस व्यक्ती को पित्त रोग की समस्या है वो गर्मी के मोसम में इस आसान को 2 मिनट तक ही करे | ज्यादा  तेजी से सांस को बाहर की और छोड़ने के लिए पेट को ज्यादा झटके का प्रयोग करना चाहिए इसके इस्तेमाल से पेट  और वजन दोनों ही कम हो जाते हें पाचन की शक्ति बहुत बढ़ जाती हे और हार्ट के ब्लॉकेज खुल जाते है |और  फेफड़ो की सफाई के कारण अस्थमा जेसे रोग ख़त्म हो जाते है |रक्त शुद्ध होने से त्वचा रोग एलर्जी समाप्त हो जाते है | जब आपके पेट के रोग समाप्त हो जाते है तो आपके चेहरे पर एक चमक आती है |
हाथों और कंधों के व्यायाम कैसे करें :- अपने हाथों की उंगिलयों को एक दुसरे के साथ मिलाएं , हाथों को सामने की और फैलाकर उंगिलयों के पोरों को धीरे – धीरे मोड़ें और सीधा करें | इसके बाद उँगलियों और अंगूठे को मोड़कर दबाते हुए मुक्के जैसी आकृति बनाएं | इसके बाद मुक्के को धीरे – धीरे खोलें | इस प्रिकिया को लगभग 6 से 7 बार करें | इसके बाद अंगूठे को मोडकर उँगलियों को दबाते हुए दोनों हाथों की मुठियों को बंद करके दोनों को घुमाएं | इस क्रिया के दौरान कोहनियाँ सीधी रहनी चाहिए |
इसके बाद कोहनियों के लिए कोहनी को दुसरे हाथ की हथेली पर रखकर दोनों और गोल घुमाएँ |
अब कंधे के लिए दोनों कन्धों को क्रमशः ऊपर नीचे करें | इसके बाद आगे की ओर और पीछे की और गोल शेप में घुमाएँ |
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इसके बाद गर्दन के लिए सीधे बैठकर गर्दन को केवल तीन बार दांयी और बांयी ओर घुमाएँ | अब गर्दन को घुमाएँ | इसे घुमाने के लिए पहले दांयें कंधे से लगायें | इसी तरह से बांये कंधे को छुएं | अब गर्दन को आगे झुकाते हुए अपनी ठोड़ी को सीने से लगायें | फिर धीरे – धीरे यथाशक्ति पीछे की ओर झुकाएं | अंत में गर्दन को गोल – गोल कर घुमाकर दोनों और घुमाएँ |
बाह्या प्राणायम त्रिबंध के साथ करें :- साँस को लम्बा गहरा नाक के द्वारा फेफड़ों में भरें | इसके बाद लिए हुए साँस को बिना अंदर रोके नाक के दवारा एक ही बार में छोड़ें | इसके बाद मूल बंध लगाने के लिए अपने मलद्वार अथवा गुदा को अंदर की ओर संकुचित करेंगें | इसके बाद उद्यानबंध लगाने के लिए पेट को अंदर की ओर पिचकाएँ | इसके बाद ठोड़ी कू कुण्डकूप में लगाते हुए जलधर बन्ध लगायेंगे |
गर्दन वाले रोगी को इस प्राणायम को गर्दन को आगे की और ना झुकाएं |
इस प्रकार साँस छोड़ते हुए मूल उद्यान , जलधर बंध लगायेंगे | जितनी आपकी शक्ति हो साँस को बाहर छोड़ें | इसके बाद रोकना चाहिए |
जिन लोगों को हृदय का रोग , ब्लडप्रेशर हाई या लो या दमे के रोगी को इस प्राणायम का उपयोग नही करना चाहिए |
इसके बाद साँस को लेने से पहले जलधर बंध खोलें | इसके बाद उदयन बंध और उसके बाद मुलबंध खोलते हुए साँस भरें | इस प्रकार की प्रिकिया को लगभग 3 से 5 बार करें |
इस प्रणायाम को करने से होने वाला लाभ :- वात , पित्त , कफ का संतुलन बनाये रखता है |शरीर में शक्ति और उर्जा का प्रवाह बढ़ता है | जठराग्नि प्रदीप्त प्राप्त होता है |पेट के रोगों में अधिक लाभ मिलता है |  

 बुद्धि को एकग्र और कुशाग्र होती है | स्वप्नदोष , शीघ्रपतन आदि | गुप्तरोग का शमन होता है |
बाह्य प्रणायाम करने के बाद अग्निसार की किर्या करेंगें | साँस को लम्बा गहरा नाक के द्वारा फेफड़ों में भरें | इसके बाद भरे हुए साँस को बिना अंदर रोकें एक ही बार में पूरा छोड़ें | या छोड़ने का प्रयास करें | इसके बाद पेट को एक बार अंदर की ओर करें और एक बार बाहर की और लहराएँ | जितनी देर साँस को बाहर छोडकर रखते है | इस प्रिकिया को एक ही बार करना होता है |
इस प्रणायाम से होने वाला लाभ :- कब्ज और अपच की समस्या दूर हो जाती है | पाचन तन्त्र सही प्रकार से काम करता है |
चहरे के व्यायाम करने से :- पुरे चेहरे को अच्छी तरह से दोनों हाथों से थपथपाएं | ( इससे प्राकतिक सौन्दर्य की प्राप्ति होती है )इसके बाद गर्दन के पीछे की ओर मसाज करें | इससे मष्तिष्क और गर्दन के दर्द में आराम मिलता है | और खून का संचार सही रूप से चलता है |
अनुलोम – विलोम प्रणायाम कैसे करें :- अपने दांये हाथ को उपर उठायें | इसके बाद दाहिने हाथ के अंगूठे से अपनी नाक को बंध करें और बायीं नाक से गहरा लम्बा – लम्बा साँस लें | और फेफड़ों में भरें | जब पूरा साँस फेफड़ों में भर जाये | उसके बाद दाहिने हाथ की अनामिका ऊँगली से बायीं नाक को बंद करें | जो हमने अंगूठे से नाक को बंद किया हुआ था उसे खोल दें | अर्थार्त नाक पर से अंगूठे को हटा लें | इसमें लिये हुए साँस को अंदर की और खिचे और धीरे – धीरे एक नाक के द्वारा बाहर की ओर छोड़ें | जिस नाक के द्वार से साँस को बाहर की ओर छोड़ा है | उस नाक से अब साँस को अंदर फेफड़ों में भरें | इसके बाद पूरा साँस दूसरी नाक के द्वार से धीरे – धीर छोड़े | इस तरह से एक बार दांयी नाक के द्वार से और दूसरी बार बांयी नाक के द्वारा से सास को अंदर खिचे और बाहर की और छोड़ें | इस तरह से अनुलोम विलोम प्रणायाम किया जाता है | इस प्राणायाम को एक दिन में कम से कम 5 मिनट तक जरुर करना चाहिए | यदि आप इससे भी अधिक समय तक कर पाते है | तो ये और भी अधिक लाभाकरी होगा |
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अनुलोम विलोम प्रणायाम करने से होने वाला लाभ :- इस प्रणायाम को करने से सांसों का शुधिकर्ण होता है | इसके आलावा पुरे नाड़ी तन्त्र की सफाई हो जाती है | इस प्राणयाम को करने से दुषित वायु शरीर से बाहर निकलती है और ऑक्सीजन की मात्रा हमारे शरीर  में बढ़ जाती है | इस प्रणायाम को करने से संधिवात , गठिया ,कम्पवात स्नायु दुर्बलता आदि रोगों से मुक्ति मिल सकती है | इसके आलावा इससे वात रोग , सर्दी जुकाम सायनस , खांसी , टोंसिल , अस्थमा आदि कफ के रोग दूर हो जाते है | इस प्रणायाम को करने से त्रिदोष से मुक्ति मिल जाती है | इसके आलावा इसे करने से हृदय की ब्लोकेज खुल जाते है | , सिर दर्द , माइग्रेन , और मानसिक तनाव भी दूर हो जाते है | इससे हमारा विवेक जागृत होता है |  
आसन करने का तरीका :-
उतानपाद आसन :-
इसे करने के लिए पीठ के बल लेट जाएँ | अपनी हथेलियों को भूमि की और पैरों को सीधे और पंजे को आपस में मिलाएं | इसके बाद साँस को भरकर एक पैर को एक फुट तक धीरे –धीरे उपर की और उठायें | इसे कम से कम 10 सेकंड तक रोकें | इसके बाद पैरों को भूमि पर वापिस टिका लें | इस आसन को लगभग 3 से 6 बार करें | इससे अधिक बार ना करें |
इस आसन में दोनों पैरों को एक साथ उठाते हुए क्रमशः 3 से 6 बार करें |
जिन लोगों को कमर में दर्द की शिकायत रहती है | इसका अभ्यास एक पैर से ही करें | 
इस आसान को करने से लाभ :- कब्ज , गैस , मोटापा , पेट दर्द , नाभि का टहलना , कमर दर्द , हृदय रोग आदि में लाभदायक होता है |  
पवन मुक्त आसन को किस प्रकार से करना है :- अपने शरीर को सीधे भूमि पर लेटाय | इसके बाद अपने दायं पैर के घुटने को अपनी छाती पर रखें | इसके बाद दोनों हाथों की उँगलियों को एक दुसरे में परस्पर डालते हुए घुटने पर रखें | साँस को बाहर निकालते हुए घुटने को दबाकर छाती से लगायें | इसके बाद सिर को उठाते हुए घुटने को नासिका से स्पर्श कराएं | इस किर्या को लगभग 10 से 20 सैकिंड करते हुए अपने पैरों को सीधा कर लें | इस तरह से दुसरे पैर से भी इस आसन को करें और आखिर में दोनों पैरों को एक साथ करें |
Prnyam Ke Naam
Prnyam Ke Naam
इस आसन के प्रयोग से होने वाला लाभ :- इस आसन को करने से वायु से होने वाला विकार , स्त्री के रोग , मोटापा , कमर दर्द , हृदय रोग , आदि में लाभ मिलता है |
सावधानी बरते :- अगर किसी व्यक्ति की कमर में दर्द है तो , सिर को उठाकर घुटने से नाक ना लगायें | केवल पैरों से दबाकर छाती को स्पर्श कराएं | ऐसा करने से स्लिपडिस्क सायटिका और कमर दर्द में अधिक आराम मिलता है |
पीठ के बल लेट जाएँ | अपनी दोनों हथेलियों को भूमि की और करें | और अपने दोनों पैरों को साईकिल की तरह चलायें | इसके बाद एक पैर के घुटने को मोड़कर सीने की तरह करें और दुसरे को सीधा फैला लें | इस प्रिकिया को अपनी क्षमता के अनुसार लगभग 8 से 10 बार करें | बीच में आराम करके इसके दुसरे चरण मे भी दोनों पैरों को साइकिल की तरह चलाना है |
इससे होना वाला लाभ :- कब्ज , मद्र्ग्नी , एसिडिटी कमर दर्द , मोटापा घटाने के लिए अच्छा विकल्प है |
सेतुबंध आसन :- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सीधे लेट जाएँ | इसके बाद अपने दोनों घुटनों को मोडकर पैरों के नितम्ब के पास रखियें | इस समय में आपकी हथेली भूमि से लगी हुई होनी चाहिए | साँस को भरकर कमर और नितम्बो को थोडा सा उठायें | अपने कंधों और एडियों को भूमि पर ही टिका रहने दें | जब आप ऐसी स्थिति में हो जायेंगे तो कम से कम 10 सैकिंड तक रुकें | इसके बाद वापिस साँस को छोड़ते हुए धीरे – धीरे कमर को भूमि पर टीकाएँ | इस आसन को लगभग 5 से 10 मिनट तक करें | इस समय  में यह दो या तीन बार दोहराया जाता है |
सेतुबंध आसन से होने वाले लाभ :- इस आसन को करने से पेट का दर्द , कमर का दर्द , स्त्री का कोई भी रोग , पुरुष का धातु रोग , और नाभि और केंदित करना आदि समस्याएँ दूर हो जाती है |
Prnyam Ke Naam Or Krne Ka Trika
Prnyam Ke Naam Or Krne Ka Trika
भुजंगासन :- इस आसन को करने के लिए पेट के बल सीधे लेट जाएँ | अपनी दोनों हथेलियों को जमीन पर रखते हुए हाथों को छाती के दोनों और रखें | कोहनियों को उपर उठी हुई तथा भुजाओं को छाती से सटा कर रखें | आपके पैर सीधे और पंजे आपस में मिले हुए होने चहिये | पंजे पीछे की ओर तने हुए और जमीन पर टिके हुए होने चाहिए | साँस को धीरे – धीरे अंदर भरते हुए छाती और सिर को उपर की ओर उठायें | नाभि के पीछे वाला हिस्सा जमीन पर टिका कर रखें | सिर को उठाते हुए आप अपनी गर्दन को जितना घुमा सके उतना घुमाएँ | इस पोजीशन में कम से कम 20 से 30 सैकिंड तक अपनी साँस को रोकें | या अपनी क्षमता के अनुसार साँस को रोकें | इसके बाद साँस को छोड़ते हुए अपनी पहले वाली पोजीशन में आ जाएँ |
इस आसन को करने से होने वाला लाभ:- इससे सरवाइकल स्पोंडलाइट्स , पेट के रोग , स्लिपडिस्क और स्त्री को होने वाले रोग में लाभ मिलता है |
शलभासन को करने का तरीका :- इस आसन को करने के लिए पेट के बल सीधे लेट जाएँ | अपने दोनों हाथों को अपनी जंघाओ के नीचे लगायें | इसके बाद साँस को अंदर भरकर अपनी दाई पैर को उपर उठायें | लेकिन आपके घुटने नही मुड़ने चहिये | अपनी ठोड़ी को जमीन में टिका लें | इसके बाद केवल 10 सैकिंड अपनी साँस को रोकते हुए साँस को बाहर निकालें | और अपने पैरों को नीचे की ओर ले आयें | इस आसन को कम से कम 4 से 5 बार अवश्य करें | अगले चरण में अपनी दोनों टांगों को एक साथ उपर उठाए | जिस व्यक्ति को कमर में दर्द की शिकायत रहती है | उन्हें अपने दोनों टांगों को एक साथ उपर नही उठाना चाहिए |
इस आसन को करने से लाभ :- इस आसन को करने से पेट का दर्द , कब्ज , पाचन से जुडी हुई समस्या , कमर दर्द और सायटिका में लाभ मिलता है |
विशेष जानकरी :- सभी आसनों के आखिर में अपने शरीर को बिल्कुल ढीला छोडकर शव आसन में कम से कम 5 मिनट तक लेटे | इससे आपको रिलीफ मिलता है |
आँखों का व्यायाम कैसे किया जाता है :- अपनी आँखों की पुतिलियों को क्रमशः बीच – बीच में आराम कराते हुए दाय , बाएं , उपर , नीचे , गोल – गोल घुमाएँ | और इसके साथ ही साथ आँखों को खोले और बंद करें , अपने हाथ के अंगूठे को आंख के सामने रखकर देखें | पास से देखें और दूर रखकर देखें | इसके आखिरी के चरण में आँखों को ऊष्मा दें |
भ्रामरी प्रणायाम किस तरह से करना है :- अपनी साँस को गहरा लम्बा लेते हुए फेफड़ों में भरें | इसके बाद अपने दोनों कानों में उँगलियों को कानो में डालकर बंद कर लें | इस तरह से बंद करें कि आपको बाहर से कोई भी आवाज ना सुनाई दें | इसके बाद मुंह और होठों को बंद करके अपनी जीभ को तालू पर  लगाकर ॐ का एक लम्बा उच्चारण करें | जिस तरह जब कोई भवरा उड़ता है और जो ध्वनी उत्पन्न करता है | ठीक उसी प्रकार की आवाज आपको सुनाई देगी | जब आपकी साँस नाक में गूंज रही होगी उस समय आपके मष्तिष्क में एक तरह का कम्पन होगा | इस प्रणायाम को करते हुए अपना ध्यान ना भटकायें | इस आसन को एक दिन में कम से कम 4 से 5 बार दोहरायं | इससे आपका नम एकग्र होता है | आपकी याददास्त तेज होती है , मानसिक तनाव दूर हो जाता है | इसके आलावा ब्लडप्रेशर हाई , दिल से जुडी हुई बीमारी और उत्तेजना आदि में लाभ मिलता है |
उध्गीरथ प्रणायाम करने का तरीका :- इस प्रणायाम को करने के लिए एक गहरी लम्बी साँस अपने फेफड़े में भरें और प्रणव का लम्बा उच्चारण करें | अर्थात नाभि की गहराई से करें | साँस भरने के लगभग 5 सैकिंड में छोड़ दें | इसके बाद इस प्रिकिया को दोहराएँ | और स बार 10 सैकिंड के बाद साँस को छोड़ें | अपने स्वर को मधुर और लय में रखें | इस किर्या में आधे समय में ओ का और बाकी के आधे समय में म का उच्चारण करें | इस प्रणायाम को एक दिन में कम से कम 4 से 5 बार करें |
इस असना को करने से होने वाला लाभ :- इस आसन को करने से एकग्रता आती है | इसके आलावा मेरुदंड , फेफड़े मजबूत होते है | आपकी साँस की गति पर नियन्त्रण होता है और साथ ही मानसिक शन्ति भी मिलती है |
Jim Or Prnayam Mein Kya Antr Hota Hai
Jim Or Prnayam Mein Kya Antr Hota Hai
सिंहनाद आसन :- इस आसन को करने के लिए वज्रासन की मुद्रा में बैठकर थोडा झुकते हुए अपने दोनों घुटने के बीच में हथेली को भूमि पर पीछे की ओर टिकाकर बैठ जाएँ | इसके बाद अपनी गर्दन को मोड़ें | इसके बाद साँस को भरकर अपने मुंह को खोलकर जीभ बाहर निकालकर , उपर की और गर्दन करके अपनी आँखों को फैलाएं | इसके बाद गले से शेर की तरह दहाड़ें | इस स्थिति में कुछ देर रुक जाएँ | इस आसन को एक दिन में कम से कम 2 या 3 बार करें | जब आप सिंह आसन करके हट जायेंगे तो अपने गले से लार को छोड़ते हुए हल्के हाथ से गले की मालिश करें |
इससे होने वाला लाभ;- इस आसन को करने से गले की खराश दूर हो जाती है | इसके आलावा टोंसिल थायराइड और गले से जुडी हुई समस्त समस्या दूर हो जाती है |
विशेष बात :- जो व्यक्ति तुतलाकर बोलता है ,या साफ़ से नही बोलता उसके लिए यह आसन बेहद लाभदायक होता है |
साँस पर ध्यान रखें :- इस आसन में अपनी आँखों को बंद करके साक्षी भाव से साँस का निराक्ष्ण करें | आपने अपने प्रयत्न से ना तो लेना है और ना ही छोड़ना है | जिस तरह से भी आपकी साँस चल रही है | उसे अपने अन्तर्मन से देखें | इस आसन को रोजाना सुबह के समय कम से कम 2 से 3 बार करें | इस आसन को करने से साँस की गति पर नियन्त्रण होता है , एकग्रता आती है , जागरूकता बढती है , और आपके मन के ख्याल शांत हो जाते है |
विशेष जानकारी :- आँखों को बंद करके आसन को करने से एकग्रता बढती है , मन की चंचलता दूर हो जाती है और इसके साथ मानसिक तनाव भी नही होता है |
व्यायाम और जिम जाने में क्या अंतर होता है | इस बारे में कुछ जानकारी :- सबसे पहले बात करते है जिम जाने से क्या होता है |
1.    शरीर के केवल बाहरी मशपेशियों और मसल को कड़ा बनती है और मजबूत बनती है |
2.    इसे करने से आलस और थकावट आती है | इसके आलावा दूसरा कोई मेहनत का काम करने की इच्छा नही होती |
3.    जो व्यक्ति अधिक बूढ़े हो जाते है या कोई स्त्री , कमजोर व्यक्ति या कोई बड़ा व्यक्ति इसे नही कर सकते |
4.    जिम करने के लिए अधिक समय और शक्ति की आवश्यकता होती है |
5.    खेल , व्यायाम में हम दुसरे व्यक्ति पर निर्भर होते है | जिसके कारण हम व्यायाम नही कर सकते |
6.    हल्के अभ्यास को करने से शरीर में कठोरता आती है भारीपन आता है | जिसके कारण बढती हुई उम्र में वात का रोग , गठिया का रोग , आदि होने की संभवना अधिक बढ़ जाती है | आपका शरीर कम आयु का हो जाता है | जैसे पहलवान और कुश्ती लड़ने वालो का शरीर होता है |
7.    यदि आप जिम को कुछ समय करने के बाद छोड़ देते है तो आपको कब्ज आदि की समस्या हो जाती है | इसके आलावा आपने जो पीछे जिम जाने में परिश्रम और शक्ति खर्च की थी , उसका भी कोई परिणाम नही होता है | जिम दोबारा जाने के लिए आपको दोबारा से अधिक मेहनत करनी पड़ेगी |
8.    जिम जाने का कोई महत्व नही होता है | जिम केवल जो व्यक्ति स्वस्थ होता है | उनके लिए अच्छा होता है |
9.    शरीर के सभी हिस्सों पर एक बराबर नियन्त्रण नही होता | इसकेआलावा इससे शरीर की छोटी – छोटी शक्तियों का विकास भी नही हो पाता है |
योगसानो से होने वाले लाभ :- शरीर के अंदर और बाहर दोनों को शक्ति मिलती है | मासपेशियाँ लचीली बनती है | आपका शरीर पुष्ट और सुद्रढ़ बनता है |
योगसानो के प्रयोग से शरीर में फुर्ती , ताजगी और हल्केपन का एहसास होता है | इसके आलावा कोई दूसरा मेहनत का काम करने में भी मन लगा रहता है |
योगासन को सभी उम्र के व्यक्ति आसानी से कर सकते है | जो व्यक्ति अपने जीवन में अधिक व्यस्त रहता है | वह भी केवल 10 मिनट समय निकालकर योगासन कर सकते है |
केवल 10 से 15 मिनट का समय ही बहुत होता है | योगासन करने के लिए और आपके शरीर को स्वस्थ रखने के लिए |
योगासन को किसी भी वस्तु स्थान या किसी विशेष व्यक्ति पर आश्रित नही होता | आपकी जब इच्छा हो कर सकते है |
इसके रोजाना प्रेक्टिस करने से शरीर मुलायम , लचीला और सहनशीलता बनता है | आपके शरीर से बीमारी दूर भाग जाती है | आपको लम्बी आयु और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है | इसके अलाबा योग आसन को करने से वात , गठिया का रोग , भी नही होता है |
Yogasan Or Pranyam Se Hone Vale Laabh
Yogasan Or Pranyam Se Hone Vale Laabh
यदि आप कुछ समय के लिए योगासन छोड़ भी देते है | तो शरीर में किसी भी प्रकार का कोई दर्द नही होता है | साथ ही इन आसनों का प्रभाव भी देखने को मिलता है |
आज के डॉक्टर्स का भी यह मानना है की योग और प्रणायाम हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते है | इससे हमारे शरीर की छोटी से बड़ी शक्तियों का विकास होता है |
तो दोस्तों आज हमने आपको योगसानो और प्रणायाम के बारे में कुछ जानकारी दी है | जिससे आप अपने शरीर को स्वस्थ बना सकते है |
  

प्रणायाम का हमारे जीवन के लिए  महत्व ,Prnayam Ka Hmare Jivn Ke Liy Mahtaav , Yogasan Or Pranyam Se Hone Vale Laabh , Jim Or Prnayam Mein Kya Antr Hota Hai , Prnyam Ke Naam Or Krne Ka Trika|

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