संग्रहणी रोग :-
यह रोग पेट से सम्बंधित है , इस रोग में शरीर के अंदर वसा
की मात्रा कम हो जाती है , रोगी को प्रतिदिन ७ से १० बार दस्त जाना पड़ता है , रोगी
के मल का रंग पीला होता है , मल गाढ़ा और तरल होता है , मल को toilet से साफ़
करना भी कठिन होता है क्योकि ये चिपक जाता है , इसका एक दूसरा लक्षण रोगी का शरीर
कमजोर होता है , भूख कम लगती है , शरीर का वजन कम होने लगता है , इस रोग में
विटामिन A व B , की कमी हो जाती है , इसके
कारण रक्त की भी कमी हो जाती है, बच्चों का पेट मोटा व शरीर पतला हो जाता है . इस
रोग को ठीक करने के लिए निम्नलिखित प्रयोग कर सकते है .
सामग्री
:-
1. अफीम = ३ ग्राम
2. बछनाग = ३ ग्राम
3. लौह भस्म = २५० ग्राम
4. अभ्रक भस्म = १५० ग्राम
इन
सभी सामग्रियों को मिला ले और फिर इन्हे दूध में मिलाकर १२५ मिलीग्राम की गोलियाँ बनाकर रोजाना दूध के साथ सुबह - शाम
खा लें । इन गोलियों को खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए । केवल दूध का ही प्रयोग करना चाहिए । इस प्रकार का उपचार करने से संग्रहणी रोग समाप्त हो जाता है ।
2. कुटकी , नीम की छाल , पटोल्पत्र , नीम्बू का रस , इनसबको १
से २ ग्राम की मात्र में गाय के मूत्र के साथ ले संग्रहणी रोग में आराम मिलता है ,
3. इस रोग के उपचार के लिए जायफल , अफीम , कलमी शोरा और लौंग
को लेकर पीस ले फिर इनकी गोलियां बनाकर रख ले , गोलियों का वजन ६० मिलीग्राम हो ,
चूरन बनाने के लिए शहद का प्रयोग कर सकते है .
अफीम से रोगों का इलाज |
अर्श रोग का उपचार :- इस बीमारी को बवासीर भी कहते है । इस रोग के उपचार के लिए धतूरे के पत्तों को पीसकर उसका रस निकाल लें । इस रस में अफीम मिलाकर एक लेप तैयार करे । इस तैयार लेप को लगाने से बवासीर से होने वाली वेदना में जल्दी आराम मिलता है ।
2. यदि किसी मनुष्य को शूल युक्त अर्श है तो उसे रसवंती और अफीम को पीसकर लेप लगाना चाहिए इससे खून निकलना बंद हो जाता है और दर्द में भी आराम मिलता है ।
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