श्याम वर्ण श्री बांके बिहारी का मन्दिर |
श्री बांके बिहारी का मंदिर :- श्री कृष्ण जी
जिसे हम बांके बिहारी भी कहते है | इनका पवित्र मन्दिर मथुरा के वृंदावन में स्थित
है |इस मन्दिर का निर्माण बहुत पुराने गायक तानसेन के
गुरु हरिदास ने करवाया था | इस मन्दिर में अच्छी से अच्छी नक्क्शी की गई है | जिसे
देखने पे लगता है कि श्री कृष्ण आज भी हम सब के बीच में उपस्थित है |
बांके बिहारी का अर्थ :- बांके का अर्थ होता है तीन जगह से मुड़ा हुआ
और बिहारी का अर्थ है सबसे उत्तम उपभोगता | इसलिए इस मन्दिर में रखी हुई श्रीकृष्ण
की मूर्ति त्रिभंगा मुद्रा में है |
श्री कृष्ण की त्रिभंगा मूर्ति |
पौराणिक कथा :- कहा जाता है कि एक हिन्दू पुजारी ने भगवान श्री कृष्ण
की मूर्ति को भूमि के भीतर छुपा दिया था उस समय स्वामी हरिदास इधर से गुजर रहे थे |
उन्होंने इस स्थान पर कुछ देर तक आराम किया | आराम करते समय उन्होंने एक सपना देखा
कि भगवान उनसे मूर्ति निकालने के लिए कह रहे है | तब स्वामी हरिदास ने जमीन को
खोदकर मूर्ति को निकाल लिया | इसके बाद
उन्होंने एक मन्दिर का निर्माण करवाया | यह मन्दिर हिन्दू धर्म के लिए बहुत ही
पवित्र है | इसलिए इस मन्दिर के दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में भक्तगण
यंहा आते है और बांके बिहारी की सुंदर मूर्ति के दर्शन करते है |
बांके बिहारी के मंदिर में श्रीकृष्ण की जो मूर्ति विराजमान है उसका
रंग काला है | इस मूर्ति को देखकर ऐसा लगता है कि भगवान कृष्ण और राधा साक्षात्
हमारे सामने खड़े है | इनके दर्शन करने से मन को अधिक शांति मिलती है |
बांके बिहारी और राधा रानी |
प्रकट उत्सव :- इस मन्दिर में हर साल मार्ग शीर्ष की पंचमी तिथि को बांके
बिहारी के मन्दिर में प्रकट उत्सव मनाया जाता है | बांके बिहारी के मन्दिर में दर्शन
करने वाले भक्त की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है भगवान श्री कृष्ण का आशिर्वाद
अपने भक्तों पर हमेशा बना रहता है | उनकी कृपा से सभी भक्त के कष्ट उर हो जाते है
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