कलाई के व्यायाम
कलाई के व्यायाम का सम्बद्ध भी हमारे हाथों से
होता है लेकिन इसका अपना ही एक अलग महत्व है जो इस प्रकार हैं. मजबूत और शसक्त कलाई बहुत
ही सुंदर लगती है. सुंदर कलाइयों के लिए कुछ व्ययाम दिए गये है जो इस प्रकार है .
पहला चरण – कलाई का व्यायाम को करने
से पहले अपने दोनों पैरों को आपस में मिलाकर सीधे खड़े हो जाए व अपने हाथों को नीचे
ही रखें तथा अपनी कलाईयों को मोड़कर ऊपर-नीचे करें आरम्भ में ये व्यायाम १५ से २०
बार से अधिक न करें तथा धीरे - धीरे इसकी मात्रा बढ़ते जाए. इस प्रकार से आप अपनी
कलाई का व्यायाम बहुत ही आसानी से कर सकते है.
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कलाई के व्यायाम |
दूसरा चरण – इस व्यायाम को करने के
लिए आपको अपने दोनों पैर मिलाकर सीधे खड़े हो जाएं तथा अपने हाथों को अपनी छाती के
सामने की तरफ फैलाएं व अपने हाथ की अंगुलियां और अंगूठे को खोलकर रखें इसके बाद
अपने हाथ के पंजों को १५ से २० बार झटकर ऊपर से नीचे घुमायें इससे आपके हाथों की
कार्यशीलता बढती हैं.
तीसरा चरण – इस चरण में भी आप सीधे
खड़े हो जाए व अपने हाथ को अपनी छाती के सामने फैला ले और अपने अंगूठे को अंदर की
तरफ मोड़कर मुट्टी बन्द कर लें, इस बंद मुट्टी को जोर से भीच ले ऐसा करने से आपके
हाथों की नसों का खिंचाव होगा फिर अपनी मुट्टी को जोर से अर्थात बल पूर्वक खोल
लें. इस क्रिया को १० से १५ बार से अधिक न करें.
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Kalai ki Exercise |
चौथा चरण – इस व्यायाम को करने के
लिए आप अपने हाथों को छाती के सामने की तरफ फैला लें और अपने पंजो को कलाई से
मोड़कर ऊपर की तरफ रखें तथा अपने हाथों को उसी स्थान पर रखते हुए अपने कंधों से इस
प्रकार से बल लगाये मानों जैसे किसी भारी वस्तु को धकेल रहे हों, इसका प्रयास ८ से
१० बार करें. इस व्यायाम को करने के लिए एक और दूसरा तरीका है जैसा की ऊपर बताया
गया है वैसे ही अपने दोनों हाथों की हथेलियों को आमने-सामने करके इसका इस प्रकार
से प्रयास करें मानों किसी ठोस वस्तु को दबाने का अभ्यास कर रहें हो इसका प्रयास
भी आप ८ से १० बार तक प्रतिदिन करें.
पाचवाँ चरण – पाचवाँ चरण करने के लिए
आप अपने दोनों हाथों को पैरों के बराबर फैला लें फिर अपने हाथों की अंगुलियों को
पूरा बल लगाकर खोलें तथा अपनी अँगुलियों में खिचाव बनाते हुए अंगुलियों को बन्द
करने का अभ्यास करें मानों जैसे किसी ठोस वस्तु को पकड़ रहें हों अर्थात् अपने
हाथों को छाती के सामने फैलाकर इसका ८ से १० बार अभ्यास करें.
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हाथों के व्यायाम |
छटवां चरण – इस चरण का सम्बद्ध भी
आपके हाथों की कलाई से हैं, इस चरण को करने के लिए अपने दोनों हाथों को पैरों के
बराबर फैला लें फिर अपनी हथेलियों को कलाईयों से मोड़ते हुए नीचे की तरफ झुकाएं इस
व्यायाम को करते समय आपको अपनी अँगुलियों को बिल्कुल ढीला छोड़ देना है मानों जैसे
उसमें बल ही नहीं हैं इस प्रकार से आप अपनी अँगुलियों को रखते हुए आधे से एक मिनट
तक जोर-जोर से हिलाते हुए अपने हाथों को
छाती के सामने फैलाकर प्रयास करें.
सातवाँ चरण – यह व्यायाम आपके लिए
बिल्कुल आराम दायक है और इसे आप बड़ी ही आसानी से कर सकते है, सबसे पहले आप पालथी
लगाकर बैठ जाएं फिर अपने दोनों हाथों को सामने की तरफ फैलाएं व अपने हाथों को दाएं
से बायीं और इस तरह से घुमाएं मानों जैसे आप गेहूं पीसने की चक्की चला रहे हों यह
प्रयास बारी-बरी से एक-एक हाथ से भी कर सकते हैं.
लाभ – इस व्यायाम को करने से
आपकी बाहें और कलाईयां मजबूत व ताकतवर होती है व गर्भाशय में लोच उत्पन्न होने
लगता हैं.
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निरोगी बाहें , कलाइयों की एक्सरसाइज |
आठवाँ चरण – इस व्यायाम का अभ्यास हम
अपनी बांह और बाजुओं को मजबूत बनाने के लिए करते है, इस व्यायाम को करने के लिए आप
सबसे पहले पालथी लगाकर बैठ जाए फिर अपने दोनों हाथों को कंधों के बराबर फैला लें
ये ध्यान रखें की आपकी अंगुलियां व अंगूठे आपस में मिली हुई होनी चाहिये तथा फिर
अपने हाथों को अपनी कोहनी से मोड़कर कंधों पर झुकाने की कोशिश करे तथा अपनी अंगुली
कंधें पर रखते हुए अपनी कोहनियों को गोल-गोल करके ऊपर व नीचे की तरफ घुमाएं, यह
अभ्यास ८ से १० बार जरुर करें, इस व्यायाम को बैठकर करने के बजाएं हम इसको खड़े
होकर भी कर सकते है तथा इससे हमारे पूरे हाथों की नसों में खून की तीव्रता बढ़ेगी
और हाथों की मसल्स भी एक्टिव होती है .
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