वासा
का पौधा एक प्रकार का झाड़ीदार होता है । यह एक
प्रकार की आयुर्वेदिक दवाई है । इसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के रोग ठीक करने के लिए किया
जाता है। इसकी पहचान कुछ इस प्रकार है। इसके पत्ते की लम्बाई और चौड़ाई ३-८
इंच के होते है । इसके दोनों ओर नोक होती है । वासा के फूलो का रंग सफेद होता है और इसकी लम्बाई २-३
इंच की होती है । इस पोधे के फूल फ़रवरी या मार्च में उगते है ।
वासा पौधा का उपयोग आवाज ठीक करने के लिए, दिल
की बीमारी के लिए , पित्त, कफ , रक्तविकार
साँस की बीमारी , खांसी , बुखार ,प्रमेह , कोढ़ तथा क्षय जैसी बड़ी बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है । वासा साँस की बीमारी के लिए विशेष रूप से लाभकारी है । इसके उपयोग करने से शरीर में जमा हुआ कफ बाहर निकलता है तथा साँस नलिकाओं को ठीक प्रकार से चलाता है । साँस की नलिकाओं जब ठीक प्रकार से फैलने लगती है तो दमे से पीड़ित रोगी का साँस फूलना कम हो जाता है । यदि किसी को कफ के साथ खून भी आता है तो वासा के उपयोग करने से यह ठीक हो जाता है ।इस प्रकार वासा के प्रयोग से कंठ , खांसी , और ,साँस ,की बीमारी ठीक होती है । वासा का प्रयोग करने से रक्त शुद्ध होता है यह छोटी रक्त वाहिनियों को संकुचित करता है जिससे खून का भार कुछ कम होता है । वासा की पत्तियों का लेप दर्द को कम करने के लिए , और
कोढ़ को दूर करने के लिए किया जाता है । यह एक गुणकारी औषधि है ।
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