सेनेटरी नैपकिन्स से
होने वाली गंभीर बीमारियाँ
सेनेटरी नैपकिंस का
प्रयोग हर घर की महिलाएँ एवं लड़कियां मासिक धर्म के दौरान करती हैं. इसलिए यह महिलाओं
व लड़कियों के लिए एक बहुत ही आवश्यक वस्तु भी बन गयी हैं. जिनके बिना महिलाओं या
लड़कियों का काम ही नही चल सकता. लेकिन क्या आप जानती हैं कि सेनेटरी नैपकिन्स का
प्रयोग करने से आपको कई प्रकार की घातक बिमारियों के होने की सम्भावना रहती हैं
जिनके बारे में जानकारी नीचे दी गई हैं.
सेनेटरी नैपकिंस
कैसे बनाएं जाते हैं.
प्रत्येक सेनेटरी
नैपकिंस को बनाने के लिए सुपर एब्जॉर्बेंट पॉलीमर्स ( जेल ), ब्लीच किये हुए
सेलुलोज वुस पल्प, सिलिकॉन पेपर, प्लास्टिक, रुई, तथा डियोडेरेंट आदि का प्रयोग
करके बनाया जाता हैं. इन सभी चीजों का प्रयोग करके बनाये गये सेनेटरी नैपकिंस को
ही बाजार में ब्रांडेड नैपकिंस के रूप में बेचा जाता हैं.
सेनेटरी नैपकिन्स से होने वाली गंभीर बीमारियाँ |
सेनेटरी नैपकिंस से होने वाले रोग
१.
डायोक्सिन - सेनेटरी नैपकिंस को बनाने के लिए डायोक्सिन का
उपयोग भी किया जाता हैं. क्योंकि डायोक्सिन सेनेटरी नैपकिंस को सफेद रखने में मदद
करता हैं. लेकिन डायोक्सिन की वजह से ही आपको हार्मोन डिस फंक्शन, मधुमेह, थायराइड
तथा ओवेरियन कैंसर जैसी भयंकर बिमारियों के होने का भी खतरा होता हैं. भले ही
नैपकिंस बनाते समय डायोक्सिन का प्रयोग बहुत ही कम मात्रा में किया जाता हैं.
लेकिन नैपकिंस का लगातार प्रयोग करने के कारण ये बीमारियाँ महिलाओं को तथा लड़कियों
को हो सकती हैं.
२.
रेयॉन –
नैपकिंस को बनाते समय इसमें रुई के साथ – साथ रेयॉन का भी प्रयोग किया जाता हैं.
क्योंकि इसका प्रयोग करने से नैपकिंस की सोखने की क्षमता अधिक बढ़ जाती हैं. लेकिन
यह भी महिलाओं एवं लड़कियों के लिए नुकसानदेह होता हैं. क्योंकि इसमें भी कुछ
मात्रा डायोक्सिन की मिलाई जाती हैं.
इसके साथ ही जब कपास की खेती रुई का उत्पादन
करने के लिए किया जाता हैं. तो इसकी अत्यधिक उपज के लिए कपास के खेतों में कई
प्रकार के पेस्टीसाइड का छिडकाव किया जाता हैं. जिसमें सबसे प्रभावी फुरान नामक
केमिकल होता हैं. जब रुई का उत्पादन होता हैं तब उसमें कुछ मात्रा इस केमिकल की रह
जाती हैं. जिसके कारण ही महिलाओं एवं लड़कियों को थायराइड, डायबिटीज. निसंतानता, अवसाद
जैसी बिमारियों का सामना करना पड़ता हैं.
Sanitary Napkins Se Hone Vali Gambhir Bimariyan |
३.
इसके अलावा नैपकिंस को बनाते समय उस पर डियो का
छिडकाव किया जाता हैं ताकि उनमें से हल्की खुसबू आ सकें. यह डियो भी महिलाओं तथा
लड़कियों के लिए हानिकारक होता हैं. जिसके चलते उन्हें स्कीन एलर्जी होने का खतरा
रहता हैं.
४.
जब कोई भी महिला या लड़की सेनेटरी नैपकिंस का
लम्बे समय तक प्रयोग करती हैं तो इससे उनके वेजाइना में स्टेफिलोकोकास ऑरेयस नामक
बैक्टीरिया पनप जाते हैं जिससे उन्हें डायरिया, ब्लड प्रेशर तथा बुखार आदि के होने
की सम्भावना रहती हैं.
सेनेटरी नैपकिंस के स्थान पर प्रयोग किये जाने
वाले नैपकिंस
१.
ऑर्गेनिक क्लॉथ पैड्स - अगर
आप चाहती हैं कि आपको किसी भी प्रकार की कोई बीमारी न हो तो इसके लिए आप ऑर्गेनिक
क्लॉथ पैड्स का इस्तेमाल कर सकती हैं. क्योंकि इन्हें बनाने क लिए केवल रुई, बांस
और जूट का उपयोग किया जाता हैं. इनका प्रयोग आप बिना कोई संदेह के कर सकते हैं.
बल्कि इसका प्रयोग आप अनेक बार धोकर भी कर सकती हैं. इन पैड्स की एक और विशेषता यह
हैं कि ये पर्यावरण की दृष्टि से भी नुकसानदेह नही हैं.
२.
मेंस्ट्रुअल कप - मेंस्ट्रुअल कप उन महिलाओं एवं
लड़कियों के लिए करना काफी उत्तम रहता हैं. जो अपना अधिकतर समय घर से बाहर व्यतीत
करती हैं, और जिन्हें दिन भर भागदौड करनी पड़ती. क्योंकि इन्हें बनाने के लिए गम
रबर का प्रयोग किया जाता हैं. जिनसे महिलाओं को असहज महसूस बिल्कुल नही होता और वो
अपना पूरा दिन बिना किसी परेशानी के व्यतीत कर पाती हैं. भले की इसकी कीमत बहुत
अधिक हैं. लेकिन यह आपके लिए काफी उपयोगी भी सिद्ध होते हैं. क्योंकि इनका
इस्तेमाल आप 10 साल तक बिना किसी परेशानी के कर सकती हैं.
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