हरीतकी (हरड) के उपयोग
हरीतकी या हरड को गुड के साथ खाने से हर प्रकार की बीमारी ठीक हो जाती है |
हरीतकी को भूनकर हल्के गर्म पानी के साथ खाने से मनुष्य के शरीर के त्रिदोष का
नाश होता है |
हरीतकी को पीसकर खाने से मल का शोधन
होता है |
जिस व्यक्ति को जठरग्नी की बीमारी है तो उस व्यक्ति को आयुर्वेदिक औषधी
हरीतकी को चबा – चबाकर खाना चाहिए | इसके
प्रयोग से जठराग्नि की बीमारी दूर हो जाती है |
हरीतकी को सेंधा नमक के साथ मिलाकर खाने से कफज का रोग ठीक हो जाता है |
हरीतकी को खाना खाने के साथ सेवन करने से बुधि , बल और इन्द्रियों को शक्ति
मिलती है | इसके आलावा मल और मूत्र का विरेचन होता है और त्रिदोष का नाश होता है |
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हरीतकी को पानी में उबालकर इसका काढ़ा तैयार कर लें | इस काढ़े का सेवन करने से
मल का स्तम्भन होता है |
हरीतकी को शक्कर या गुड के साथ प्रयोग करने से पित्तज की बीमारी ठीक हो जाती
है |
हरीतकी को गाय के धृत के साथ खाने से वात से जुडी हुई समस्या ठीक हो जाती है |
विशेष बात :- हरीतकी का उपयोग गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए | यह उनके
लिए नुकसानदायक हो सकती है |
इस औषधी का उपयोग मौसम के अनुरूप करना चाहिए | जैसे :- सर्दी के मौसम में
हरीतकी के चूर्ण को और शर्करा को एक समान मात्रा में मिलाकर प्रयोग करना चाहिए |
बारिश के मौसम में सेंधा नमक में मिलाकर हरड प्रयोग करे |
बसंत में इस औषधी में शहद और गर्मी के मौसम में गुड़ के साथ इस्तेमाल करना
चाहिए |
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