History of Diwali in Hindi | दीपावली का इतिहास | Diwali Festival Essay in Hindi | दीपावली का महत्व

दीवाली का त्योहार 

कार्तिक मास की अमावस्या को दीवाली का त्यौहार मनाया जाता है | पौराणिक कथा के अनुसार आज के दिन ही समुन्द्र मथन के दौरान धन की देवी लक्ष्मी जी और आरोग्यता के देवता भगवान धवन्तरी प्रकट हुए थे. |इस लिए दीवाली के द धन की देवी माता लक्ष्मी और हर विघ्न को हरने वाले और रिद्धि सिद्धि देने वाले गणपति जी की पूजा करना महत्व पूर्ण माना जाता है |  दीवाली के दिनों में करीब एक महीने पहले दीवाली की तैयारी शुरू हो जाती है सभी लोग और दुकानदार अपने घरो और दुकानों में सफेदी व रंग रोगन करवाते है |

दीवाली के दिन अपने घरो को रंग बिरंगी लाईटो से सजाते है | और दुकानदारों के नये बही खाते शुरू होते है

History of Diwali in Hindi | दीपावली का इतिहास, Diwali Festival Essay in Hindi , दीपावली का महत्व
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 दीवाली यानि दीप माला या आप इससे रौशनी का भी त्यौहार भी कह सकते है पूरे भारत वर्ष में ये बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है | बच्चे, बूढ़े, जवान औरत पुरुष सभी लोग इस त्यौहार को ख़ुशी के साथ मनाते है | इस दिन भगवान श्री राम राक्षसराज रावण को मार कर माता सीता और लक्ष्मण सहित अयोध्या वापस आये थे | तब अयोध्या वासियों ने देसी घी के दियें जला कर उनका स्वागत किया था | तभी से दीवाली का त्यौहार मनाने की परम्परा शुरू हुई | लेकिन हर वर्ग (समुदाय) के लिए दीवाली मनाने का अपना एक अलग कारण है | दीवाली को त्यौहार की श्रंखला भी कहा जाता है क्योंकि यें अकेले नहीं आती बल्कि इसके साथ पांच त्यौहार और आते है और वे सभी साथ में  मनाएं जाते है जैसे :- दीवाली से दो दिन पहले धन तेरस, नरक चतुर्दर्शी (छोटी दीवाली), गोवर्धन पूजा और भाई दूज मनाया जाता है |

धन तेरस : कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धन तेरस मनाया जाता है | इस दिन धरती पर आरोग्य के देवता धन्वन्तरी की पूजा की जाता है और इस दिन नये कपड़े बर्तन और सोने या चांदी के गहने खरीदना बड़ा शुभ माना जाता है और धन तेरस से दीवाली की शुरुआत होती है | धन तेरस के दिन से ही घी का एक दीया जला कर धन की देवी माता लक्ष्मी को बुलाया जाता है |  

नरक चतुर्दशी : धन तेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी को मनाया जाता है | इस दिन को हम छोटी दिवाली के नाम से भी मनाते है | इस दिन एक बड़ा दीया देसी घी का जलाया जाता है और उसमे 5 गेहूँ, चावल या बाजरे के दाने  भी डाले जाते है | और अपने घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है | और साथ में 6 दीये भी जलाये जाते है | घर के अलग अलग हिस्सों में रखे जाते है और इस दीये को यम का दीपक भी खा जाता है और शास्त्रों के अनुसार यह मान्यता है की जो लोग अपने घर के मुख्य द्वार पर नरक चतुर्दशी वाले दिन घी का दीपक रखते है उनको और उनके परिवार वालो को अचानक होने वाली मृत्यु का भय नहीं होता | 

 कुछ लोगो की धारणा  है की आज के दिन  भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी दुष्ट नरकासुर नामक राक्षस को मार कर 16000 लडकियों को उसकी कैद से छुडुवा कर उन सभी से विवाह किया था | तो इसी कारण लोगों ने घी के दीये जला कर अपनी ख़ुशी को व्यक्त किया था |

जैन धर्म के लोगों का मानना है की आज के ही भगवान महावीर का शरीर पूरा हुआ था और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और जैन धर्म के लिए ये दिन बहुत विशेष माना जाता है |

नरक चतुर्दशी, धन तेरस, दीपावली पर निबंध, दीपावली क्यों मनाई जाती है,
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  हमारे शास्त्रों के अनुसार  जब धरती पर हिरण्यकश्यप के अत्याचार से चारो तरफ हाहाकर मचा हुआ था, तब भगवान् विष्णु जी ने आज के दिन नरसिहं अवतार लिया था और हिरण्यकश्यप का अंत किया था |

अमवस्या वाले दिन दीवाली का त्यौहार भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में जहाँ भी हिंदु धर्म के लोग बसे है वहाँ पर यह दीवाली का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाते वही एक दूसरे को मिठाई, कपड़े और तोहफे देते है, बच्चे पटाखे जलाकर अपनी खुसी का इजहार करते है | और रात्री में  माँ लक्ष्मी जी को निमंत्रण देते है, पूरे विधि विधान से उनकी पूजा की जाती है और उनको अपने घर निवास के लिए पुकारते है, जिससे उनके घर में सुख शांति और समर्धि सदा के लिए बनी रहे. 

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