दीवाली पूजन की सामग्री :
लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति सोने चांदी या आप मिट्टी की बनी हुई भी ले सकते है |
लक्ष्मी गणेश जी के नये कपड़े और गहने गुलाबी या पीले रंग के |
जल का लोटा , 2 बड़ा घी के दीये और बाकि छोटे अपनी श्रद्धानुसार ले सकते है जैसे 11, 21,51, 101 | गुलाब या कमल के फूल, केवड़ा, चन्दन का इत्र, फल, अनार, सिघाड़े, नारियल, बेर, या केला | खील बताशे और खिलोने, कुमकुम, कलावा, अक्षत, धूप और अगरबत्ती, साबुत हल्दी, पान के पत्ते, सुपारी, दूर्वा, इलाइची, लोंग , जायेफल, सिंदूर, बही खाता, रूपये, गहने और एक चांदी का सिक्का, घर की बनी कोई भी शुद्ध मिठाई या हलवा और पूरी | शुद्ध देशी घी, तिल का तेल , सरसों का तेल | गाय का दुध कच्चा , गंगा जल, दही, शहद, और शक्कर, फूलो की मालायें, ऊन का आसन |
दीवाली की पूजा करने की विधि :
दीवाली के दिन सबसे पहले अपने घर को धो ले उसके बाद जिस भी स्थान पर आपको
लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन करना है उसे अच्छी तरह से साफ करे और रोशनी और फूलों
से सजा ले | पूजा शुरू करने से पहले इस बात का ख्याल रखे की माँ लक्ष्मी और गणपति
जी का मुहँ पूर्व या पश्चिम दिशा में हो तो आपको
पूजा का विशेष लाभ मिलता है | सबसे पहले लक्ष्मी और गणपति जी को गंगा जल से
स्नान कराये और उन्हें नये वस्त्र और आभुष्ण धारण करायें |लकड़ी की चौकी पर लाल रंग
का कोरा कपड़ा बिछाएं और उसके ऊपर माता लक्ष्मी जी के सीधे हाथ की तरफ गणपति जी को स्थान दे | अक्षत की एक ढेरी बनाकर
उसके ऊपर जल का लोटा रखे और उसके अन्दर आम के पत्ते रखे और फिर उसके ऊपर नारियल (श्री
फल) को रखे | एक दीये में घी और एक में तिल का तेल भरे | लकड़ी की चौकी की दाहिनी
तरफ तेल का दीया रखे और घी का दीया लक्ष्मी और गणपति जी के चरणों में रखे | सबसे
पहले गंगा जल से हाथ धो कर, पूजा की थाली में कुमकुम से ॐ या स्वस्तिक का बनाएं
उसके बाद थालियों में पूजा का सभी समान
रखे |
पवित्र गंगा जल मुर्तिओं पर छिडके दे उसके पूरे
मन्दिर के साथ साथ खुद ऊपर भी छींटे मारे और पवित्र करे | फिर अपने हाथ में जल, फूल और चावल के दाने और
कुछ पैसे भी ले कर संकल्प ले और अपना नाम
ले और स्थान का नाम जहाँ पर आप रहते है और जिस भी देवी या देवता की पूजा कर रहे
उनका नाम ले कर कहे की मेरे द्वारा की हुई पूजा का पूरा फल दे, और मन ही मन धारण करे कि हे माता अपना आशीर्वाद
और कृपा मुझ पर और मेरे परिवार पर बनाये रखे | श्री गणेश जी और माँ लक्ष्मी जी की पूजा
करे | और एक करके सारी सामग्री उनको अर्पित करे | सबसे पहले कुमकुम का तिलक लगायें
फिर फूल माला पहनाये उसके बाद पान के पत्ते ,सुपारी, फल, पंचामृत और मिठाई का
भोग लगाये | और दिवाली की कथा पढनी शुरू
करे |
पुराने समय की बात एक गाव में एक गरीब ब्राह्मण और उसकी बेटी रहती थी वो लडकी
हर रोज पीपल के पेड़ की पूजा करती थी उस पेड़ में लक्ष्मी जी का निवास था एक दिन पीपल के पेड़ से माँ लक्ष्मी आई और बोली
क्या तुम मेरी सखी बनोगी ? अगले दिन वो
फिर पीपल के पेड़ की पूजा करने आई और पूजा करने के बाद लक्ष्मी जी ने फिर उस लडकी से कहा कि “क्या तुम मेरी सखी बनोगी”, तब लडकी ने कहा की मैं अपने पिता से पूछ कर बताउगी और उस लडकी
ने अपने पिता को बताई तो और पूछा क्या मैं उनको अपनी सखी बना लू और अपने पिता की
आज्ञा से उसने लक्ष्मी माता जी को अपनी सहेली बना लिया. फिर हर रोज दोनों देर तक
बातें करती और साथ खेलती | फिर एक दिन लक्ष्मी जी कहा की तुम मेरे घर खाना खाने
चलो तब लडकी ने कहा की अपने पिता की आज्ञा के बाद ही मैं आपके साथ चलुगी तब पिता
की आज्ञा से वो लक्ष्मी जी के साथ उनके महल में गयी माता लक्ष्मी जी का धन – वैभव
देख कर वो हैरान थी |
लक्ष्मी ने उसे हीरे मोती से जड़ी छड़ी की चौकी पर बैठाया और
एक बहुत सुन्दर शाल ओढने को दिया और सोने की थाली में नाना प्रकार के व्यंजन खाने
को दिये | उसके बाद लक्ष्मी जी ने कहा “मेरी
सखी अब मैं भी तुम्हारे घर भोजन
जीमने आउगी” | लड़की अपने घर वापस आ गई
लेकीन वह बहुत उदास थी पिता के पूछने पर
बताया की माँ लक्ष्मी तो धन की देवी है और हमारे घर भोजन के लिए आना चाहती है हम
बहुत गरीब है और मैं कैसे उनको प्रसन्न करुगी ? इस पर पिता ने कहा की बेटी तू
उन्हें बुला ले जो भी बनाएं वही प्रेम और श्रद्धा से खिला देना | उसने माता
लक्ष्मी को अपने घर बुलाया सबसे पहले उनके पैर धोये फिर बैठने के लिए चौकी दी, फिर
खाने में हलुवा पूरी दी. उसका प्रेम देख कर माता की आँखे भर आई और वहाँ से वापस कर
आ गई | अगले दिन जब लडकी की आँखे खुली तो वो झोपडी की जगह महल में थी और उसे ये
समझते देर नहीं लगी की जो हुआ वो लक्ष्मी
माता के आशीर्वाद से हुआ है |
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|| हे लक्ष्मी माता जैसे आपने उस लड़की को
बिना मांगे सब कुछ दिया वैसा सौभाग्य हमें भी देना ||
कहानी पढने के बाद लक्ष्मी माता और गणेश जी की आरती के और दीये जलाकर अपने घर
के हर कोने में रखे और सभी को प्रसाद बांटे | इस दिन लोग आतिश बाजी भी करते जिससे
ध्वनि और वायु pollution फैलता है जो हमारे लिए और वातावरण के लिए भी नुकसानदायक
होता है |
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