करवा चौथ की व्रत कथा | Karwa Chauth Katha Hindi | करवा चौथ व्रत नियम

करवा चौथ के व्रत की कथा का विधि विधान : -

करवा चौथ का व्रत कार्तिक मॉस के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन रखा जाता है | करवा चौथ का व्रत पूरे भारत में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है | यह व्रत निर्जला रखा जाता है | अगर आप भूखी नही रह सकती तो व्रत शुरू करने से पहले आप सूर्योदय से पहले उठ कर आप फलाहार या खोये से बनी मिठाई, फल, मेवे का सेवन कर सकती है | या शाम को 4:00 बजे करवा चौथ की व्रत कथा सुनने के बाद और सूरज को अर्ध्य देने के बाद चाय या दूध सेवन कर सकती है |  सुहागनें पूरा साल करवा चौथ के व्रत का इंतज़ार करती है | और अपने पति की लम्बी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती है | और अपनी करवा चौथ को यादगार बनाने के लिए एक महीने पहले से ही तैयारियां शुरू कर देती है |  खुद को सजाने सवारने और सबसे सुंदर दिखने के लिए साड़ी, गहने, और चूड़ियों और कंगन की खरीदारी शुरू कर देती है |  करवा चौथ से एक दिन पहले सुहागने अपने हाथो में मेहन्दी लगवाती है | करवे के दान से आपको सौभाग्य, सुख-समृद्धि, अमर सुहाग और पुत्र की प्राप्ति होती है ऐसा हमारे शास्त्रों में लिखा है जो भी सुहागन करवा दान करती है उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है |  और चन्द्रमा को अर्ध्य देकर यह व्रत सम्पन्न किया जाता है क्योकी भगवान के सिर पर चन्द्रमा वीराज मान होते है और इसी कारण चन्द्रमा को अर्ध्य दिये बिना  भगवान शिव और माँ गौरी जी का व्रत पूरा नहीं होता |        
  
करवा चौथ की व्रत कथा , गणेश विनायक जी कहानी , करवा चौथ की व्रत के जरूरी सामान
करवा चौथ की व्रत कथा , गणेश विनायक जी कहानी , करवा चौथ की व्रत के जरूरी सामान
 करवा चौथ की व्रत के जरूरी सामान : - 


सबसे पहले आप मिटटी का करवा ले या आप ताम्बे, पीतल, या चांदी का करवा भी ले सकते है, एक कटोरी में अक्षत, एक कटोरी में बाजरा | देसी घी का दीपक | धूप और अगरबत्ती, सिन्दूर, काजल, रोली, कलावा, साफ जल का लोटा प्रसाद : फल, मिठाई, मेवा और जो भी आपने पकवान बनाए है

करवा चौथ की व्रत कथा : गणेश विनायक जी कहानी

करवा चौथ के दिन कथा सुनना भी जरूरी होता है इस कथा को सुने बिना आपका व्रत पूरा नहीं माना जाता है |  एक सेठ था उसके सात बेटे और एक बेटी थी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे और हमेशा भोजन के समय पहला निवाला अपनी बहन को खिलते थे और बाद में खुद भोजन खाना शुरू करते थे | करवा चौथ का व्रत कार्तिक मॉस के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन सेठानी और उसकी बहुओं और उसकी बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा | रात को  जब सेठ के सभी लडके खाना खाने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन को भी भोजन के लिए बुलाया परन्तु उसने अपने भाइयों से कहा की आज मेरा करवा चौथ का निर्जला व्रत रखा है और  मैं चाँद को अर्ध्य देने के बाद ही भोजन करुगी | उनकी बहन भूख और प्यास से दुखी है यह देख कर उन  सातों भाइयो को बड़ा दुःख हुआ | उसके बाद सातों भाई नगर के बाहर चले गये  और एक भाई  पीपल पेड़ पर चड़ गया | दूसरे भाई ने एक दीपक जला कर छलनी के पीछे रखा जिससे दूर से देखने  पर ऐसा लगे की चाँद हो |  फिर उसके भाई ने कहा की बहन चाँद निकल आया है अब तुम जल्दी से  चाँद को अर्ध्य दे दो और हमारे साथ खाना खा लो |   उसकी भाभीयां मना करते हुए कहती की जीजी अभी चंद्रमा नहीं निकला है  आपके भाई ने झूठा चाँद दिखाया है परन्तु वह अपनी भाभी की बात नही मानती और उसके बाद  चाँद को देख कर प्रसन्न होती है | और चन्द्रमाँ को अर्ध्य दे कर भोजन करना शुरू कर देती है | जैसे ही पहला कोर तोडती है तो उसमे बाल आ जाता है, जब दूसरा कोर मुहँ में डालती है तो छींक आ जाती है  और फिर तीसरा कोर खाने लगती है तभी उसके पति के मृत्यु का समाचार आ जाता है | तब उसकी भाभी कहती है जीजी आपने अपने भाइयों की बात मान कर और झूठे चाँद को अर्ध्य देने के कारण आपका करवा चौथ का व्रत टूट गया इसी करण आपके पति की मृत्यु हो गई है | तब उसे अपनी गलती का अहसास होता है तो वह कसम खाती है की वो अपने पति को जिन्दा करके रहेगी और  अपनी गलती का पश्चाताप करती और रोते बिलखते हुये अपने ससुराल जाती है तो रास्ते में एक बुढियां मिलती और उससे पूछती की बेटी तुम क्यों रो रही हो तब वह अपनी पूरी कहानी बताती है तो बुढियां कहती है  की बेटी जो हुआ उसे बदला नही जा सकता पर तुझे रास्ते में जो भी कोई मिले उसके पैर छूना और  सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद लेना और अपने ससुराल जाना और हर  महीने की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत पूरे विधि विधान करना गणेश जी की कृपा से तेरे पति जरुर जीवित हो जाएगे | वह अपने पति अंतिम संस्कार नही होने देती उसके बाद पूरे एक वर्ष तक अपने पति की सेवा करती है एक साल बाद फिर से करवा चौथ का व्रत आता है और फिर से पूरे विधान से व्रत करती है उसकी सेवा भाव से प्रसन्न हो कर गणेश जी उसके पति को जीवन दान देते है और उसे सदा सुहागिन होने का आशीर्वाद भी देते है | 

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गणेश विनायक जी कहानी : एक बार एक अंधी बूढीयाँ थी जो बहुत गरीब थी | उसके एक बेटा और बहु थी | अंधी बुढिया हर रोज गणेश जी की पूजा करती थी एक बार गणेश जी भगवान ने उसको दर्शन दिए और कहा की मैं तुम्हारी सेवा से प्रसन्न हूँ तुम्हारी जो इच्छा हो मांग लो | बुढिया ने कहा महाराज मुझे मांगना नहीं आता मैं क्या और कैसे मांगू तब गणेश जी ने कहा तो,  तु अपने बेटे और बहु से पूछ ले | तब उसके बेटे ने कहा की माँ पैसे मांग ले जिससे हमारी गरीबी खत्म हो जाए और जब बहु से पूछा तो वह बोली की सासु माँ पोता मांग ले तब बुढिया ने सोचा ये दोनों तो अपनी अपने मतलब की बात कर रहे है फिर उसने ने एक पड़ोसन से पूछा तो वह बोली की तु अपनी आँखे मांग ले जिससे तु सारी दुनिया देख सके | फिर बुढिया ने घर जा कर सोचा मैं ऐसा  क्या मांगू जिससे सबकी मन की इच्छा पूरी हो जाये | सुबह हुई फिर बुढिया मन्दिर गई और गणेश जी की पूजा की तब फिर गणेश जी ने उसे दर्शन दिए  और कहा की बुढिया मांग  क्या मांगती है तब वह बोली की महाराज  अगर आप मेरी पूजा से खुश है तो मुझे नौ करोड़ की माया, निरोगी काया, अमर सुहाग, चांदी के पालने में पोता खेलते हुए देखू और अंत में मोक्ष दे तब गणेश जी ये सुनकर हैरान हुए और बोले की बुढिया माँ  तूने मुझे ठग लिया और तथास्तु कह कर अंतर्ध्यान हो गये |  

|| हे गणेश जी महाराज जैसे आपने उसको सदा सुहागिन होने का आशीर्वाद दिया वैसा हमे भी सदा सुहागिन होने का आशीर्वाद देना ||

उसका बाद अपने बड़े बुजर्गो के चरण स्पर्श करे और आशीर्वाद ले | आठ पुरियां बनाकर उनके ऊपर हलुवा और खीर रख कर करवा चौथ के कैलेंडर पर माता को भोग लगा ले | और एक थाली में आपने जितने भी पकवान बनाए है वो सभी और करवे के ऊपर रखी साड़ी और पैसे को अपनी सास के चरण स्पर्श करके रख दे | जब चन्द्रमा निकल जाए तब छत पर जाए पहले चाँद की पूजा करे अर्ध्य दे और छलनी में से देखे  और फिर चलनी में से अपनी पति के देख कर आरती करे | और उनके हाथ से जल पीकर अपना व्रत पूरा करे ||

karwa chauth ke vart ki katha bhaut hi purani hai is din suhagan maataye or bahane apne pati ki lambi aayu or umar ke liye kaamna karti hai, vo nirjala vrat rakhkar apne pati or husband or suhag ki lambi aayu ke liye mannat mangti hai, unka sapna hota hai jab tak rahe sada suhagan bankar rahe, sada suhagan ke aashirwad ke liye vo karwa chauth ka nirjla vrat rakhti hai, jisse bhagwan khush hokar unhey aashirvad deti hai, karwa chauth ki ganesh vinayak ji ki kahani, ek budhi aurat ganesh ji ki pooja karti thi or usne ganesh ji se apne husband ke amar or lambi age ke liye vardan manga jisko ganesh ji ne poora kiya, importance of karwa chauth vrat for ladies in hindi, this vrat is very very special to all hindu ladies, they keep fast for husband safety , health and long life, 

3 comments:

  1. करवा चौथ, करवा (पानी के एक छोटे से मिट्टी के बर्तन) के लिए प्रयुक्त शब्द है और चौथ का अर्थ है ‘चौथा दिन’ हिन्दी महीने का. एक संदर्भ यह है कि त्योहार कार्तिक के महीने की, अंधेरे पखवाड़े या कृष्ण पक्ष के चौथे दिन पड़ता है)।

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  2. https://www.indiagift.in/blog/7-best-raksha-bandhan-gift-ideas-for-brothers/4312 Please read

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  3. Very Informative Blog !
    Karwa Chauth falls on the same day as Sankashti Chaturthi, a fasting day dedicated to Lord Ganesha, according to the Drik Panchang. The widely observed event will be observed by ladies on Thursday, October 13, this year. The 13th of October begins at 1:59 a.m. and concludes at 3:08 a.m. on the 14th, which is Chaturthi Tithi. Click here to find out more about this beautiful festival.

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