पंच तत्व चिकित्सा
इस चिकित्सा में मिट्टी , वायु , सूर्य की किरणों , जल और
आकाश का प्रयोग किया जाता है | आकाश चिकित्सा समय को दर्शाता है जैसे की आधा दिन ,
एक दिन , एक साप्ताह , और एक लम्बा समय या फिर चिकित्सा कितने लम्बे समय के लिए
होने वाली है | इस चिकित्सा में फल उपवास , मालिस चिकित्सा , रस उपवास , धुप स्नान
, जल उपवास , मौन धारण करना , ध्यान करना
, प्रार्थना के द्वारा मनुष्य के भयंकर और असाध्य रोगों की चिकित्सा की जाती है |
इसके आलावा जल चिकित्सा में एनिमा , कटी , रीढ़ , पैर , सिर ,बांह , आदि मनुष्य के
शरीर के अंगो को स्न्नान ,वाष्प या भाप के द्वारा स्नान करवाना और संव्रताकर
स्न्नान करवाया जाता है |
पंचतत्व चिकित्सा, Panchtatva Chikitsa |
पृथ्वी तत्व
:- इस चिकित्सा के अनुसार मानव शरीर के
लीवर , अमाशय , यकर्त, पेडू , अग्नाशय , जोड़ो के दर्द , नेत्र , कपाल , सिर , आदि
को साफ़ मिटटी की गीली – गीली पट्टिया लगाई जाती है | इसके आलावा मनुष्य के शरीर पर
मट्टी का लेप किया जाता है और शरीर की जरुरत के अनुसार बालू रेत से स्नानं भी
करवाया जाता है |
mitti chikitsa , मिट्टी चिकित्सा |
अग्नि तत्व :- सूर्य को अग्नि रूप
में माना जाता है, इस चिकित्सा के अंतर्गत रोगी को जरुरत अनुसार तेल मालिस और सुर्य्
चिकित्सा , धुप स्नान , रंगीन रशिम चिकित्सा , आदि के द्वारा अलग अलग बिमारियों का
सफल इलाज किया जाता है |
सूर्य चिकित्सा या धुप स्नान |
वायु चिकित्सा :- वायु चिकित्सा से
हमारा अभिप्राय योगासन और प्राणायाम से है जिसमें वायु के वेग को जरुरत अनुसार
शरीर में प्रवेश कराया जाता है और एक सिस्टम से वायु को त्यागना होता है . इस
चिकित्सा के अनुसार किसी हवादार खुले स्थान पर लम्बी – लम्बी सांसे लेने , अलग –
अलग प्रकार के प्रणायाम किया जाता है |
भोजन चिकित्सा |
आहार चिकित्सा / भोजन चिकित्सा:-
इस चिकित्सा में
रोगी के शरीर को किस बीमारी या रोग में कौनसा पदार्थ का सेवन करवाना चाहिए और किस
भोजन का त्याग करना है , इससे सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी दी जाती है. इस चिकत्सा
प्रणाली में वैध जी रोग को भली प्रकार समझकर इसके होने वाले कारणों को जानकार भोजन
करने का सुझाव देते है जिससे रोगी का रोग ठीक हो जाता है , इसके अलावा मानव को कौनसे
समय क्या खाना चाहिए और किस भोजन को त्यागना चाहिए इसकी सम्पूर्ण जानकारी दी जाती है , खाने के
बाद थोडा घूमना फिरना चाहिए | सबसे अहम् बात हमे पौष्टिक और संतुलित भोजन करना
चाहिए |
प्राकर्तिक चिकित्सा , naturatheraphy |
aahar chikitsa , bhojan chikitsa, naturatheraphty , cure with nature, hamra shareer panch tatvo se bana hai or iski sabhi bimariyon ka upchaar bhi panchtatvo ke dwara kiya ja sakta hai , care with nature, vayu chikitsa, agni or surya chikitsa, vayu chikitsa paddati or pranali, jal kriya or chikitsa, aahar chikitsa dwara hamare shareer mein hone wali kami ya adhikta ko samjha jaata hai or phir uska upchaar kiya jaata hai , uchit paushan or paustik aahar diya jata hai jisse rogo se ladne ki kshmata badti hai.
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