वृक्षासन
इस आसन के बारे में आपने पहले भी सुना होगा कि जिस तरह से प्रभु भक्त ‘ध्रुव’
ने खड़े होकर कठोर तपस्या की थी उसी स्थिति में हम इस आसन को करते है इसलिए इस आसन
का नाम ध्रुवासन भी पड़ा है. इस आसन में हमारी आकृति एक वृक्ष की भातीं भी होती है इसलिए इसको वृक्षासन भी कहते है,
विधि - 1.सबसे पहले आप समतल जमीन पर बिल्कुल सीधे खड़े हो जाए तथा इस तरह से खड़े
हो जिससे आपके शरीर का संतुलन जमीन पर बना रहें.
2. खड़े होते समय आपके दोनों पैरों के बीच का अंतर कम से कम 5 से 6 इंच का होना
चाहिए.
3.अब अपने दाएं पैर के घुटने को मोड़कर अपने बाएं पैर के मूल स्थान पर रखते हुए
धीरे-धीरे सांस अन्दर की ओर लेने का अभ्यास करें.
4.कुम्भक करते हुए अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर अथवा नमस्कार की स्थिति में
नीचे दिखाए गए चित्र के अनुसार करें.
5.अपनी दृष्टि को अपनी नाक के आगे वाले भाग पर टिकाए.
6.अब सांस को बाहर निकालते हुए अपने दोनों हाथ और पैर को नीचे ले आये, इसी
प्रकार से इस क्रिया को अपने दूसरे पैर से करने का अभ्यास करें इस आसन के अनेक
प्रकार के लाभ है जैसे:-
लाभ -@-इस आसन को करने से आपके पैर पुष्ट बन जाएँगे साथ ही घुटने के सभी रोग
जड़ से नष्ट हो जाएंगें.
@-ये आसन हमारे शरीर की कमजोरी को दूर करके हमें स्वस्थ रखता है और अगर किसी
भी व्यक्ति को मधुमेह के कारण शरीर में कमजोरी आ जाती है तो उस व्यक्ति के लिए यह
आसन अधिक लाभदायक होता है.
@-ये आसन शरीर में आलस्य को दूर करके शरीर को फुर्तीला बनाता है.
@-इस आसन को बार-बार करने से हमारे शरीर के सभी मानसिक रोग दूर हो जाते है और
मन की शान्ति बनी रहती है.
@-मन की उदासी, चिडचिडापन और झल्लाहट इत्यादि इन सभी को दूर करने के लिए ये
आसन बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है.
@-जिस भी मनुष्य को मूत्र से सम्बन्धी कोई भी परेशानी हो उन मनुष्य को इस आसन
का प्रयोग अवश्य करना चाहिए क्योंकि यह आसन मूत्र के सभी विकारों को जल्द ही दूर
कर देता है.
विशेष –यह आसन किसी भी मनुष्य के लिए हानिकारक नहीं है बल्कि सभी मनुष्य के
लिए फायदेमंद और अधिक लाभदायक है.
is yoga ki practice karte time hamari body ki shape ek vraksh ke saman ho jaati hai isliye is yogasan ko vraksh aasan bhi kahate hai, yeh yoga kisi ke liye bhi hanikarak nahi hai balki har age group ke liye laabhkaari hai, urine problem wale person ke liye ye yoga bhaut hi laabhkari hota hai , ankle or leg ka stamina badhta hai , man ki udashi bhi theek ho jaati hai , chidchidapan door hokar dil or dimag khush ho jaata hai,
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