अपतंत्रक और
योषापस्मार की बीमारी का ईलाज
यह बीमारी एक प्रकार की मिर्गी
है जो की ज्यादातर महिलाओं में पाई जाती है | इस बीमारी को वातोउन्माद भी कहते है
|इस बीमारी में रोगी किसी भी समय अपने होश खो देता है | चिल्लाने लगता है | कुछ
लोग इस बीमारी को जादू टोने का असर कहते है जिसके कारण वे मरीज को ताबीज और तंत्र
वाली वस्तुएं पहना देते है और सोचते है की यह बीमारी ठीक हो जायेगी | परन्तु यह सब
फालतू की बातें होती है | हमे किसी भी तंत्र और मन्त्र का प्रयोग नहीं करना चाहिए
बल्कि उसका अच्छी तरीके से इलाज करना चाहिए | इस बीमारी को ठीक करने के लिए
आयुर्वेद में कई उपाय है जो इस प्रकार है : -
सामग्री : -
मेधा वटी ( meghawati ) :- ७०
ग्राम
स्त्री रसायन वटी (stri rasayan vati) :- ६० ग्राम
अश्वगंधा कैप्सूल (ashwagandha capsule):- २० कैप्सूल
इन तीनो आयुर्वेदिक औषधियों में
से एक – एक गोली एक दिन में कम से कम तीन बार खाना खाने से आधा घंटा पहले गुनगुने
पानी के साथ खाएं | इसके आलावा धृतकुमारी स्वरस की एक चम्मच कि मात्रा का प्रयोग
इस औषधि साथ करें |
सामग्री
१. सारस्वतारिष्ट ( Sarsavtarist ) :- ४५० मिलीलीटर
२. अशोकारिष्ट (Ashokarist) :- ४५० मिलीलीटर
उपरोक्त दोनों आयुर्वेदिक औषधियों की दो – दो चम्मच की मात्रा में चार चम्मच
पानी मिलाकर रोजाना सुबह और शाम के समय खाना खाने के बाद पीयें | यह एक लाभकारी
औषधि है |
No comments:
Post a Comment