हस्तपादविस्तृत हलासन
इस आसन को हस्तपादविस्तृतहलासन इसलिए कहा जाता
है क्योंकि इस आसन को करते समय आपके हाथ व पैर दोनों ही फैल जाते है. इस आसन की
प्रयोग करने की विधि इस प्रकार है :-
विधि –(1).सर्व प्रथम समतल जमीन पर कालीन बिछाकर
अपनी पीठ के बल एकदम सीधे लेट जाए.
(2). सीधे लेटे हुए अपने दोनों पैरों को ऊपर की
ओर उठाए व अपने दोनों हाथों को सिर की ओर ले आएं.
(3).अब अपनी क्षमता के अनुसार हाथ व पैर दोनों
को खोलते हुए अपने पैर के अंगूठे को पकड़ने का अभ्यास करें.
(4).इस क्रिया का अभ्यास करते समय ये ध्यान रखें
कि आपका सिर व पीठ दोनों ही जमीन से सटी होनी चाहिये.
इस आसन के अनेक प्रकार के लाभ होते है जो इस
प्रकार है.
लाभ($)-ये आसन पेट से जुडी हर बीमारी को दूर
करके हमारे शरीर को ताकतवर बनाता है.
($)-इस आसन का रोजाना अभ्यास करने से पेट,
कूल्हों और नितम्बों की बढ़ी हुई चर्बी कम हो जाती है.
($)-इस आसन का प्रयोग करने से शरीर में लोच
उत्पन्न होगी अथवा आपकी रीढ़ की हड्डी पुष्ट बन जाएगीं.
($)-ये आसन मनुष्य में लिंग अथवा योनी दोनों का
ही विकास करता है तथा स्वप्नदोष व शीघ्रपतन का रोग जल्द ही दूर हो जाता है.
($)-ये आसन लडकियों के लिए भी लाभदायक होता है
अगर लडकियों की उम्र बाहर से तेरह साल की उम्र से ही इस आसन का प्रयोग करना शुरू
कर दें तो उन्हें मासिक धर्म या प्रसव के समय होने वाली परेशानियों से नहीं गुजरना
पड़ता है.
($)- जिस भी महिलाओं की योनि अधिक तंग हो उन
महिलाओं को इस आसन का अभ्यास जरुर करना चाहिये.
($)-इस आसन का उपयोग करने से आपके शरीर के हर
अंग जैसे- पेट, कमर, कंधे, घुटने, कुल्हें, जांघें व पिण्डलियों इत्यादि सभी अंग
फुर्ती से कार्य करने लगते है और शरीर शक्तिशाली हो जाता है.
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