सफेद मुस्ली प्राकर्तिक चिकित्सा और आयुर्वेद का एक अभिन्न अंग है , अधिकतर
दवाइयों में इसका प्रयोग किया जाता है , यह शाकीय औषधीय पौधा अपनी गुणवत्ता के
कारण देश विदेश में बहुत ही लोकप्रिय है. फिजिकल फिटनेस और शारीरिक शक्ति को बढाने
में इसका कोई दूसरा विकल्प नहीं.
पौधे का प्रयोग में आने वाला भाग - जड़ /
Root
सफेद मुस्ली के अनुकूल जलवायु और स्थान – इस पौधे का अधिकतर
उत्पादन भारत में हिमालय के क्षेत्र में , राजस्थान और आसाम , महाराष्ट्र और मध्य
प्रदेश , कर्नाटक और केरला के उपरी भागों में इसकी खेती बाड़ी की जाती है. इसके लिए
पानी व रेतीली मिटटी की आवशकता अधिक होती है कठोर मिटटी में इसकी जड़ अधिक नहीं फैल
पाती, सिचाई कम से कम 15 दिनों के बाद जरूर करे , यदि बारिस सही समय पर हो रही है
तो कोई बात नहीं.
बीज – सफ़ेद मुस्ली का बीज काले रंग का होता है जो नुकीला भी होता है .
खेती के लिए समय – सफेद मुस्ली के लिए जून महीने का प्रथम या दूसरा सप्ताह उत्तम माना जाता
है. इस फसल की खुदाई दिसम्बर के महीने में की जाती है , फसल के पकने पर इसके पत्ते
पीले पड़ जाते है और मुरझा जाते है . इसकी खुदाई से २ दिन पहले फसल में पानी देना
चाहिए, ताकि जड़ो को सुगमता से बाहर निकला जा सकते. यदि कठोर भूमि से जड़ो को बाहर
निकलेगे तो सारी जड़ बाहर नहीं आ पायेगी और आपका मुनाफा कम होगा.
खेती से लाभ – मध्य प्रदेश के कई किसान जो खेती को छोड़कर कुछ और काम धंदा करने वाले थे , वे
आज के दिन इस फसल से होने वाले लाभ से काफी खुश है.
मर्दाना ताकत के लिए –
सफेद मूसली का प्रयोग गुप्त रोगों , शीघ्रपतन , काम उतेजना में कमी का स्थाई
और परमानेंट इलाज माना जाता है. जिन
व्यक्तियों को मधुमेह की अधिकता के कारण उत्तेजना में कमी महसूस होती है तो उनके
लिए भी मूसली का सेवन काफी असरदार माना जाता है.
दवाई बनाने में प्रयोग – सफ़ेद मुस्ली का
प्रयोग अनेक प्रकार की दवाई बनाने में किया जाता है जैसे – च्यवनप्रास , एनर्जी
फूड, हेल्थ डाइट, पॉवर कैप्सूल, स्पोर्ट्स डाइट, वजन बढाने और ताकत के लिए दवाई
बनाने में इसका भरपूर प्रयोग होता है , यह शक्ति वर्धक शाकीय पौधा है. यह पौधा
पूर्णतया गुणों से भरपूर है और इसकी विशेषता इसमें है कि अन्य अंग्रेजी दवाइयों की
तरह इसका कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं है , इसको वियाग्रा के स्थान पर प्रयोग किया
जाता है जो की पूर्णत असरदार और कारगर साबित होता है.
पथरी को पेशाब के रास्ते से बाहर निकलता है , पेशाब की जलन को भी ठीक करने में
भी काफी असरदार है ,
सेवन का तरीका – १८ वर्ष से बड़ी उम्र के नौजवानों को ५ से १० ग्राम की मात्रा को ३०० ग्राम दूध में उबालकर उसमें मोटी मिश्री
मिलाकर इसका सेवन करे 15 से 20 दिनों में भी काफी
लाभ देखने को मिलेगा.
अंत में आपको यही सलाह देते है कि यौन दुर्बलता के लिए किसी जालसाज के चक्कर
में आकर अपने पैसे को बर्बाद न करे केवल सफेद मुस्ली , कौंच के बीज , अस्व गंधा का
प्रयोग करे किसी आयुर्वेदाचार्य से संपर्क करे यदि को संदेह है इसके सेवन के तरीके
के लिए आप हमें comment करके पूछ सकते है.
आर्डर के लिए संपर्क करे – असली सफेद मुस्ली के लिए हमें इस ईमेल पर सम्पर्क
करे.
For order of original Safed Musli
contact on the below given Email ID -
अनचाहे बालों का समाधान
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Safed musli ka prayog ek Shakti vardhak pradard ke roop mein kiya jaata hai
, safed musli ki kheti ushan kati bandhiye kshetro mein ki jaati hai , safed
muli ka prayog anek prakaar ki dwaiyon ke banana mein bhi kiya jaata hai , Shakti
vardhak or paursh uttejana or sheegrpatan , mardana takat , sax power ke liye
is jadi buti ka prayog adhik kiya jaata hai. Shigr patan ke ilaj ke liye safed
musli ki kheer banakar khaye, 10 gram safed musli ka powder or 300 gram
doodh ya milk ko ubalkar or boil karke
usmein moti mishri mila le. Phir thanda hone ke baad iska sevan kare lagatar 15
se 20 dino tak iska sevan kare phir dekhe aapke jeevan mein kaisa privartan
aata hai. Shakranu Shakti ko badata hai or virya ko gaada karta hai , jiske
karan shigrapatan rog theek hokar aap apni patni ke sath sukhi married life or
vyvahik jeevan vyateet kar sakte hai .
It is very valuable plant present in India. With its capabilities, it is also known as a sexual agent. there are many benefits of Safed Musli.
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