बदहजमी और भोजन न पचने से होने वाले रोगों का ईलाज
सर्वकल्प क्वाथ :- ३०० ग्राम
किसी एक बर्तन में ४०० मिलीलीटर पानी ले इसमें एक चम्मच
सर्वकल्प औषधि को मिलाकर धीमी – धीमी आंच पर पकाए | पकते – पकते जब पानी की मात्रा
१०० ग्राम रह जाए तो इसे छानकर रोजाना
सुबह – शाम खाली पेट पीये बदहजमी की शिकायत दूर हो जायगी |
अजमोदादी चूर्ण :- १००
इस औषधी की एक चम्मच की
मात्रा को सर्वकल्प में मिलाकर खाने से भोजन अच्छी तरह से पचना शुरू हो
जाता है और अपच भोजन और बदहजमी की परेशानियों से निजात मिल जाती है |
२. उशीरासव :- ४५० मिलीग्राम
कुटीजरिषित :- ४५० मिलीग्राम
इस औषधी की ४ चम्मच की मात्रा में चार चम्मच पानी मिलाकर
सुबह – शाम खाना खाने के बाद खाएं | पेट से जुडी हुई समस्या जैसे गैस , बदहजमी ,
खट्टे डकार इत्यादि रोग दूर हो जाती है |
सामग्री :-
२. लवणभास्कर चूर्ण
:- ५० ग्राम
२. हिन्ग्वषत्व चूर्ण
:- ५० ग्राम
३. शंख भस्म
:- १० ग्राम
४. कपदर्क भस्म
:- १० ग्राम
ऊपर लिखी सभी सामग्रियों को मिलाकर रख लें | इस मिश्रण को
रोजाना एक दिन में कम से कम तीन बार खाए | इस औशधि को साधारण पानी के साथ खाने से
विशेष फायदा मिलता है | पानी न तो अधिक ठंडा हो न अधिक गर्म हो.
चित्रकादी वटी :- इसकी एक गोली को दिन में २ या ३ बार चूसने
से बहुत फायदा मिलता है |
अन्न्वह की व्याधियाँ
:- इसका मुख्य स्त्रोत मुँह से लेकर उणडुक
तक है |
विशेष बात :- हर एक रोग की शुरूआत मन्दाग्नि से मानी जाती
है | इसके काम करने की क्रिया जब धीमी हो जाती है तो हमारे शरीर में आमरस के कारण धातुएं दूषित हो जाती है | हमारे शरीर
में गंदगी फैल जाती है | जिसके कारण हम अनेक बीमारियों के शिकार हो जाते है |
अन्न्वह के मूल है आमाशय और अन्न्वाहिनी | परन्तु हमारी भारत माता के रत्न
प्रसिद्ध अयुर्वेदाचर्य आचार्य चरक जी ने इसके मूल आमाशय और वामपार्श्व से
सम्बंधित माना है |
इसकी व्याधियां निमिन्लिखित है | खाने में अरुचि, अजीर्ण,
अनाह , आध्यामं , आटोप, भस्मकरोग छरदी रोग , गुल्म , अम्लपित्त , उदररोग , परिणाम
शूल , आदि
खाने में अरुचि और अग्निमन्ध्य का इलाज
सर्वकल्प क्वाथ :-
३०० ग्राम
मुलेठी क्वाथ
:- १०० ग्राम
किसी एक बर्तन में
४०० मिलीलीटर पानी में एक चम्मच
आयुर्वेदिक औशधि को मिलाकर धीमी – धीमी आंच पर पकाए | पकते हुए पानी जब १०० ग्राम
शेष रह जाए तो इसे छानकर रोजाना सुबह – शाम खाली पेट पीने से खाने में अरुचि का
रोग ठीक हो जाता है |
2. चित्रकादी वटी :- ४० ग्राम
उदरामृत वटी :-
४० ग्राम
इन औषधियों की २ -२ गोली एक दिन में कम से कम तीन बार सुबह
, दोपहर और शाम खाना खाने के बाद खाए | हमारे शरीर की बीमारी को ठीक होने में बहुत
मदद मिलती है |
३. हिंग्वाष्टक
चूर्ण :- १००
हींग एक प्रकार की औषधी
है जिसके प्रयोग से हम अपने पेट से जुडी हुई परेशानी जैसे बदहजमी , गैस आदि की
शिकायत दूर कर सकते है | हिंग्वाष्टक
चूर्ण को सुबह और शाम को खाना खाने से लगभग आधा घंटा पहले गुनगुने पानी के साथ आधा
चम्मच लेने से अरुचि और बदहजमी से छुटकारा मिल जाता है |
अपच और भोजन के प्रति अरुचि |
पुनर्नवा रिष्ठ
:- ४५० मिलि लीटर
कुमार्यासव :-
४५० मिलीलीटर
हमारे शरीर में पेट से
जुडी हुई बदहजमी, गैस , और खाने में रूचि
न रखना जैसी समस्याओं को ठीक करने में उपरोक्त औषधियों का भी प्रयोग किया जाता है
| इन औषधियों की चार चम्मच की मात्रा में चार चम्मच पानी में मिलाकर एक दिन में दो
बार खाना खाने के बाद सेवन करने से विशेष लाभ मिलाता है|
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