योग किस प्रकार हमारा तनाव कम कर सकता है !!!
शरीर हमारे जीवन का एक साधन है जैसे एक मनुष्य को
घूमने के लिए एक साधन की जरूरत होती है वैसे ही हमें अपने जीवन को स्वस्थ रखने के
लिए योग की आवश्यकता होती है, जैसा की आप सभी जानते है कि है २१ जून हमारा योग
दिवस होता है और हाल ही में २१ जून को योग दिवस पूरे भारत वर्ष के साथ पुरे विश्व में बड़े हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया साथ हमारे योग गुरुओं के साथ प्रधानमंत्री व कई मंत्रियों ने मिलकर इस योग दिवस पर अनेक स्थानों पर जाकर लोगों की जागरूकता को बढ़ाया तथा हम सभी को मिलकर योगासन करके बीमारी
को दूर भगाना होगा. इसलिए हम आपको योगासन कितने प्रकार के होते है व इन योगासन का
हम किस तरह से प्रैक्टिस कर सकते है तो
आइये देखते है योगासनों के प्रकार व उनकी विधियाँ तथा उनके अनेक लाभ :-
(1.)
शवासन अथवा विश्रामासन:- शवासन अर्थात् श्वांस से
सम्बन्धित आसन, इस आसन का उपयोग तब किया जाता है जब मनुष्य अपने शरीर में थकावट महसूस करें व मन में उदासी भरी रहे व किसी दूसरे व्यक्ति से बात करने का मन न करे
तथा दिमाग में अधिक परेशानी रहें और दिमाग काम न करे की क्या करना है व क्या नहीं
करना है इन सभी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए इस आसन का उपयोग किया जाता है
इस आसन के करने से आपकी थकावट दूर हो जाएगी व मन की उदासी भी दूर हो जाएगी तथा
शरीर और मन दोनों प्रसन्न और active लगेगे .
विधि - यह आसन थोडा सा मुश्किल जरुर है
लेकिन शरीर के अधिक फायदेमंद है इस आसन को आरम्भ करने से पहले बराबर जगह अर्थात्
समान तल वाली जगह पर चटाई या चादर बिछा ले फिर अपनी पीठ के बल एकदम सीधे लेट जाए
और अपने पैरों को सीधा रखें व हाथ अपने शरीर से चिपका कर तथा अपने हाथ की हथेलियों
को जमीन से सटाकर रखें अगर आपको ऐसी स्थिति में कोई कठिनाई महसूस हो रही हो तो
अपने हाथ को शरीर से थोडा दूर भी रख सकते हो लेकिन ऐसी अवस्था में आपकी हथेलियां
खुले आकाश की तरफ रहेंगी इस आसन का प्रयोग करते समय ये ध्यान रखें की आसन योग्य
स्थान बिल्कुल साफ तथा खुला हुआ होना चाहिए स्थान खुला न होने से आपका मन घबराने
लगेगा और आपका ध्यान आसन पर नहीं लगेगा, इस आसन को करने की दो विधियां है जो इस
प्रकार है ,
पहली विधि- ऊपर बताये गए तरीके के अनुसार अपने शरीर को आसन करने के लिए तैयार रखे और
आसन करना शुरू कर दें सबसे पहले अपने शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दे तथा अपने पैरों
की तरफ ध्यान लगाते हुए अपने मन में अपनी आत्मा को ये कहते रहें की मेरे पैर तो
बिल्कुल शिथिल पड़ते जा रहे है और मेरा पेट, सिर व शरीर का हर भाग कमजोर व ढीला
होते जा रहा है तथा मेरा शरीर एक dead body की तरह होते जा रहा है व
मेरे शरीर पर मेरा control या काबू ख़त्म होते जा रहा हैं.
शवासन कैसे करे |
जब आपका मन इन सभी बातों का पालन करने
लगे तो तब आपका शरीर इधर-उधर भटकना छोड़ देगा और सच में ही आपका शरीर ढीला होता
जाएगा, जब तक आपके शरीर पूरी तरह से कमजोर व मुरझाया हुआ न हो तब तक आप इसी क्रिया
को बार-बार करते रहें कुछ समय बाद आप पाएँगे कि आपके शरीर में होने वाली सभी
क्रियाएँ एकदम से रुक व ठहर गई हैं, शरीर में ढीलापन आने से आपके शरीर का भाग अपनी
आवश्यकता के अनुसार इधर-उधर लुड़कने लगेगा तो इसमें घबराने की कोई बात नहीं है लेकिन
अपने मन और अपने शरीर में किसी भी तरह की ईर्ष्या न होकर बल्कि सामंजस्य की भावना
हो, तथा अगर कोई दूसरा व्यक्ति श्वांस लेते वक्त उसके शरीर के किसी भी अंग को
उठाना चाहे तो उसका शरीर एक dead body व
बिल्कुल भारी प्रतीत होगा और हमारी दूसरी अवस्था हमारे विचारों को बदलने की अवस्था
होती है इसलिए इस अवस्था में हम श्वास-प्रश्वास पर पूरा ध्यान लगाते हुए सांस को
अंदर जाने व बाहर निकालने का सूक्ष्म व बारीक़ रूप से जाँच करनी चाहिये, हमें इस
क्रिया को करते समय deeply व लम्बी श्वांस लेने से हमारे शरीर के अंदर के सभी रोगों के
कीटाणु श्वास के जरिए बाहर निकल जाएंगें, आरम्भ में श्वास की आवाज आ सकती हिया
परन्तु थोड़ी देर बाद आवाज आनी बंद हो जानी चाहिए, तथा एक साधारण मनुष्य को इतना ही
ध्यान रखना जरूरी है कि यदि आप प्राणायाम को पूरे मन के साथ करना चाहते हो
अर्थात् प्राणायाम मे लीन होना चाहते हो
तो शवासन में भी श्वांस-प्रश्वास की क्रिया को लगातार व नियम के अनुसार daily करने का अभ्यास करें तथा इस
प्राणायाम का रोजाना अभ्यास करने से आपको अपने शरीर में और आत्मा और मन में भी फर्क
नजर आएगा.
यदि आपको हमारी बताई गई पहली विधि
को करने में थोड़ी कठिनाई या परेशानी हो रही है
तो हम आपको शवासन की एक और दूसरी विधि के बारे में बताने जा रहें है जिससे
आप इस विधि के मुताबिक इस क्रिया को सहिपूर्वक व अच्छे ढंग से कर सकते है, तो आइये
देखते है शवासन की दूसरी विधि.
विश्रामासन |
stress kam karne wala yog |
दूसरी विधि – दूसरी विधि को करने के लिए सबसे पहले आप समान जगह पर चटाई या चादर बिछाकर
अपने पेट के बल लेट जाएं फिर अपनी गर्दन को right की तरफ मोड़कर व अपना left गाल तथा कान जमीन से चिपका कर रखें इस क्रिया को
करते समय ये ध्यान रखे कि आपका left हाथ शरीर से चिपका रहना चाहिए तथा अपनी हथेली आसमान की ओर
होना चाहिए व अपने right घुटने को आधा मोडे
व अपनी आवश्यकता के अनुसार अपनी छाती की ओर रखे व अपने सीधे हाथ को इस प्रकार से
मोड़े जिससे आपकी हथेली आपके सिर को छू लें , इसी तरह से इस प्रकिया को उलटी तरफ
करवट लेकर भी कर सकते हैं.
ऊपर बताये गए सभी आसन, प्राणायाम व अन्य सभी प्रकियाओं के बाद शवासन की क्रिया
जरुर करना चाहिये, और यदि जिस भी मनुष्य को या पीड़ित व्यक्ति को दिल की बीमारी व
मानसिक तनाव अधिक रहता है तो उन मनुष्य को शवासन की क्रिया का अभ्यास अधिक समय तक
करना चाहिये.
लाभ – इस आसन को करने से मनुष्य के शरीर की थकान तथा तनाव दोनों ही दूर होकर उनका
शरीर फुर्तीला, दिल तथा दिमाग सही रूप से कार्य करने लगते है.
२. शवासन की क्रिया को नियम के अनुसार करने से मनुष्य को अपने गुस्सा(क्रोध),
चिंता व बिमारियों से होने वाले दुखों से छुटकारा मिल जाता है.
३. इस आसन का रोजाना प्रयोग करने से कब्ज, गैस, फेफड़ों तथा ह्रदय रोग इत्यादि
रोगों से मुक्ति मिल जाती है, और अगर किसी मनुष्य को अनिद्रा की बीमारी है तो उसे
निद्रा में बदल देता है तथा यदि किसी भी व्यक्ति का ब्लडप्रेशर ( BP ) low हो तो
उस व्यक्ति के लिए ये शवासन बहुत ही फायदेमंद व लाभदायक होता हैं .
४. इस आसन को करने के बाद हमारा शरीर हर काम के लिए active हो जाता है तथा हमारे शरीर
की हर थकावट दूर हो जाती है साथ ही हम स्वस्थ भी हो जाते है इसलिए यह आसन हमारे
शरीर के लिए हमारे रुटीन का अभिन्न अंग है तथा हमें आसन रोजाना करना चाहिए जिससे
हमारा शरीर स्वस्थ व सुंदर बना रहें.
नोट – इस आसन को करते समय हमें निद्रा नहीं आनी चाहिए और अगर निद्रा आ रही हो
तो सो जाना चाहिए लेकिन आधी निद्रा में इस आसन का प्रयोग नहीं करना चाहिये.
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