यकृत रोगों के लिए
आक
के पौधे की पत्ती को ५० ग्राम पानी में मिलाकर आग पर पकाये । पकते - पकते
जब आधा पानी रह जाये ।तो इसे छानकर इसमें सेंधा नमक मिला दे । ये पानी ७ दिनों तक लगातार तीन वर्ष के बच्चे को पिलाने से प्लीहा और यकृत की बीमारी दूर हो जाती है ।दवाई की मात्रा BAMS डॉक्टर से कंसल्ट करके ही ले।
ततैया
आक
के पौधे की जड़ की छाल को सुखाकर पीसकर बारीक़ कर ले । इस चूर्ण की ४०० मिलीग्राम की मात्रा में लगभग २ ग्राम गुड मिलाकर सुबह और शाम खाए । यह उपयोग लगातार चालीस दिनों तक करे । खटाई और तेल की बनी हुई चीजो से परहेज करें । इसके आलावा आक के पत्तो पर जो सफेदी जमी रहती है उस पर आटे की लोई बनाकर सफेदी पर से घुमा ले । और इसकी छोटी - छोटी
आकार की गोलिया बना कर सुबह - शाम
खाली पेट निगल जाये । यह उपयोग लगातार १५-१६
दिनों तक करे और घी और शक़्कर का सेवन करे । इससे ये बीमारी दूर हो जाती है ।
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