दमा
दमा श्वास से जुडी हुई बीमारी होती है । मनुष्य को जीवन शरीर के
रूप में मिला है । इस की रक्षा हमें स्वयं को करनी होती है| लेकिन हमारे आस पास के वातावरण के कारण हमारे शरीर में अनेक भयंकर बीमारी हो जाती
है जिन बीमारियों का नाम लेने से हमें डर लगने लगता है| उन्ही बीमारियो में से दमा भी एक बीमारी है जिसका समय पर उपचार न हो
तो यह जानलेवा हो सकती है । इस बीमारी में मनुष्य को साँस लेने में तकलीफ़ होती है ।
दमा किसी को भी हो सकता है । इसका उपचार निम्नलिखत ढंग से कर सकते है ।
साधारण दमा :-
इसका उपचार करने के लिए हमें चाहिए| सुहागा का फूला
और मुलहठी को अलग - अलग पीसकर मैदे की तरह बारीक़ चूर्ण बना ले और इसे किसी कपड़े से
छान ले और इन दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर एक शीशी में ठीक प्रकार से रखे| इस
प्रकार एक औषधि तैयार हो गई । इस औषधि का प्रयोग हम साँस की बीमारी या फिर खाँसी की
बीमारी में कर सकते है |
सेवन विधि :-
आधा ग्राम
से एक ग्राम तैयार औषधि गर्म पानी या शहद के साथ दिन में तीन - चार बार अवश्य ले ।
और छोटे बच्चो के लिए उनकी आयु के अनुसार दे इससे साँस की बीमारी में आराम मिल जाता
है ।
इसके अतिरिक्त हमें दही , केला , चावल और ठंडी वस्तुओं का सेवन नहीं
करना चाहिए इन सब चीजों का परहेज रखे |
बच्चों का दमा :-
आज के समय में छोटे बच्चों में भी दमा की बीमारी
पाई गई है । इसका इलाज़ घर में उपस्थित चीजों से किया जा सकता है जैसे- तुलसी की पाँच
पत्तियों को पीसकर बारीक़ करके थोड़े - से शहद के साथ सुबह और शाम को तीन - चार सप्ताह
तक खिलाये | (ये दवाई एक साल से अधिक उम्र वाले बच्चों के लिए है)
इसी प्रकार एक साल से काम उम्र वाले बच्चों के लिए तुलसी की पत्तियों
को पीसकर उनका रस निकाल ले । और फिर तुलसी के दो बूँद शहद में मिलाकर दिन में दो बार
चटायें । इस उपचार से दमा के साथ - साथ बच्चों के और अन्य रोग जड़ से ख़त्म हो जाते है
।
दमा की स्वर चिकित्सा :-
(बिना
किसी दवाई के दमा का इलाज)
जब भी किसी व्यक्ति को दमा
का दौरा पड़े या साँस फूलने लगे तो उस समय व्यक्ति को स्वर परीक्षा करनी चाहिए| जैसे
हाथ की हथेली पर जोर से फूँक मारकर ये पता लगाने की कोशिश करें कि नाक के कौन भाग में
साँस चल रही है जब यह पता लग जाए की नाक के जिस भाग में साँस चल रही है उस भाग को बंद
करके दूसरी तरफ से साँस चलाने की कोशिश करे| इस प्रकार व्यक्ति का स्वर बदल जाता है
और दस -पंद्रह मिनट में ही साँस फूलना कम हो जाता है इसी तरह इस विधि को करने से दम फूलना बंद हो जाता है | अगर व्यक्ति साँस के रोग
से बहुत ज्यादा परेशान है ऐसी अवस्था में व्यक्ति को इस विधि का प्रयोग अधिक से अधिक
करना चाहिए जैसे _सुबह उठते समय, खाना खाने से पहले, रात को सोने से पहले| इससे व्यक्ति
का दमा कम हो जाता है । यदि भोजन भी इसी विधि के अनुसार किया जाये तो अवश्य ही दमे
का रोग पूर्ण रूप से नष्ट हो जाता है
Asthma its Types and Treatment with Ayurveda at Home |
श्वास दमा :-
इस बीमारी का उपचार करने के लिए हमें कुछ जड़ी - बूटियों की आवश्कता होगी जैसे -
सामग्री
:
1. वायविडंग
2. सफेद पुनर्नवा
3. चित्रिक की जड़ की छाल
4. सत गिलोय
5. सौंठ
6. काली मिर्च
7. छोटी पीपल
8. अश्वगंध नागौरी
9.
असली विधारा
10. बड़ी हरड़
11.
बहेड़ा की बकली
12. आँवला की बकली।
ये सभी आयुर्वेदिक समान किसी पंसारी की दुकान से २०० -२०० ग्राम खरीद ले । फिर इनको साफ करके अलग - अलग पीसकर बिल्कुल महीन कर ले और छलनी से छान ले । इसके बाद इन सबको आपस में मिला दे । फिर गुड की एक तार की चासनी बनाकर उसमे तैयार मिश्रण को डाल दे इसके बाद फिर गुड की एक तार की चासनी बनाकर उसमे तैयार मिश्रण को डाल दे इसके बाद इसकी ६ - ६ ग्राम की छोटी - छोटी गोलियाँ बनाकर इसे छाया में सुखा दे । इस प्रकार से औषधी तैयार हो जाती है ।
Thanks for sharing very useful information. Herbal supplement is also used for asthma treatment.visit http://www.hashmidawakhana.org/natural-asthma-relief.html
ReplyDeleteAsthma is a lung disease that causes difficulty breathing. Asthma can be either acute or chronic. Asthma attacks occur when there is an obstruction in the flow of air in the lungs. Asthma natural treatment addresses asthma by drying bronchial phlegm so the lungs and the voice can work more freely.
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