जटामांसी के पौधे के
गुण और फायदे :-
जटामांसी का पौधा एक बहुत ही लाभदायक पौधा होता है | इससे हम कई
सारी बिमारियों को दूर सकते है | इसका
पौधा हर जगह आसानी से नही मिलता | यह अधिकतर ठंडे प्रदेशों में पाया जाता है | क्योंकि
यह पौधा ठंडी जलवायु में ही पनपता है और वृद्धि करता है | जटामांसी का पौधा कश्मीर
, भूटान , सिक्कम और कुमाऊं जैसी पहाड़ी क्षेत्र में अपने आप ही उग जाते है | इसे
आयुर्वेदिक जडीबुटी में एक अहम स्थान प्राप्त है | जटामांसी के पौधे को बाल छड़ के
नाम से भी जाना जाता है | इस पौधे को जटामांसी का पौधा इसलिए कहा जाता है | क्योंकि इसकी जड़ में से बाल जैसे तन्तु लगे
होते है | जटामांसी के उपयोग से हम निम्नलिखित परेशानियों से निजात पा सकते है |
Jtamansi Ke Poudhe Ke Gun or Laabh |
जटामांसी के पौधे की
जड़ को सुखाकर उसका बारीक़ चूर्ण पीस लें | इस चूर्ण की दो ग्राम या 4 ग्राम की
मात्रा को पानी में डालकर मंद अग्नि पर पकाएं | जब इस पानी की मात्रा अधि रह जाये
तो इसे आंच से उतार कर ठंडा होने के लिए रख दें | इस तरह से काढ़ा तैयार करें | इस
काढ़े का सेवन करने से बालों की लम्बाई बढती है |
जटामांसी के पौधे की
जड़ के चूर्ण का काढ़ा बनाकर पीने से आँखों की रौशनी बढती है और साथ ही साथ आँखों
में होने वाली परेशानिया भी दूर हो जाती है | मष्तिष्क और नाड़ियों में होने वाले
रोगों को ठीक करने के लिए यह एक वरदान जैसी औषधी है | यह औषधी धीरे – धीरे अपना
प्रभाव दिखाती है | लेकिन यह रोग को जड से खत्म कर देती है | इसके आलावा जटामांसी
के नामक औषधी का सेवन करने से पागलपन , हिस्टीरिया , मिर्गी , मन का बैचेन रहना नाड़ी
का धीमी गति से चलना , और याददास्त का कमजोर होना आदि बिमारियां ठीक हो जाती है | इसके
सेवन करने से त्रिदोष भी शांत हो जाता है | जटामांसी का लेप लगाने से चर्म रोग सोरायसीस
का रोग ठीक हो जाता है | जटामांसी का उपयोग करने से पहले इसके बारे में अच्छी तरह
से जान लें | इसे प्रयोग करने के लिए निम्नलिखित सावधानियाँ बरते |
Jtamansi Ke Poudha Kin Bhagon Mein Hota Hai |
सावधानियां :- जटामांसी
का यदि जरूरत से अधिक प्रयोग किया जाता है तो इससे गुदे को नुकसान हो सकता है | और
साथ ही साथ पेट में भी दर्द शुरू हो जाता है | यदि ऐसा होता है तो हमे किसी अच्छे
डॉक्टर से दिखाना चाहिए |
:- जटामांसी के उपयोग :-
चेहरे के लिए :-
जटामांसी की जड़ को गुलाब जल के साथ अच्छी तरह से पीसकर लेप बनाएं | इस लेप को
चेहरे पर लगाने से कुछ ही दिनों में चेहरा चमकने लगता है |
दांतों के लिए :- जटामांसी
को मुंह में चबाने से मुंह से आने वाली बदबू दूर हो जाती है | इसके आलावा जटामांसी
की जड को बारीक़ पीसकर उसका पावडर बना लें | इस तैयार पावडर से मंजन करने से दांतों
का दर्द दूर हो जाता है |
जटामांसी का शर्बत
बनाकर पीने से दिल से जुडी हुई समस्या दूर हो जाती है | इसके आलावा शरीर में जमा हुआ कफ भी बाहर निकल जाता
है |
जटामांसी के चूर्ण का
काढ़ा बनाकर पीने से मासिक धर्म में होने वाला दर्द दूर हो जाता है |
कई बार लोगों के हाथ
पैर या शरीर के दुसरे अंग कांपने लगते है | तो इस अवस्था में रोगी को जटामांसी का
काढ़े की दो चम्मच की मात्रा को रोजाना सुबह के समय और शाम के समय पीने से यह
परेशानी दूर हो जाती है |
जटामांसी का काढ़े की
३०० से 500 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह और शाम
के समय पीने से टेटनस का रोग ठीक हो जाता है |
बवासीर के मस्सों को
ठीक करें :- जटामांसी के जड और हल्दी को एक बराबर मात्रा में लेकर बारीक़ पीस लें |
इसे बवासीर के मस्सों पर लगायें | इस उपचार को करने से कुछ ही दिनों में बवासीर का
ओग दूर हो जाता है |
दर्द निवारक :-
जटामांसी की जड़ को पानी के साथ पीसकर लेप बनाएं | इस लेप को दर्द वाले स्थान पर
लगायें | दर्द खत्म हो जाता है | ससे सिर का दर्द और हृदय का दर्द भी दूर हो जाता
है |
यदि पेट फूलता हो तो
जटामांसी की जड़ को सिरके के साथ पीसकर नमक मिलाकर लेप बनाएं | इस उपचार को करने से
पेट की सूजन कम हो जाती है और पेट सही होता है |
मूत्र नली का रोग :- जटामांसी
का सेवन करने से आंख के रोग , दिमाक के रोग , गले के रोग , हैजा , पाचन नली का रोग
और शरीर के व्यर्थ पदार्थ नष्ट हो जाते है |
Jtamansi Ke Poudha Kin Bhagon Mein Hota Hai, |
आधासीसी का दर्द :- जटामांसी
की जड़ का बारीक़ चूर्ण बनाये इसमें तेल मिलाकर मालिस करने से शरीर में पसीना आना कम
हो जाता है | जटामांसी और तिल को पानी के साथ पीसकर लेप बनाये इस लेप में थोडा सा
नमक भी मिला दे |फिर इसे सिर पर लगाये |इस उपचार को करने से अधशिसी का रोग दूर हो
जाता है |
तो दोस्तों ये थे
जटामांसी के कुछ गुण और उसके उपाय | जिसके बारे में हमने आपको जानकारी दी है | इन
सभी उपाए को करने से आप अपने शरीर में होने वाली विभिन्न बीमारियों को ठीक कर सकते
है |जटामांसी का अधिक से अधिक उपयोग न करे |यह हानिकारक हो सकता है |
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