पिपली नामक औषधी :-
पिपली का उपयोग लोग गर्म मसाले के
रूप में करते है | इसका रंग काला होता है | जो बाजार में आसानी से मिल जाती है |पिपली
पाइपर लोंगम के सूखे हुए फल होते है | इसके तने पर गांठे होती है |इसके पौधे की
पत्तियां 5 से 9 सेंटीमीटर लम्बी और 3 से 5 सेंटीमीटर चौड़ी होती है | इसके कोमल
तने वाली लताएँ 1 से 2 मीटर तक भूमि पर फैली हुई होती है | पिपली के फल शहतूत की
तरह होते है | जब पिपली कच्ची अवस्था में होता है तो उसका र्संग हल्का पीला होता
है | जब वह अच्छी तरह से पक जाती है तो वह काले रंग में परवर्तित हो जाती है | इसे दो नामो से जाना जाता है | एक छोटी पिपली और
पिपली |
पिप्पली के गुण और लाभ |
भारत में छोटी पिपली अधिक उगाई जाती है | लेकिन बड़ी
पिपली को सिंगापुर से मंगाया जाता है | वैसे इसका उपयोग मसालों के रूप में किया
जाता है | परन्तु क्या आप जानते है कि इसे एक आयुर्वेदिक औषधी के रूप में भी
प्रयोग किया जाता है | आज हम इस छोटे से लेख के माध्यम से आपको पिपली के गुणों और
फायदे के बारे में कुछ जानकारी दे रहे है | जिनका उपोयग करके आप कुछ बीमारयों से
राहत पा सकते है |
आप तीन पिप्पली पिसलें और शहद में मिलाकर चाट लें
इससे खांसी के साथ ज्वर एवं मलेरिया तथा साँस संबंधित बीमारी से छुटकारा पा
लेंगे !
बुखार में चौथाई चम्मच सौंठ या पिप्पली दूध में उबाल
कर लें
दांत दर्द होने पर पिप्पली के 1-2 ग्राम चूर्ण में
सरसों का तेल, हल्दी और सेंधा नमक मिलाकर दांत पर मलने से दांत दर्द में आराम
मिलता है |
जुकाम होने पर पिप्पली मूल, काली मिर्च और सौंठ के
सम्भाग चूर्ण को 2 ग्राम की मात्र में ले और शहद के साथ चाटें बहुत लाभ होगा |
Danton Ke Drd KE LIYE |
मोटापा घटाने के लिए चार पिप्पली का चूर्ण आधा चम्मच
शहद में डालकर रोजाना चाटें |
यदि दस्त है तो पिप्पली के पत्ते को चबाकर या पानी
में उबालकर इसका उबला पानी पियें |
अगर आपको सिरदर्द है तो पिप्पली को पानी में पीसकर
इसका लेप सिर पर लगायें |
आधे सिर दर्द में पिप्पली और वच चूर्ण को बराबर
मात्रा में लें और तीन ग्राम की मात्रा में नियमानुसार पानी या गर्म दूध के साथ दो
बार सेवन करेंगे तो आपको आधेसिर दर्द से मुक्ति मिल जाएगी | आम लोग इसे मसाला के
रूप में भी प्रयोग करते हैं ,आयुर्वेद में
औषधीय गुणों का भंडार माना गया है |
श्वसन रोग में इसका फल एवं जड़ दवा के रूप में तथा
सुजन एवं पेसी दर्द में प्रति प्रकोपक एवं पीड़ाहारी के तौर पर प्रयुक्त होते हैं
इसके कृमि,वातहर और हिमैटिनिक रोधी गुण पाए जाते हैं |
पिप्पली के चूर्ण में शहद मिलाकर सुबह खाने से हृदय
रोग में लाभ तथा कोलेस्ट्रोल की मात्रा रेगुलर होती है |
पिप्पली के 5 – 6 पुराने पौधे की जड़ को सुखाकर पीसकर
चूर्ण बना लें | इस चूर्ण को 1 – 3 ग्राम की मात्रा में लें और पानी या गर्म दूध
के साथ लेने से शरीर के किसी भी भाग का दर्द से 1 – 2 घंटे में आराम मिल जायेगा |
वृद्ध व्यक्ति में शरीर दर्द हो तो यह तरीका अपनाये |
शहद और पिप्पली का चूर्ण मिलाकर प्रयोग करें |
छोटी हरड और पिप्पली को एक समान मिलाकर पीस लें और एक
चम्मच की मात्रा में सुबह शाम गर्म पानी के साथ लेने से पेट दर्द ,मरोड़ और
दुर्गन्धयुक्त अतिसार से छुटकारा मिलता है |
पिप्पली का चूर्ण आधा चम्मच और समान मात्रा में भुना हुआ जीरा तथा हल्का सा
सेंधा नमक मिलाकर छाछ के साथ सुबह खाली पेट सेवन करने से बवासीर में आराम मिलता है
|
Jukam Or Motape Ko Ghtayen |
यदि आपके दांत में दर्द है तो पिप्पली के 1 – 2 ग्राम चूर्ण में सेंधा नमक , हल्दी और
सरसों का तेल मिलाकर लगाने से दांत दर्द
में आराम मिलता है | टी बी तथा कोई अन्य संक्रामक रोग में इसका चिकित्सीय उपयोग
लाभदायक है | पिप्पली कई आधुनिक दवा एवं आयुरवेदिक कार्य क्षमता को बढ़ा देती है |
पिप्पली
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Vibhinn Laabh |
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