मशरूम की खेती करने का तरीका, Mashroom ki Kheti Karne ka Tarika |

बटन मशरूम की खेती करने का तरीका :-

Mashroom ki Kheti Karne ka Tarika
Mashroom ki Kheti Karne ka Tarika
मशरूम को खुम्बी के नाम से भी जाना जाता है | मशरूम की खेती दो रूपों में की जाती है | एक जिसे केवल मौसम के अनुसार ही उगाया जाता है | और दूसरा जिसे सारे वर्ष उगा सकते है | जो मौसम के अनुसार उगाई जाती है उसकी खेती मुख्य रूप से जम्मू कश्मीर , हिमाचल प्रदेश , उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाकों पर , तमिलनाडु के पहाड़ी इलाकों में , उत्तर पश्चिमी पहाड़ी भागों में की जाती है | मशरूम को सर्दी के मौसम में उगने के लिए उत्तर पश्चिमी के समतल भाग की मिटटी उत्तम मानी जाती है | इसके आलावा खुम्बी की खेती सारे देश में की जाती है | चंडीगढ़ , देहरादून , गुडगांवा , उटी , पूना , चेनई और गोवा के आसपास के इलाके में इसकी खेती सारे साल की जाती है | यंहा पर इसकी खेती से हमे लगभग 200 से 5000 टन की उपज मिल जाती है |
मशरूम को व्यावसायिक रूप से तीन प्रकार की खेती की जाती है | 1. बटन मशरूम , धानपुआल , ढींगरी खुम्बी आदि | इन तीनो में से बटन खुम्बी को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है | मसरूम के इन तीनो प्रकार को किसी हवादार कमरे में आसानी से उगाया जाता है |
मशरूम उगने के लिए उचित समय :- भारत में बटन मशरूम को अक्टूबर से मार्च के महीने में उगाना चाहिए | यह समय इसकी बुआई के लिए अच्छा होता है | इन छ: महीने में आप दो फसलें उगा सकते है | इसकी खुम्बी के लिए 22 से 26 डिग्री सेल्सियस का तापमान होना चाहिए | इस तापमान पर कवक जाल बहुत तेज़ी से बढ़ता है | कवक जाल बनने के बाद इसके लिए 14 से 18 डिग्री सेल्सियस का तापमान उत्तम होता है | इससे ज्यादा तापमान मशरूम के लिए हानिकारक होता है |
कम्पोस्ट खाद बनाने का तरीका
कम्पोस्ट खाद बनाने का तरीका 
बटन मशरूम की खेती में कम्पोस्ट खाद को बनाने की विधि :- कम्पोस्ट खाद को दो तरह से बनाया जाता है | कम्पोस्ट साधारण विधि और निर्जीविकिरण विधि से | लेकिन बटन मशरूम की खेती के लिए विशेष विधि से बनाई हुई खाद का प्रयोग करना चाहिए | कम्पोस्ट खाद के तैयार  होने क बाद इन्हें लकड़ी की पेटी या रेक में इस खाद की 7 से 8 इंच की मोटी तह बनाकर बिछा दें | इसके बाद इसमें बटन खुम्बी की बुआई करें | यदि बटन खुम्बी की खेती पोलीथिन में करनी है तो कम्पोस्ट खाद को स्पानिग या बुआई के बाद पोलीथिन में भरें | प्रत्येक थैली में छोटे – छोटे छेद बना लें |
बटन मशरूम की बिजाई करना :- मशरूम के बीजों को स्पान कहते है | मसरूम की बीज या स्पान को अच्छी और भरोसे मंद दुकान से ही खरीदा चाहिए | क्योंकि बीज की गुणवत्ता इसके उत्पादन पर प्रभाव डालती है | बीज की मात्रा कम्पोस्ट खाद के वजन से 2 से 2. 5 % के बराबर होनी चाहिए | मसरूम के बीज एक महीने से पुराना नहीं होना चाहिए |
बीजों को बोने का तरीका
बीजों को बोने का तरीका 
बीज को बोने का तरीका :- मशरूम को कम्पोस्ट खाद से भरी हुई पेटी में बिखेर दें | और उसके उपर 2 से 3 सेंटीमीटर मोटी कम्पोस्ट खाद की एक परत बना दें | पहले एक पेटी में कम्पोस्ट खाद की 3 इंच मोटी परत चढ़ा दें | इसके बाद इसमें मशरूम के  आधे को बीजों को बिखेर दें | बीजो को बिखेरने के बाद इस पर दोबारा 3 इंच मोटी कम्पोस्ट खाद की एक और परत चढ़ा दें | बाकि बचे हुए मसरूम के बीजों को उस खाद पर बिखेर दें | इसके बाद बीजों पर कम्पोस्ट खाद की एक पतली सी परत बिछा दें | इस प्रकार की विधि से आप मशरूम की बुआई करें |
 बुआई के बाद मशरूम की देखभाल करना :- बुआई के बाद मशरूम की पेटियों और थैलियों को एक कमरे में रख दें | और इन पेटियों पर पुराने अखबार बिछा कर पानी से गीला कर दें | जिस कमरे में मशरूम उगाई जा रही हो उस कमरे में नमी होनी चहिये | इसके लिए कमरे की फर्श और दीवारों पर पानी का छिडकाव करें | कमरे का तापमान लगभग 22 से 26 डिग्री सेल्सियस का होना चाहिए | और कमरे की नमी 80 से 85 % के बीच ई होनी चाहिए | बुआई के 15 से 20 दिन के बाद कवक जाल पूरी तरह से कम्पोस्ट खाद पर फैल जाएगा | कवक के फैलने के बाद मशरूम को अधिक हवा का आवश्कता नहीं होती इसलिए कमरे को बंद रखे |
बुआई का तरीका
बुआई का तरीका 
केसिन्ग करना :- खेत की मिटटी को छानकर रख लें | जितनी मात्रा मिटटी की है उतनी ही मात्रा सड़ी हुई गोबर की लें | अब इन दोनों को आपस में मिलाकर एक मिश्रण तैयार करें | इस मिश्रण के 5% भाग का फार्मलीन या निर्जिवीकरण कर लें | इस प्रकार से तैयार की हुई मिटटी का प्रयोग परत चढाने के लिए किया जाता है | कम्पोस्ट खाद से भरी हुई पेटीयों में जब मशरूम का कवक जाल बिछ जाये तो तैयार की हुई मिटटी की 4 से 5 सेंटीमीटर मोटी परत बिछा दें | मिटटी की परत चढाने के लगभग 3 दिन के बाद जिस कमरे में मशरूम उगाया जा रहा है | उस कमरे का तापमान 14 से 18 डिग्री सेल्सियस के बीच का होना चाहिए | इसके साथ ही साथ कमरे की आद्रता लगभग 80 से 85 % के बीच की होनी चाहिए | कवक के फैलाव के बाद का समय फल बनने का होता है | इस समय कमरे की खिड़की और दरवाजे खोलकर रखने चाहिए | ताकि मशरूम को उचित रूप से ताज़ी हवा और प्रकाश मिल सके और उसकी वृद्धि अच्छी तरह से हो सके |  
मशरूम के फल बनने की प्रिक्रिया और तुड़ाई की विधि :- मशरूम की बुआई के 30 से 40 दिन के बाद कम्पोस्ट खाद के उपर सफेद फलनकाय दिखाई देने लगता है | यह अवस्था मिटटी चढाने के लगभग 15 से 20 दिन के बाद भी दिखाई  है | यह सफेद फलनकाय 4 से 5 दिन के बाद बटन के आकार में बढ़ने लगते है | जब मशरूम की टोपी टाईट हो जाये ओए उसके नीचे की झिल्ली साबुत हो जाये तो मशरूम की फसल पककर तैयार हो जाती है | इसे उँगलियों से हल्का सा दबाकर घुमाकर तोड़ लें | इसे चाकू की मदद से भी काट सकते है | मशरूम की एक फसलचक्र में मशरूम की 5 से 6 फसलें आते है |
मशरूम की उपज :- मशरूम की एक वर्ग मीटर की भूमि पर से लगभग 7 से 9 किलो ग्राम की पैदावार होती है | इसके आलावा 100 किलोग्राम कम्पोस्ट से लगभग 12 किलोग्राम मशरूम की उपज मिल जाती है |
मशरूम  की तुड़ाई करने का तरीका
मशरूम  की तुड़ाई करने का तरीका 
मशरूम की तुड़ाई :- मशरूम को तोड़ने के बाद साफ पानी के साथ अच्छी तरह से धो लेना चाहिए | इसके बाद तोड़ी हु मशरूम को ठंडे पानी में कुछ देर तक भिगोकर रख दें | मशरूम को ताज़ा ही प्रयोग करना चाहिए | मशरूम को फ्रिज में  5 डिग्री के तापमान पर 4 से 5 दिन के लिए रख सकते है | बाजार में बचने  के लिए मशरूम को पोलीथिन में या थैलियों में पैक किया  जाता है | बाजार में सफेद मशरूम की मांग बढ़ती जा रही है | इसलिए मशरूम को पोटेशियम मेटाबाईसल्फेट के घोल से उपचारित किया जाता है | सामन्य तौर पर बटन मशरूम की बाजार में कीमत लगभग 100 से 120 रूपये किलो है | लेकिन जब शादी ब्याह का मौसम आता है तो इसकी कीमत 150 रूपये किलो तक मिल जाती है |
मशरूम की खेती में कुछ सावधानियां :- मशरूम की अच्छी उपज इसके बीज और कम्पोस्ट खाद पर निर्भर करती है | इसलिए कम्पोस्ट खाद बनाते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए | यदि कम्पोस्ट खाद बनाते हुए कुछ भूल हो जाती है तो मशरूम की फसल में कीड़ा या बीमारी का प्रकोप होने लगता है | जिससे यह फसल ख़राब हो जाती है | इसलिए हमे मशरूम के अच्चे बीज और अच्छी खाद का प्रयोग करना चाहिए |

बटन मशरूम के लिए कम्‍पोस्‍ट खाद बनाने का तरीका :-

कम्पोस्ट खाद बनाने का साधारण तरीका :- साधारण विधि से खाद बनाने में लगभग 20 से 25 दिन का समय लगता है |
कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए हमे निम्नलिखित सामग्री की जरूरत होगी |
1. धान या गेंहू के 10 से 12 सेंटीमीटर लम्बाई में कटा हुआ भूसा लगभग 250 किलोग्राम
2. धान या गेंहू की भूसी  की 20 से 25 किलोग्राम की मात्रा
3. यूरिया 3 किलो
4. मैलाथियान 10 मिलीलीटर
5. अमोनिया सल्फेट या कैल्शियम अमोनिया नईट्रेट की 4 किलोग्राम की मात्रा
6. जिप्सिम की 20 किलोग्राम की मात्रा
इन सभी सामग्रियों से हम 100 सेंटीमीटर लम्बी , 50 सेंटीमीटर चौड़ी और 15 सेंटीमीटर ऊँची कम्पोस्ट खाद बना सकते है | जिसे हम 15 पेटियों में आसानी से भर सकते है | जिस जगह पर हमे कम्पोस्ट खाद बनाना है उस जगह –पर धान या गेंहू के भूसे से 8 से 10 इंच मोटी तह बिछा दें | इसके बाद भूसे को पानी से भिगों दें | पानी से भिगोने केलगभग 16 से 18 घंटे के बाद उसमे कीटनाशक और जिप्सिम को छोडकर बाकि सभी सामग्री डालकर अच्छी तरह से मिला दें | सभी सामग्रियों के मिलाने के बाद एक मीटर चौड़ा ओए एक मीटर ऊँचा ढेर बना दें | भूसे के मिश्रण के हर एक ढेर को 3 या 4 दिन के अंतर पर हवा लगाने के लिए फर्श पर खोलकर बिछा दें | हवा लगाने के आधे घंटे के बाद इसे दोबारा ढेर बना दें | यदि भूसा सुखा लगे तो उसे पानी डालकर हल्का सा गीला कर ले |
मशरूम की आधुनिक खेती
मशरूम की आधुनिक खेती 
जब इस ढेर को तीसरी बार पलटे तब इसमें जिप्सिम की आधी मात्रा को अच्छी तरह से मिला दें | बाकि बची हुई जिप्सिम की मात्रा को चौथी पलटाई के समय मिला दें |
पांचवी बार पलटते समय 10 मिलीलीटर मैलाथियान को 5 लीटर पानी के साथ मिलाकर भूसे पर छिडकाव करें | इसके बाद इसे अच्छी तरह से मिक्स करके वापिस ढेर के रूप में बना दें | लगभग 4 से 5 दिन में कम्पोस्ट खाद बनकर तैयार हो जाएगी | जिसे हम पेटियों में भर सकते है |
निर्जिवीकरण विधि से कम्पोस्ट खाद को बनाने में लगभग 15 दिन का समय लग जाता है | इसे बनाने में दो चरण लगते है |  
1, पहला चरण :- इस विधि में कम्पोस्ट खाद बनाने का पहला चरण साधारण विधि की तरह ही होता है | लेकिन इसकी पलटाई 48 घंटे के बाद की जाती है  | इसके आलावा भूसे की तीसरी पलटाई के समय इसमें जिप्सिम की मात्रा को मिला दें | लगभग 7 से 8 दिन के बाद कम्पोस्ट खाद दुसरे चरण  के लिए तैयार हो जाती है |
दूसरा चरण :- इस चरण में कम्पोस्ट खाद को पेटियों में भरकर इसे 45 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर निर्जिवीकरण कमरे में रखा जाता है | ताकि यह इस तापमान पर गर्म हो जाये | खाद को कमरे में रखने के बाद खिड़कियाँ और दरवाजो को अच्छी तरह से बंद कर दें | 3 से 4 दिन तक भाप से कमरे का तापमान लगभग ५७ से ५८ डिग्री सेल्सियस का होना चाहिए | अगले दिन 2 या 3 घंटे के लिए कमरे का तापमान 60 से 62 डिग्री पर रखे | 2 घंटे के बाद कमरे में ताज़ी हवा को अंदर आने दें | जिससे कमरे का तापमान धीरे – धीरे 45 डिग्री का हो जाये |
इसके बाद 3 या 4 दिन तक कम्पोस्ट खाद को सामान्य तापमान पर ठंडा होने के लिए छोड़ दें | इसके बाद कम्पोस्ट खाद तैयार हो जाती है | यह खाद गहरे भूरे रंग की गंध से रहित होती है | तैयार खाद का पी/ एच माँ उदासीन होता है |  

मशरूम उत्पादन...गांव में खेती, शहर में कमाई करने का तरीका :-
मशरूम की आधुनिक किस्में
मशरूम की आधुनिक किस्में 
आजकल मशरूम को मांग बढ़ती ही जा रही है | लोग इसे खाने में बहुत पसंद करते है | गाँव से लेकर शहर तक मशरूम को पंहुच गई है | लेकिन बढती हुई मांग के अनुसार इसका उतपादन कम है | इस परिस्थिति में आप मशरूम की खेती करके इसके उत्पादन को बढ़ा सकते है और अपनी एक अच्छी आमदनी कमा सकते है

मशरूम के बारे में कुछ जानकारी :- मशरूम खाने से मनुष्य के शरीर को लाभ मिलता है | इसमें फोलिक एसिड और खनिज लवण जैसे मुख्य तत्व पाए जाते है | जो मनुष्य के शरीर में रेड ब्लड सेल्स बनाने का काम करता है | सामन्य रूप से इसका उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है | पहले इसका उपयोग कुछ ही देशों में किया जाता  था | लेकिन आज के समय में मशरूम का उपयोग सारे देश में और छोटे – छोटे गाँव में किया जाता है |
मशरूम के लिए जगह और मौसम का महत्व :- मशरूम के लिए वातावरण में नमी का होना बहुत जरूरी है | क्योंकि नमी में मशरूम का अच्छी तरह से विकास होता है | बिना नमी के मशरूम की वृद्धि नहीं हो पाती | मशरूम को उगाने के लिए मौसम का तापमान 20 से 40 डिग्री सेल्सियस का होना चाहिए |
मशरूम का उत्पादन करने का तरीका :- मशरूम का उत्पादन करने के लिए आप अपनी मर्जी के अनुसार जगह का चुनाव कर सकते है | मशरूम को नमी वाले स्थान पर आसानी से उगाया जा सकता है | इसलिए हमे नमी वाली जगह जा की चुनाव करना चाहिए | मशरूम क उत्पादन के लिए अपनी भूमि के कुछ भाग को मशरूम के उतपादन के लिए तैयार करें | इसके उत्पादन के लिए धान या गेंहू के भूसे की 8 से 10 सेंटीमीटर मोटी तह बिछा दें और इसे पानी से गीला कर लें | ताकि पुआल या भूसा नम हो जाये | अब इसमें कम्पोस्ट खाद डालकर मशरूम के बीजों को डालकर इसका उत्पादन कर सकते है | ऑयस्टर मशरूम के लिए वातावरण में 80 से 85 % नमी का होना अति आवश्यक होता है | और मौसम का तापमान 20 से 40 डिग्री का होना चाहिए | मशरूम की बुआई सितम्बर से अक्टूबर का महिना अच्छा माना जाता है | इसके आलावा टेम्परेट मशरूम के उतपादन के लिए 80 से 90 फीसदी नमी होनी चाहिए | और साथ ही साथ तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस का होना चाहिए | इस किस्म के मशरूम की बुआई के लिए अक्टूबर से फरवरी का महिना अनुकूल होता है | वाल वैरिय्ल्ला मशरूम की बुआई अप्रैल से अक्टूबर के महीने में किया जाता है | इसके लिए मौसम का तापमान 30 से 40 डिग्री सेल्सियस का होना अति आवश्यक है और  वातावरण में 80 %नमी होनी चाहिए |
मशरूम का उत्पादन
मशरूम का उत्पादन 
मशरूम के उत्पादन के लिए जरूरी समान :- मशरूम उत्पादन के लिए मशरूम घर , पोलीथिन के थैले , कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए आवश्यक सामग्री , केसिंग मिटटी और मशरूम स्पान आदि मुख्य सामान है |
मशरूम का सफल और अच्छा उत्पादन कम से कम 2 या 3 महीने में हो जाता है | मशरूम की बुआई से लेकर कटाई तक लगभग 2 या 3 महीने का समय लग जाता है |  
मशरूम का व्यापार :- मशरूम के उत्पादन करने के बाद उसे बाजार तक भेजने के बाद ही आपको अच्छा फायदा मिलता है | मशरूम की बाजार में बहुत मांग है | इसलिए आपको एक बार बाजार में अपनी पहचान बनानी पड़ेगी | ताकि आगे मशरूम आसानी से बाजार में पंहुच जाए |
आजकल हमारे देश में लोगों की पसंद के अनुसार मशरूम की मांग बढती ही जा रही है | और मशरूम का उत्पादन बहुत कम है | हालाकि मशरूम का उत्पादन काफी तेज़ी से बढ़ता जा रही है | लेकिन अभी भी जरूरत के आनुसार उत्पादन बहुत कम है | ऐसी अवस्था में यदि मशरूम का उत्पादन करना शुरू कर देते है तो यह हमारे लिए लाभदायक साबित हो सकता है |
प्रशिक्षण देनी वाले संस्थान के नाम निम्नलिखित है :-
1. पादप रोग संभाग भारतीय कृषि अनुसंधान पूसा नई दिल्ली
2. राजेद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपूर बिहार
3. राष्ट्रीय खुम्ब अनुसंधान केंद्र सोलन हिमाचल प्रदेश
4. इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट इलाहाबाद उत्तर प्रदेश
5. सबौर कृषि विद्यालय भागलपुर बिहार
मशरूम उत्पादन यूनिवर्सिटी
मशरूम उत्पादन यूनिवर्सिटी  
6. आणद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी आणद गुजरात
7. जी. बी .पन्त युनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी पन्त नगर उत्तराखंड
प्रशिक्षण करने के लिए :- कृषि विश्वविध्यालय और राज्य सरकार के बागवानी विभाग समय – समय पर प्रशिक्षण कार्य चलाते रहते है | इसमें शामिल होकर आप आसानी से मशरूम के उत्पादन को बारीकियों से सीख सकते है | यह प्रशिक्षण सरकारी संस्थान में बिल्कुल मुफ्त सिखाया जाता है |

पूंजी :- मशरूम की खेती को छोटी सी जगह में कम पूंजी लगाकर आसानी से शुरू किया जा सकता है | जिससे हम अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकते है | तीन या चार कमरों को मशरूम घर बनाकर इसमें मशरूम का उत्पादन कर सकते है | इसके लिए मशरूम क बीज , कम्पोस्ट खाद और अन्य जरूरी सामान के लिय कम से कम 20 से 25 हजार रूपये की लागत लगती है | मशरूम में इतनी लागत लगाकर हम इससे बहुत लाभ कमा सकते है | 





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