केसर की खेती
केसर का उपयोग ज्यादतर यूरोप और एशिया के
भागों में किया जाता है | केसर का बाजार में बहुत अधिक मूल्य है क्योकि एक ग्राम
केसर बनाने के लिए बहुत सारे फूलो का उपयोग किया जाता है | इसलिए इसकी कीमत बहुत
अधिक है | केसर खाने से मनुष्य के शरीर को कई फायदे मिलते है | ज्यादतर लोग इसका
उपयोग अपनी त्वचा कि चमक बढाने के लिए करते है |गर्भवती महिलाओं के लिए केसर वाला दूध अधिक
फायदेमंद होता है | तो आज हम केसर की खेती के विषय में कुछ जरूरी
जानकारी पर चर्चा करेंगे |
मूल्यवान केसर की खेती कैसे करें |
· केसर की खेती के लिए उचित जलवायु :- केसर की फसल को ठंडा , सुखा और धूप जैसी
जलवायु अच्छी मानी जाती है | ज्यादा ठंडा मौसम और गिला मौसम होने से इसके पौधे में
फूल नहीं आते | लेकिन एक फूल में से दूसरे फूल के आने से उत्पादन करने कि योग्यता
बढ़ जाती है | यह समुन्द्र स्तर से 1500 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर बढ़ता है |केसर की
खेती के लिए ओसत रूप से 100 सेंटीमीटर की वर्षा का होना बहुत जरूरी है | जिस
क्षेत्र में सर्दी के मौसम में थोड़ी बर्फ गिरती है उस भाग में इसकी खेती सफलतापूर्वक
की जाती है |
· केसर की खेती के लिए भूमि का चुनाव :- केसर की कि फसल के लिए रेतीली चिकनी ,
बलुई मिटटी और दोमट मिटटी उत्तम मानी जाती है | भूमि में उचित प्रकार से जल का
निकास होना अति अनिवार्य है | यदि जल का निकास उचित प्रकार से नहीं होगा तो इसके
क्रोम्स सड़ने लगते है |
· केसर की खेती के लिए खेत की तैयारी :- खेत की तीन या चार बार अच्छी तरीके से
जुताई करनी चाहिए | बीजों के अच्छे अंकुरण एक लिए अंतिम जुताई करने से पहले
कार्बनिक खाद और कृषि यार्ड खाद को खेत में मिला दें | इसके बाद जुताई करें ताकि
खाद और मिटटी आपस में अच्छी तरह से मिक्स हो जाये | खेत के चारों कोनो में पानी की निकासी का प्रबंध होना चाहिए |
· केसर की बुआई का उचित समय :- जुलाई के महीने का मध्य का समय सबसे
अच्छा माना जाता है | लेकिन इसकी बुआई जुलाई से लेकर अगस्त के महीने में की जाती
है |
Mulyvan Kesar ki Kheti Kaise Karen |
· केसर की फसल में खाद का प्रयोग :- खेत की आखिर की जुताई करने से पहले खेत
कि एक हेक्टेयर भूमि पर लगभग 15 से २० टन अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद को मिला दें | इसके
साथ ही साथ 85 से 90 किलोग्राम नाइट्रोजन की मात्रा और 60 किलोग्राम फास्फोरस ,
पोटाश की मात्रा को एक साथ मिलाकर खेत में बिखेर दें |
· केसर का प्रसारण :- केसर को corms के माध्यम से प्रसारण किया
जाता है | इसके लिए 2. 5 सेंटीमीटर के व्यास के उपर के corms का रोपण करना चाहिए |
केसर का पौधा एक बारहमासी पौधा होता है |
· रोपण की विधि :- केसर के पौधे को कतारों में बोना चाहिए | केसर
कि corms को 6 से 7 सेंटीमीटर की गहराई में बोया जाता है | corms की बुआई को उचित
दुरी पर बोयें | इसे कम से कम 10 सेंटीमीटर कि दुरी पर लगायें और साथ ही कतरों में
भी थोड़ी दुरी बनाएं | ताकि पानी का निकास होता रहे |
· केसर के बीज की मात्रा :- एक हेक्टेयर भूमि पर केसर की 15 किवंटल
corms की अवश्यकता होती है |
· खरपतवार की रोकथाम :- खेत में यदि जंगली घास उग जाये तो फसल
पकने तक के समय में कम से कम दो या तीन बार कुदाल से निराई – गुड़ाई करें |
केसर के लिए उथले खेती की जरूरत होती है |
आमतौर पर केसर की फसल को पुरे दिन सूर्य के प्रकाश की जरूरत नहीं होती | किन्तु एक
दिन में कम से कम 6 से 7 घंटे सूर्य के प्रकाश कि अवश्यकता होती है | जिस समय पौधे
में विधि हो रही हो उस समय हर दुसरे दिन फसल में थोडा – थोडा पानी डालना चाहिए |
जिससे केसर की फसल का समुचित विकास और वृद्धि होती है |
सर्दी के मौसम जब पौधे की पत्तियों का
विकास होता है | तो उन्हें केवल धुप में ही ना रखे उसके लिए थोड सी छाया की जरूरत
होती है | इसकी फसल ठंड को सहन कर सकती है | जिस समय पत्ते वापिस मरना शुरू हो
जाते है तो अप्रैल के महीने में इसमें
पानी नहीं दिया जाता है | गर्मी के मौसम के आने के बाद इसके पौधे को घर के अंदर
में रखा जाता है | सर्दी का मौसम आते ही
केसर के पौधे पर नई पत्तियां आना शुरू हो जाती है | जिस समय पत्तियां पौधे में से
उभरने लगे उस समय पौधे में पानी डालना चाहिए | और उन्हें वापिस उसी स्थान पर रख
देना चाहिए जंहा से उन्हें उठाया गया था | केसर की सफलतापूर्वक खेत करने के लिए
हमे रोजाना इसकी फसल का अच्छी तरह से ध्यान रखना चाहिए | जिससे हमे फसल तैयार होने
पर अच्छे परिणाम प्राप्त होते है | जब फसल तैयार हो जाये तो इसकी कटाई की जा सकती है |
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