अखरोट के लाभ :-
भूमिका :- अखरोट का पेड़ बहुत सुंदर और खुशबूदार होता है | अखरोट की दुनिया भर में केवल दो प्रजातियाँ पाई जाती है |
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जंगली अखरोट :- इसका पेड़ जंगल में अपने - आप ही उग जाता है | अखरोट का पेड़ 100 से 200 फीट तक ऊँचे होते है | इस किस्म के अखरोट का छिलका मोटा होता है |
अखरोट का पेड़ |
किसान द्वारा उगाये हुए अखरोट :- इस किस्म के अखरोट का छिलका पतला होता है | इसे कागजी अखरोट भी कहते है | इससे बन्दूको के कुंदे बनाये जाते है | इस अखरोट के पेड़ की ऊंचाई कम से कम 40 से 90 फीट की होती है | अखरोट को देश के विभिन्न स्थानों पर अलग - अलग नामों से जाना जाता है |
जैसे :-
संस्कृत भाषा में :- अक्षोट
मराठी भाषा में :- अखरोड़ और अक्रोड
अरबी भाषा में :- जौज
फारसी भाषा में :- चारमग्न और गौज
हिंदी भाषा में :- अखरोट
तेलगु भाषा में :- अक्षोलुम
अखरोट के पेड़ का स्वरूप :- अखरोट के पेड़ में बसंत के मौसम में फूल निकलते है और सर्दी के मौसम में फल आते है | इस पेड़ की नई टहनियों पर थोड़ी - थोड़ी दरारे होती है यह बहुत मखमली और धूसर होतीहै | इसकी पत्तियां सघन होती है | इस पेड़ के पत्ते का आकार ८इन्च लम्बा और 2 से 4 इंच चौड़ा होता है | अखरोट के फूल एकलंगी और हरे रंग के होते है | अखरोट के फल गोल आकार के होते है | इस्केफ्ल की गिरी में काफी मात्रा में तेल पाया जाता है |
अखरोट के फल की विशेषता :- अखरोट के फल में लगभग 40 से 50 % तेल पाया जाता है | इसके फलों में आक्जैलिक एसिड होता है |
अखरोट के गुण |
अखरोट के गुण :- अखरोट का सेवन करने से वात का शमन होता है | यह कफ और पित्त वर्धक होता है | इसका लेप लगाने से कुष्ठघन और वेदना का स्थापन होता है | अखरोट के फल में से गिरी और तेल को छोडकर इसके सभी शेष भाग संघ्रही होते है |
अखरोट को किन - किन रोगों के लिए उपयोग किया जाता है इसके बारे में हम आपको कुछ जानाकरी दे रहे है | जिससे आप अखरोट का एक औषधि के रूप में प्रयोग कर सकते है |
कमजोर दीमाक :- अखरोट की गिरी की 30 से 50 ग्राम की मात्रा को रोजाना खाने से मस्तिष्क तेज हो जाता है |
अपस्मार का रोग :- अखरोट की गिरी को निर्गुन्डी के रस के साथ पीस लें | इसे नाक से सूंघे अपस्मार का रोग बहुत हद तक कम हो जाता है |
अखरोट का तेल |
कंठ माला :- अखरोट के ताज़े हरे पत्तों का क्वाथ बना लें | इस क्वाथ की 50 से 60 ग्राम की मात्रा को रोजाना गांठों को घोने से कंठमाला ठीक हो जाती है |
आँखों की रौशनी के लिए :- दो अखरोट और तीन हरड की गुठली को पूरी तरह जलाकर भस्म कर दें | इस भस्म के साथ 4 नग काली मिर्च को पीसकर मिला दें | इन दोनों के मिश्रण से अंजन करने से आँखों की ज्योति बढ़ती है |
खांसी के लिए :- अखरोट की गिरी को भूनकर चबाये | इससे खांसी बहुत कम हो जाती है |
अखरोट को उसके छिलके सहित ही भस्म कर दें | इस भस्म की लगभग 5 ग्राम की मात्रा को शहद के साथ खाने से खांसी ठीक हो जाती है |
हैजा की बीमारी :- जो व्यक्ति हैजा जैसी बीमरी से पीड़ित है उसके शरीर में बहुत कमजोरी हो जाती है | इस रोग में जब मनुष्य की बाइटे चलने लगे या सर्दी के कारण शरीर एंठने लगे तो अखरोट के तेल की मालिश करनी चाहिए |
दांतों के लिए :- अखरोट के पेड़ की छाल को मुंह में रखकर चबाने से दांत साफ़ होकर चमकने लगते है | इसके आलावा अखरोट के छिलकों को भस्म का मंजन करने से दांत मजबूत बनते है |
अखरोट का फल |
माता के दुध में वृद्धि के लिए :- जो माताएं अपने सन्तान को दूध पिलाती है उसके दुध में वृद्धि के लिए अखरोट के पत्ते की 10 ग्राम कि मात्रा को पीसकर गेहूं या सूजी के आटे में मिला दें | इस आटे की गाय के घी में पूरी बनाएं और खाएं इससे माता के दूध में वृद्धि होती है | इस प्रकार की पूरी को लगातार सात दिन तक खाएं | तभी इससे फायदा होगा |
कब्ज को दूर करने के लिए :- अखरोट के तेल की लगभग 20 से 30 ग्राम की मात्रा में गाय का 250 ग्राम दूध मिलाकर खाली पेट पीये | इससे कोष्ठ मुलायम होकर अच्छा पतला दस्त होकर पेट साफ़ हो जाता है |
आँतों के कीड़े को दूर करने के लिए :- अखरोट के पेड़ की कुछ पत्तियों का क्वाथ अथवा काढ़ा बनाकर 40 से 60 ग्राम की मात्रा में पीने से आंतों के कीड़े मर जाते है | इसके आलावा आप अखरोट के पेड़ की छाल का भी क्वाथ बना सकते है | इसके पीने से भी आँतों के कीड़े मर जाते है |
अर्श का रोग :- अखरोट के छिलके की भस्म को किसी भी विष्टिम्भी औषधि के साथ मिलाकर दिन में कम से कम दो या तीन खाने से रक्तार्श जैसी बीमारी ठीक हो जाती है |
मासिक धर्म के लिए :- जिन स्त्रियों को मासिक धर्म रुक - रुक कर आता है वो स्त्रियाँ अखरोट के फल के छिलके का क्वाथ बना लें | इस क्वाथ की 60 ग्राम की मात्रा में लगभग 2 चम्मच शहद डालकर एक दिन में कम से कम दो या तीन बार सेवन करें | इस प्रकार की विधि का प्रयोग रोजाना करें | मासिक धर्म उचित प्रकार से आना शुरू हो जाता है |
अखरोट के फायदे |
वात रोग के लिए :- अखरोट की 10 से 20 ग्राम ताज़ी गिरी को पीसकर एक लेप बनाएं | इस लेप को वेदना युक्त स्थान पर लगा लें | इसके बाद ईट को थोडा सा गर्म उस पर पानी छिडक कर कपड़ा लपेट कर सेंके | इससे दर्द में जल्द ही आराम मिल जाता है | इसके अलावा जिस व्यक्ति को गठिया है वह रोजाना अखरोट की गिरी का सेवन करें |
वीर्य का अधिक स्त्राव:- अखरोट के फलों के छिलके का भस्म बना लें | जब भस्म बन कर तैयार हो जाये तो इसमे बराबर मात्रा में खांड मिला दें | रोजाना इस मिश्रण की 10 ग्राम की मात्रा को पानी के साथ लेने से वीर्य का अधिक स्त्राव बंद हो जाता है | इस किर्या को लगातार 10 दिनों तक करें |
शोथ :- अखरोट का लगभग 20 से 40 ग्राम तेल और 250 ग्राम गौमूत्र लेकर आपस में अच्छी तरह से मिला दें | इस मिश्रण को पीने से मनुष्य के पुरे शरीर का शोथ ठीक होने लगता है |
वात से होने वाले शोथ में अखरोट की 10 से 20 ग्राम गिरी को कांजी में पीसकर लेप बनाकर लगाने से शोथ ठीक हो जाता है |
अखरोट सेहत के लिए लाभदायक |
अफीम के विष के लिए :- अखरोट की 20 से 30 ग्राम गिरी को खाने से अफीम का विष शांत हो जाता है |
नासूर :- अखरोट की 10 ग्राम गिरी को बिल्कुल बारीक़ पीस लें | अब इसे मोम या मीठे तेल में पकाकर गला लें | इसका लेप लगाने से नासूर ठीक हो जाता है |
दाद के लिए :-दाद होने पर सुबह के समय बिना कुल्ला और मंजन किये मुंह में 5 से 10 ग्राम अखरोट की गिरी को चबाकर लेप लगायें | यह प्रयोग कम से कम 7 से 10 दिन तक करें | दाद जड़ से खत्म हो जाता है |
व्रण :- अखरोट के पेड़ की छाल का क्वाथ बनाकर व्रण धोने से लाभ मिलता है |
बूढ़े व्यक्ति में बल लाने के लिए :- अखरोट की 10 ग्राम गिरी में 10 ग्राम मुन्नका मिलाकर खाने से लाभ मिलता है |
तो आप इस तरह से अखरोट का एक औषधि के रूप में प्रयोग कर सकते है | इससे कोई हानिकारक प्रभाव नही होता | यह एक आयुर्वेदिक औषधि है |
अखरोट सेहत के लिए
फायदेमंद है | Akhrot Ke Labhkaari Gun , Akhrot Ke Poudhe Ki Sanrachna | अखरोट का औषधि के रूप में प्रयोग |
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