मूत्रवह से जुडी हुई बीमारी :-
मूत्रकृच्छ , मूत्राघात , मुत्राशमारी आदि
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मूत्रकृच्छ या मुत्रघात ( Mutraghat ) की बीमारी का ईलाज
इस बीमारी में पेशाब करते समय जलन महसूस होती है | जिससे हमें मूत्र त्यागने
में कष्ट होता है इस बीमारी को ठीक करने का आयुर्वेद में एक आसान सा उपाय है, ऐसे रोगियों को खूब पानी पीना चाहिए, और चिकित्सक से परामर्श लेकर दवा लेनी चाहिए |
जैसे :-
सामग्री : -
१. गोक्षुरादि गुग्गुलु (Gokshuradi Guggal) :- ६० ग्राम
२. चन्द्रप्रभा वटी (Chandraprabha Vati) :-
४० ग्राम
३. गिलोयघन वटी (giloydhan vati) :- ६० ग्राम
उपरोक्त तीनों आयुर्वेदिक औषधियों की एक – एक गोली दिन में तीन बार ( सुबह ,
दोपहर और शाम ) खाना खाने के आधे घंटे बाद हल्के गर्म पानी के साथ खाएं | इसके
आलावा चन्दनासव नामक आयुर्वेदिक औषधि लेकर इस औषधि की चार चम्मच की मात्रा में चार
चम्मच पानी मिलाकर पीये | इस प्रयोग को रोजाना सुबह और शाम खाना खाने के बाद करें | मूत्राघात और मूत्रवह से जुडी
हुई सारी परेशानियाँ दूर हो जायेगी |
मुत्राश्मरी की बीमारी का ईलाज
सामग्री :-
अश्मरीहर क्वाथ :-
३०० ग्राम
दवा बनाने की विधि :- किसी एक बड़े
बर्तन में ४०० मिलीलीटर पानी लेकर इसमें एक चम्मच अश्मरीहर औषधि की मिलाकर धीमी – धीमी आंच
पर पकाएं | कुछ देर पकने के बाद जब इसका पानी १०० मिलीलीटर रह जाए तो इसे छानकर
खाली पेट सुबह के समय और शाम के समय पीयें | इस प्रकार का उपचार करने के आलावा
अश्मरीहर रस नामक औषधि की एक – एक ग्राम की मात्रा को उपरोक्त तैयार क्वाथ के साथ
पीयें |
सामग्री :-
गोक्षुरादि गुग्गुलु (Cow Kshuradi Guggal ) :- ६० ग्राम
चन्द्रप्रभा वटी (Chandra Prabha Vati) :- ६० ग्राम
मुझे पेशाब बहुत अधिक आता है जिस कारण मेरी नींद भी पूरी नही होती। बहुत परेशान हूँ। कोई इलाज बतायें।
ReplyDeleteApne urine k test karvaye
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