केदारनाथ धाम एक धार्मिक स्थल |

केदारनाथ धाम  :- भारत में अनेकों तीर्थ स्थल है जंहा पर आप हर साल पूजा अर्चना करने के लिए जाते | भारत के उतराखंड राज्य में ऐसे ही चार धाम बनाये हुए है जिसमे से केदारनाथ धाम एक है | जंहा अनेक विचित्र करने वाले दृश्य दिखाई देते है | तो आज हम आपको केदारनाथ धाम के बारे में कुछ जरूरी बाते बता रहे कि यह स्थान किन – किन विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है |
केदारनाथ
केदारनाथ 

केदारनाथ :- केदारनाथ मंदिर भारत के उतराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है | केदारनाथ भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक लिंग है | जंहा शिवजी का वास है | इसके आलावा यह धाम चार धाम में से मुख्य धाम है | जिसकी यात्रा हर कोई व्यक्ति करना चाहता है | इस स्थान पर स्थित स्वयंभू शिवलिंग बहुत साल पुराना है | हिमलाय पर्वत की गोद में बसा हुआ यह धाम साल में केवल छ: महीने तक ही खुलता है | बाकि के छ: महीने इस मन्दिर के कपाट बंद रहते है | इस स्थान पर प्रतिकूल जलवायु की उपस्थिति के कारण मन्दिर अप्रैल से नवम्बर तक के समय में खुलता है |
केदारनाथ का ज्योतिर्लिंग
केदारनाथ का ज्योतिर्लिंग

केदारनाथ के ज्योतिर्लिंग की ऊंचाई 3584 मीटर की है | केदारनाथ मन्दिर के पास मदाकिनी नदी बहती है | यह मन्दिर हिमालय की पर्वतश्रृंखला में स्थित है | इस मन्दिर का जीर्णोद्धार शंकराचार्य द्वारा किया गया | केदारनाथ धाम के बारे में यह बात कही जाती है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है उसकी यात्रा निष्फल हो जाती है | यदि आप केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन करते है तो आपके समस्त पाप दूर हो जाते है और आपको जीवन मुक्ति की प्राप्ति होती है |

पुरानी कथा के अनुसार भगवान शिव की सवारी नंदी बैल की मूर्ति इस मन्दिर के बाहर स्थापित है | जो कि एक रक्षक के रूप में मन्दिर के बाहर है | एक हजार साल पुराना यह मन्दिर छ: फीट ऊँचे चौकोर चबूतरों से बना हुआ | इन चबूतरों को भारी पत्थर को काटकर बनाया गया है | मंदिर के मुख्य भाग मण्डप और गर्भगृह के चारों ओर एक पथ बना हुआ |
केदारनाथ
केदारनाथ 
गर्भगृह :- मन्दिर के अंदर गर्भगृह है जंहा भगवान शिव के लिंग की पूजा की जाती है | मंदिर के परिसर के अंदर एक मण्डप भी है | जंहा विभिन्न धार्मिंक समारोह का आयोजन किया जाता है | केदारनाथ में उपस्थित शिव पिण्ड को प्रात: काल प्रकृतिक रूप से स्नान करवाया जाता है | इसके बाद लिंग के ऊपर घी का लेप किया जाता है , धूप बत्ती जलाकर आरती उतारी जाती है | इस समय यात्रा पर आये हुए व्यक्ति मन्दिर में जाकर पूजा आकर सकते है | शाम के समय भगवान केदारनाथ का श्रंगार किया जाता है | उन्हें विविध प्रकार से सजाया जाता है | इस समय भक्तगण केवल भगवान के इस रूप के दर्शन ही कर सकते है | पूजा नही कर सकते | यंहा का पुजारी एक जंगम ब्राह्मण होता है | 
केदारनाथ पहुँचने के लिए
केदारनाथ पहुँचने के लिए

केदारनाथ पहुँचने के लिए रुद्रप्रयाग से गुप्तकाशी होकर २० किलो,मीटर आगे गौरीकुंड तक मोटर गाड़ी से जा सकते है | इसके बाद का रास्ता जो कि 14 किलोमीटर का है उसे आप पैदल चलकर पूरा करेंगें | क्योकि इस रास्ते में ढलान और ऊँची नीची जगह है |

केदारनाथ मन्दिर में घोर अन्धकार होता है | केवल एक दीपक जलता है | जिसके सहारे आप भगवान शिवजी के दर्शन कर सकते है | भगवान शिव के लिंग के चारों और चार हाथ लम्बी और डेढ हाथ मोटी मन्दिर के जगमोहन में द्रोपदी सहित पांच पांडवों की विशाल मूर्तियां बनी हुई है | मन्दिर के पीछे एक कुण्ड है | जंहा पर तर्पण आदि का कार्य किया जाता है | कहा जाता है कि पांच पांडव इस स्थान पर अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए आये थे |कहा जाता है कि भगवान शिव पांडवों को दर्शन नही देना चाहते थे | भगवान शिव ने उनसे छिपने के लिए एक बैल का रूप धारण कर लिया | लेकिन पांडव अपने इरादे के पक्के थे | भीम ने अपना विशाल रूप धारण करके पर्वत पर फैला दिया जब सभी बैल – भेड़ बकरी पहाड़ से निकल गये तो केवल भगवान शिव ही रह गये थे | उसी समय भीम ने उन्हें देख लिया | भीम ने अपनी पूरी शक्ति के साथ बैल पर झपट्टा मारा लेकिन बैल अंतर्ध्यान होने लगा | भीम ने बैल का पीठ का हिस्सा पकड़ लिया और उन्हें जाने से रोक दिया | भगवान शिव उनकी ऐसी लग्न  को देखकर प्रसन्न हुए और उन्होंने पांडवों को पाप से मुक्त कर दिया | यह कथा पुरानों में लिखी गई है | 
केदारनाथ के बाहर नंदी बैल
केदारनाथ के बाहर नंदी बैल 

इस मन्दिर की एक बात है जो आपको आश्चर्य में डाल देगा | यह मन्दिर लगभग 400 साल तक बर्फ के नीचे दबा हुआ था | फिर भी इस मन्दिर को कुछ भी नही हुआ | इसके आलावा 2013 में आये हुए भूस्खलन और बाढ़ में भी यह मन्दिर अपने स्थान से नही हिला |

केदारनाथ की घाटी :- केदारनाथ धाम तीन तरफ से फोन से घिरा हुआ है | एक तरफ से लगभग 22 हजार फुट ऊँचा केदारनाथ तो दूसरी तरफ से 21 हजार 600 फुट ऊँचा खर्च कुण्ड और तीसरी ओर से 22 हजार 700 कूट ऊँचा भरतकुण्ड | यह मन्दिर सिर्फ तेन पहाड़ों से ही नही घिरा हुआ है बल्कि इस स्थान पर पांच नदियों का भी संगम है | इन नदियों के नाम निम्नलिखित है |
केदारनाथ और बद्रीनाथ
केदारनाथ और बद्रीनाथ 

1.  मंदाकिनी
2.  मधुगंगा
3.  क्षीरगंगा
4.  सरस्वती
5.  स्वर्णगौरी

लेकिन इन में से केवल मंदाकिनी को सबसे अहम नदी के रूप में माना जाता है | यंहा सर्दियों के मौसम में अधिक बर्फ गिरती है और बारिश में जबरदस्त पानी बरसता है |
केदारनाथ में दर्शन का समय :- केदारनाथ का मन्दिर आम जनता के लिए सुबह 7 बजे खुलता है |

दोपहर के समय एक विशेष पूजा की जाती है | इसके बाद आराम करने के लिए मन्दिर को बन्द कर दिया जाता है |
शाम को पांच बजे दोबारा मन्दिर को भक्तगण के लिए खोला जाता है |
पांच मुख वाली शिव की मूर्ति को विभिन्न प्रकार से सजाया जाता है और उनकी आरती की जाती है |
सर्दियों के मौसम में केदारनाथ
सर्दियों के मौसम में केदारनाथ


रात के 8 : 30 मिनट पर भगवान केदार के मन्दिर को बंद कर दिया जाता है |
सर्दियों के मौसम में केदारनाथ की घाटी बर्फ से ढक जाती है | इस समय मन्दिर को बिलकुल बंद कर दिया जाता है | इस मौसम में सभी भक्तगण का आना वर्जित किया जाता है |





 केदारनाथ धाम एक धार्मिक स्थल | Kedarnath Ki Katha , Kedarnath Ke Mandir Ki Visheshta, Kedarnath Ke Kpaat Khulne Ka Samy, Kedarnath Ka Itihaas |

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