Chikungunya,चिकिनगुनिया के घरेलू इलाज , Chikungunya,चिकिनगुनिया Ke Ghrelu Ilaj |

Chikungunya,चिकिनगुनिया के घरेलू इलाज
Chikungunya,चिकिनगुनिया के घरेलू इलाज
चिकिन गुनिया का बुखार :- ( chikungunya fever )  चिकिन गुनिया का बुखार मच्छरों के संक्रमण से फैलता है | यह भी एक तरह का बुखार है | जो मच्छरों के कारण होता है | आजकल जिस तरह से डेंगू का प्रकोप हो रहा है | ठीक उसी तरह से चिकिन गुनिया का भी प्रकोप चारों और देखने को मिलते है | इस रोग के बारे में पूरी तरह से जानकारी ना होने के कारण लोगों में इस बीमारी को लेकर अच्छा खासा डर बैठ गया है | लेकिन हम आपको यह साफ तरीके से बता देना चाहते है कि यह बुखार डेंगू के बुखार जितना असरदार नही होता है | इस रोग में रोगी के जान जाने का खतरा ना के बराबर होता है | परन्तु पहले अस्वस्थ बुजर्ग और बच्चे के जीवन के लिए यह बुखार खतरनाक साबित हो सकता है | इस बुखार में समय से ही डॉक्टर की सलाह और परामर्श लेना  चाहिए | ताकि हम इस बुखार की सही समय पर इलाज करके स्वस्थ हो जाएँ | आज हम आपको चिकिनगुनिया के बुखार के बारे में कुछ जानकारी देंगें | जिससे आप इस बुखार की खौफ और अफवाहों में ना आयें | चिकिनगुनिया के बुखार से बचने के कुछ उपाय निम्नलिखित है |
चिकिनगुनिया के बुखार का इतिहास :- विशेषज्ञों का मानना है कि इस रोग को सबसे पहले तंजानिया , मारकोंद पल्टू, मोज्मिब्क आदि देशों के इलाकें में फैलते हुए देखा गया था | इस रोग को पहले अकड़े हुए आदमी की बीमारी के नाम से जाना जाता था | यह रोग सबसे पहले 1952 ईस्वी में फैला था | एक खास प्रजाति का मच्छर चिकिनगुनिया के रोग को फैलाता है | जिसे एडिस एजिप्टी कहा जाता है | इस मच्छर की पहली बार पहचान जर्मनी के डॉक्टर के द्वारा की गई | एडिस एजिप्टी के ग्रीक भाषा का नाम है | जिसका अर्थ होता है | बुरा मच्छर | यह रोग सबसे पहले तंज़ानिया के शहर में फैलते हुए देखा गया |
Chikungunya,चिकिनगुनिया Ke Ghrelu Ilaj
Chikungunya,चिकिनगुनिया Ke Ghrelu Ilaj
चिकिनगुनिया के बुखार के होने का क्या कारण है :- चिकिनगुनिया का बुखार वायरस संक्रमित मच्छर के काटने से होता है | इसका वायरस एक अर्बेविषाणु है | जिसे अफाविशाणु के परिवार से माना जाता है | इस वायरस को फैलाने वाला एडिस एजिप्टी मच्छर है | जो डेंगू बुखार और येलो फीवर को भी फैलाता है | यह मच्छर बारिश के जमा हुए पानी में तेज़ी से फेलता है |
चिकिनगुनिया के बुखार के क्या – क्या लक्षण है :-
चिकिनगुनिया बुखार के लक्षण संक्रमण के लगभग 2 से 5 दिनों तक ही रहते है | लेकिन यह बुखार मनुष्य के उम्र पर भी निर्भर करता है | चिकिनगुनिया बुखार के लक्षण एक से अधिक भी हो सकते है | वैसे चिकिनगुनिया के बुखार के निम्नलिखित लक्षण देखे गये है |
जिस व्यक्ति को चिकिनगुनिया हो जाता है | उसे अचानक से बिना खांसी जुकाम के ठंड लगती है | क्प्कप्नी चढ़ जाती है | और तेज़ बुखार हो जाता है |
जोड़ों में दर्द होता है | और साथ ही साथ सूजन भी आ जातिही | चिकिनगुनिया का बुखार लगभग १०४ से १०५ डिग्री सेल्सियस का होता है | जो कि बहुत ही तेज़ बुखार होता है | यह बुखार लगभग 3 से 6 दिनों तक ऐसे ही बना रहता है |
इस रोग के संक्रमण में आने के बाद रोगी के सिर के आगे वाले हिस्से में आंख के पीछे भाग में दर्द होता है | इसके आलावा कमर और मासपेशियों में भी दर्द होता है |
आँखों का लाल होना और आँखों में दर्द होना भी इसका एक लक्षण है |
उल्टी होना या महूसस करना |
रोगी के शरीर पर लाल – गुलाबी रंग के चक्कते हो जाते है | भूख कम लगती है | या लगती ही नही है | भोजन खाने की इच्छा में कमी आ जाती है | मुंह का स्वाद कडवा हो जाता है | इसके आलावा पेट का खराब होना आदि चिकिनगुनिया के बुखार के लक्षण है |
नींद ना आना या नींद में कमी आना भी इस बुखार का लक्षण है |
चिकिनगुनिया के बुखार का पता लगाने के लिए कौन से टेस्ट किये जाते है | इसके बारे में हम आपको जानकारी दे रहे है |
 Chikungunya Faelane Vale Macchr Ka Naam
 Chikungunya Faelane Vale Macchr Ka Naam
चिकिनगुनिया के बुखार से जुड़े जांचों में से आरटी – पीसीआर और रक्त सीरम और वायरस का अलग – अलग जाँच मुख्य होता है | इस टेस्ट से आप चिकिनगुनिया के बुखार का पता लगा सकते है |
virus isolation टेस्ट :- जब व्यक्ति के शरीर में संक्रमण की शुरुआत होती है | तो खून में चिकिनगुनिया के वायरस को अलग कर परिक्षण की जाँच की जाती है |
EISA टेस्ट  :-  इस टेस्ट से चिकिनगुनिया के एंटीबाडीज रक्त में है या नही इस बात की जाँच की जाती है |
CBC TEST :- इसका अर्थ है कम्पलीट ब्लड काउंट टेस्ट :- इस खून के परिक्षण में सफेद रखत कणिकाएं और प्लेटलेट काउंट में कमी आने पर चिकिनगुनिया होने की संभावना को प्रकट किया जाता है | ( RT –PCR ) TEST :- इससे चिकिनगुनिया के GENE की जाँच की जाती है |
चिकिनगुनिया बुखार से बचाव के उपाय :- इस बुखार के कुप्रभाव से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय है |
·      जैसा कि हम जानते है कि यह बुखार मच्छर के काटने पर फैलता है | तो जितना हो सके मच्छरों से दुरी बनाएं रखें |
·      रात हो या दिन सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें |
·      घर में मच्छर भगाने वाले कॉयल , लिक्विड और किसी भी कम्पनी का मच्छर भगाने वाला प्रोडक्ट्स USE करें |
·      घर से बाहर जाने से पहले शरीर और हाथों , पैरों पर मोस्कीटो रेप्लेट क्रीम का प्रयोग करें |
·      अपने घर के आस – पास के वातावरण की सफाई का ख्याल रखें | अपने घर में और घर के आस – पास पानी इकट्ठा ना होने दें | क्योंकि जल भराव के कारण ही मच्छर पनपते है |
·      घर में दरवाजे , खिड़कियाँ और रोशनदानों पर जालियां लगायें |
·      टायर ,टयूब,डिब्बे आदि के फालतू के सामानों को घर से बाहर निकाल दें | इसके आलावा कूलर , A /c , पशुओं के पीने के लिए रखे हुए पानी और गमले में रुके हुए पानी को बदलते रहना चाहिए | और कम से कम 2 या 3 दिन में साफ़ करते रहे |
·      खाली बर्तनों को खुला ना रखें | उन्हें ढककर रखें |
·      यदि आपके घर के आस-पास किसी भी व्यक्ति को यह संक्रमण हो जाता है | तो विशेष तौर पर सावधानी बरतनी चाहिए |  
·      यदि आपको दो या तीन दिन से अधिक बुखार रहता हो तो तुरंत बिना समय बर्बाद किये किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह लेकर खून की जाँच कराएं |
उपर लिखे हुए लक्षणों में से कोई भी लक्षण होता है तो चिकिनगुनिया का बुखार होने की आशंका हो जाती है | ऐसे में रोगी की उचित प्रकार से देखभाल करनी चाहिए | और डॉक्टर के परामर्श के अनुसार इसकी रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठायें |
चिकिगुनिया के बुखार से बचने के लिए कुछ घरेलू उपाय निम्नलिखित है :-
ppite ke patte ka upyog kren
ppite ke patte ka upyog kren 
बकरी का दूध :- बकरी के दूध में कुछ ऐसे तत्व होते है | जो डेंगू के बुखार ओए चिकिनगुनिया के बुखार के लिए आवश्यक होते है | क्योंकि इसका दूध सीधे प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है | इसके आलावा बकरी के दूध का सेवन करने से शरीर को उर्जा मिलती है , शरीर में तरल पदार्थों की कमी पूरी हो जाती है | इसके आलावा शरीर में पोषक तत्वों की कमी भी नही होने देता |  
पपीते के पत्ते का सेवन है लाभकारी :- जैसा कि हम जानते है कि चिकनगुनिया का बुखार डेंगू की तरह ही होता है | तो इसके इलाज में पपीते के पत्ते का उपयोग उतना ही जरूरी होता है | जितना कि डेंगू के बुखार में | इसके उपचार के रूप में पपीते की पत्तियों के डंठल को अलग करके केवल पत्तियों को पीसकर उसका रस निकाल लें | इस रस की दो चम्मच की मात्रा को दिन में तेन बार दें | इस उपाय को करने से शरीर में प्लेटलेट की गिनती बढ़ जाती है | और शरीर से व्यर्थ पदार्थों को बाहर निकालती है | 


तुसली के पत्ते और कालीमिर्च का उपयोग :- चिकनगुनिया के बुखार में तुलसी के पौधे के 6 से 7 पत्ते , लगभग 25 ग्राम ताज़ी गिलोय का तना आदि को लेकर कुट लें | इसमें 4 या 5 काली मिर्च के दानों को भी कूटकर मिला लें | अब इन सभी के मिश्रण को एक लीटर पानी में डालकर उबाल लें | पकते हुए जब इस पानी की मात्रा का एक चौथाई हिस्सा रह जाये तो इसे उतारकर ठंडा होने के लिए रख दें  | इस तरह से यह एक काढ़ा तैयार है | इस तैयार काढ़े को थोड़े – थोड़े समय अन्तराल पर रोगी को देते रहे | इस काढ़े का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है | यह एक एंटी बैक्टीरियल के रूप में काम करती है |
tilsi , kali mirch , loun ke upay
tilsi , kali mirch , loun ke upay 

तुलसी और अजवाइन और नीम की पत्तियां :- एक गिलास पानी में नीम की कुछ पत्तियां , अजवाइन , किशमिश और तुलसी के पौधे की कुछ पत्तियों को मिलाकर उबाल लें | इस पानी को बिना छाने एक दिन में कम से कम तीन बार पीयें | इसके आलावा तुलसी के पौधे की पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से भी लाभ मिलता है |
मेथी के पत्ते :- इसे उपयोग करने की विधि इस प्रकार से है |
मेथी की पत्तियों को पानी में भिगाकर कुछ देर छोड़ दें | इसके बाद पानी को छानकर पी लें | इसके आलावा मेथी के दानो का पावडर बनाकर पानी में मिलाकर पीने से भी लाभ मिलता है | इसकी पत्तियों का सेवन करने से बुखार को उतरने में मदद मिलती है |  
giloy ki jad
giloy ki jad 
एप्सम साल्ट :- एप्सम साल्ट की कुछ मात्रा को गर्म पानी में मिलाकर इस पानी से नहायें | यदि आप इस पानी में नीम की पत्तियां भी मिला देते है, तो और भी अच्छा है | ऐसे में दर्द में राहत मिलती है | और साथ ही साथ शरीर का तापमान भी नियंत्रित रहता है |
गिलोय की जड या तना :- गिलोय के तने या जड को तुलसी के पत्ते में मिलाकर काढ़ा बनाएं | इस काढ़े का सेवन करने से शरीर में मेटाबालिज्म रेट बढ़ता है , इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है | रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है | इसके आलावा शरीर में किसी भी तरह का इन्फेक्शन होने का खतरा भी कम हो जाता है |
हल्दी का उपयोग करें:- हल्दी में एंटी सेप्टिक गुण विद्यामन होते है | जो हमारे शरीर में  मेटाबालिज्म को बढ़ाने में मदद करता है | हल्दी का सेवन करने से दर्द और घाव में जल्द ही आराम मिल जाता है ||हल्दी को दूध में मिलाकर पीयें | लाभ मिलता है |
लहसुन और सजवायन की फली :- इस बुखार को ठीक करने के लिए किसी भी तेल में लहसुन की कली के साथ सजवायन की फली को मिलाकर गर्म कर लें | इस तरह से तेल को तैयार करें | इस तेल से रोगी के शरीर की मालिश करें | इस उपाय को करने से दर्द में राहत मिलती है |
gajr ka jus peeyen
gajr ka jus peeyen 
फलों का रस का सेवन करें :- दूध , दही , जल्दी पचने वाला भोजन आदि का सेवन करें | इसके आलावा जिस भोजन में विटामिन सी की मात्रा हो उस भोजन का सेवन करें | रोगी को आयरन युक्त भोजन दें और साथ ही साथ ओआरएस का घोल दें | जो की चिकिनगुनिया के बुखार को ठीक होने में मदद मिल सके |
चिकिनगुनिया के बुखार के लिए गिलोय , पपीता के पत्ते , एलोवरा , मुस्ब्बेरा का रस और बकरी का दूध लाभदायक होता है |
कच्चा गाजर खाना भी लाभदायक होता है | इसका सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है | इसके आलावा जोड़ों के दर्द में भी राहत मिलती है |
इन सभी उपाय को करने के साथ ही साथ आप किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह भी जरुर लें |
चिकनगुनिया का आयुर्वेदिक इलाज के लिए औषधी का वर्णन:-
संजीविनी वटी का उपयोग करें
संजीविनी वटी का उपयोग करें 
संजीविनी वटी की 100 mg गोली को एक दिन में कम से कम दो बार गर्म पानी के साथ लें |
सुदर्शन घन वटी की 500 mg की गोली को रोजाना दिन में तीन बार गरम पानी के साथ लें |
अमृतारिष्ट की 15 से 30 मिलीलीटर की मात्रा को दिन में दो बार लें | इसके आलावा संजीविनी वटी की 100 mg की गोली को दिन में दो बार लें |
त्रियोद्शंग गुगूलू की 500 mg को दिन में तीन बार गर्म पानी के साथ खाएं | महारस्नादी क्वाथ की 45 से 50 मिलीलीटर की मात्रा को दिन में कम से कम दो बार लें |
बुखार और दर्द होने पर :- यदि आपको बुखार हो जाता है और दर्द होता है | तो दशमूल काढ़ा का सेवन करें |
Chikungunya Mein Koun Sa Test Krayen
Chikungunya Mein Koun Sa Test Krayen
बुखार के लिए कुछ टिप्स :- पोत्लादी क्वाथ पर पांच तिक्त क्वाथ और सुदर्शन चूर्ण का सेवन करें | इसके आलावा जिस बुखार में कफ की अधिकता हो तो निम्बादी का सेवन करने से लाभ मिलता है |
आमवात , गठिया , अर्थराईट के लिए उपाय :- रस्नादी क्वाथ और महारस्नादी क्वाथ या महा योगराज गुग्ग्लू या योगराज गुग्गलू या रसना सप्तक क्वाथ का सेवन करने से लाभ मिलता है |
पुराने बुखार में :- आरोग्यवर्धनी गुटिका का सेवन करें |  
स्किन पर लाल गुलाबी दाने होने पर उपचार :- गुददुचियादी क्वाथ विल्बादी गुटिका या हरिद्रा खण्ड का सेवन करने से लाभ मिलता है |
चिकिनगुनिया में गुग्गलू का सेवन है लाभकारी :- गुग्गलू हमारे शरीर में सूजन को दूर करने में हमारी मदद करता है | इसलिए चिकिनगुनिया के बुखार के लिए गुग्गलू विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है | यदि बुखार ठीक भी हो जाता है तो भी जोड़ों में दर्द होता हो तो ऐसे में निम्नलिखित गुग्गलू का सेवन करना चाहिए | इसका सेवन करने से शरीर में सूजन कम हो जाती है |
Chikungunya Bukhar Se Bachne Ke Upay
Chikungunya Bukhar Se Bachne Ke Upay
अमृता गुग्गलू :- दो गोली दिन में दो बार खाएं |
योगराज गुग्गलू,:-  दो गोली दिन में दो बार खाएं |
महायोगराज गुग्गलू :- दो गोली दिन में कम से कम दो बार खाएं |
, सिंह नाद गुग्गलू,:- दो गोली दिन में तीन बार गर्म पानी के साथ खाएं |
 गोक्षुरादी गुग्गलू,:- दो गोली दिन में दो बार गर्म पानी के साथ खाएं |  कैशोरी गुग्गलू :- दो गोली दिन में कम से कम दो बार खाएं |
त्रिद्शंग गुग्गलू :- दो गोली एक दिन में कम से कम दो बार खाएं |
इसके आलावा हर्बल दवा का भी सेवन करने से चिकनगुनिया के बुखार में उचित होता है | इसका सेवन करने से बुखार दूर हो जाता है और साथ ही साथ सुजन भी दूर हो जाती है | यह औषधी दर्द निवारक भी होती है |
चिकनगुनिया के लिए औषधी
चिकनगुनिया के लिए औषधी
चिकनगुनिया के लिए औषधी :-
गिलोय , सौंठ , कालमेघ , पाठा , तुलसी , नीम , त्रिफला मंजीठ , रसना , गुग्गलू , हल्दी , निर्गुन्डी , अदरक का रस , त्रिफला का काढ़ा आदि को औषधी के रूप में प्रयोग करें यह एक सरल और असरदार उपाय है | 

Chikungunya,चिकिनगुनिया के घरेलू इलाज , Chikungunya,चिकिनगुनिया Ke Ghrelu Ilaj , Chikungunya Ke Lakshn , Or Karan , Chikungunya Faelane Vale Macchr Ka Naam , Or Itihaas, Chikungunya Mein Koun Sa Test Krayen, Chikungunya Bukhar Se Bachne Ke Upay |


1 comment:

  1. चिकनगुनिया एक संक्रमण

    चिकनगुनिया एक संक्रमण है जो चिकनगुनिया वायरस के कारण होता है। बुखार और जोड़ों के दर्द इसके लक्षण में शामिल हैं। ये बीमारी आमतौर पर दो से बारह दिनों तक संक्रमण के बाद रहती है। अन्य लक्षणों में सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, संधियों में सूजन, और शरीर पर दाने शामिल हो सकते हैं। अधिकांश लोगों एक सप्ताह के भीतर इस बीमारी से आराम पा लेते हैं; हालांकि, कभी कभी जोड़ों के दर्द महीनों परेशान कर सकते हैं।

    ReplyDelete


http://ayurvedhome.blogspot.in/2015/09/pet-ke-keede-ka-ilaj-in-hindi.html







http://ayurvedhome.blogspot.in/2015/08/manicure-at-home-in-hindi.html




http://ayurvedhome.blogspot.in/2015/11/importance-of-sex-education-in-family.html



http://ayurvedhome.blogspot.in/2015/10/how-to-impress-boy-in-hindi.html


http://ayurvedhome.blogspot.in/2015/10/how-to-impress-girl-in-hindi.html


http://ayurvedhome.blogspot.in/2015/10/joint-pain-ka-ilaj_14.html





http://ayurvedhome.blogspot.in/2015/09/jhaai-or-pigmentation.html



अपनी बीमारी का फ्री समाधान पाने के लिए और आचार्य जी से बात करने के लिए सीधे कमेंट करे ।

अपनी बीमारी कमेंट करे और फ्री समाधान पाये

|| आयुर्वेद हमारे ऋषियों की प्राचीन धरोहर ॥

अलर्जी , दाद , खाज व खुजली का घरेलु इलाज और दवा बनाने की विधि हेतु विडियो देखे

Allergy , Ring Worm, Itching Home Remedy

Home Remedy for Allergy , Itching or Ring worm,

अलर्जी , दाद , खाज व खुजली का घरेलु इलाज और दवा बनाने की विधि हेतु विडियो देखे

Click on Below Given link to see video for Treatment of Diabetes

Allergy , Ring Worm, Itching Home Remedy

Home Remedy for Diabetes or Madhumeh or Sugar,

मधुमेह , डायबिटीज और sugar का घरेलु इलाज और दवा बनाने की विधि हेतु विडियो देखे