लकवे की बीमारी का
देशी इलाज
वैज्ञानिकों का
मानना हैं कि लकवा मस्तिष्क से जुडा हुआ रोग हैं और यह रोग मस्तिष्क के रोग के
कारण ही होता हैं. जिसका प्रभाव व्यक्ति के शरीर पर पड़ता हैं और उसके शरीर का
दायाँ या बायाँ हिस्सा अधिक प्रभावित होता हैं. इसके अलावा भी लकवे के अन्य लक्षण
और कारण होते हैं तो चलिए उपचार जानने से पहले इनके बारे में थोड़ी जानकारी हासिल
कर लेते हैं.
लकवे के प्रकार
हर व्यक्ति को लकवे
की शिकायत विशेष रूप से किसी एक अंग में नहीं होती. इसीलिए यह बीमारी हर व्यक्ति
को अलग – अलग भागों में होती हैं. जिसके आधार पर ही लकवे की बीमारी को अलग – अलग
भागों में बांटा गया हैं और इन्हें अलग – अलग नामों से भी जाना जाता हैं. जिसके
बारे में जानकारी नीचे दी गई हैं.
१. मोनोप्लेजिया – इस रोग के होने पर व्यक्ति का एक हाथ और एक पैर
प्रभावित होते हैं.
लकवे से पीड़ित व्यक्ति के लिए प्राकृतिक उपचार |
२. डिप्लेजिया – लकवे के इस रोग के होने पर व्यक्ति के शरीर के
दोनों हाथ और पैर काम करना बंद कर देते हैं.
३. पैराप्लेजिया – इस रोग के होने पर व्यक्ति का धड लकवे से
प्रभावित हो जाता हैं.
४. हेमिप्लेजिया – लकवे के इस प्रकार के होने पर व्यक्ति के शरीर
की पूरी एक साइड सुन्न हो जाती हैं.
५. क्वाड्रिप्लेजिया – इस रोग के होने पर व्यक्ति के धड के साथ – साथ
चरों हाथ और पैर प्रभावित हो जाते हैं.
लकवे के लक्षण
१.
अचानक
से व्यक्ति के शरीर के अंगों का कार्य करना बंद हो जाना.
२.
मस्तिष्क
की नसों में रक्त का थक्का जम जाना.
३.
मस्तिष्क
की रक्तवाहिनियों से अत्यधिक रक्त स्राव होना.
४.
व्यक्ति
का अपने शरीर के अंगों पर नियंत्रण न रहना.
५.
अचानक
से चक्कर आना और बेहोश हो जाना.
कारण –
१.
अगर
किसी व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत रहती हैं तो उसे लकवा हो सकता हैं.
२.
खासतौर
से किसी भी व्यक्ति को यह रोग तब होता हैं जब अचानक से उसके शरीर के किसी हिस्से
में रक्त की पूर्ति होना बंद हो जाएँ.
३.
इसके
अलावा यदि मनुष्य के मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका नष्ट हो जाती हैं अर्थात अचानक
से फट जाती हैं और रक्त वाहिका के फटने की ही वजह से उसके मस्तिष्क की कोशिकाओं के
आस – पास खून फ़ैल जाता हैं तो उसे लकवे की बीमारी हो सकती हैं. मस्तिष्क की यह स्थिति
बिल्कुल हृदय के जैसी होती हैं. जिस प्रकार किसी भी व्यक्ति को हार्ट अटैक की
समस्या तब उत्पन्न होती हैं जब उसके हृदय में रक्त पूर्ण रूप से संचारित नहीं हो
पाता हैं और इसी वजह से दिल का दौरा पड जाता हैं.
Lakve Se Pidit Vyakti Ke Liye Prakaritik Upchar |
४.
अगर
आपके मस्तिष्क से लेकर तंत्रिका कोशिका में अगर कोई रोग हो गया हैं तो इस रोग से
भी आपको लकवे का रोग हो सकता हैं.
लकवा अधिकतर लोगों
को केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र जिसमें मुख्य रूप से मस्तिष्क एवं स्पाइरल कार्ड्स सम्मिलित
होते हैं, पेरिफेरल नर्वस सिस्टम आदि में गड़बड़ी होने के कारण होता हैं. अगर समग्र
रूप से इस बीमारी के विशेष कारणों के बारे में जानने की कोशिश की जाएँ तो इसमें
मुख्य रूप से तंत्रिका तन्त्र शामिल होता हैं. जिसके बारे में जानकारी नीचे दी गई
हैं.
१. स्ट्रोक – स्ट्रोक लकवा का मुख्य कारण माना जाता हैं. जब
किसी व्यक्ति को स्ट्रोक आते हैं तो इससे मनुष्य के मस्तिष्क का मुख्य भाग स्थान
काम करना बंद कर देता हैं. जिससे मस्तिष्क अपना कार्य ठीक ढंग से नहीं कर पाता और
न ही मस्तिष्क शरीर के सभी संकेतों को ग्रहण कर पाता हैं. यदि किसी व्यक्ति को
स्ट्रोक की समस्या रहती हैं तो इससे उसे हाथ और पैरों में लकवे की बीमारी होने की
सम्भावना अधिक रहती हैं.
२. ट्यूमर – हमारे मस्तिष्क में अनेक प्रकार के ट्यूमर
मस्तिष्क के स्पाइनल कार्ड्स में पायें जाते हैं. जिसकी वजह से ही रक्त प्रवाहित
होना कम हो जाता हैं और इसी वजह से उन्हें लकवा हो जाता हैं.
३. ट्रामा और चोट – यदि किसी व्यक्ति के मस्तिष्क में ट्रामा या
अंदरूनी चोट लगने के कारण रक्त प्रवाह पूर्ण रूप से नहीं हो पाता तो भी उसे लकवे
की बीमारी हो सकती हैं.
४. सिरेबरल पैल्सी – यह बीमारी बच्चे में जन्म से ही पाई जाती हैं.
जिसकी वजह से ही कम उम्र के बच्चों को भी लकवा हो जाता हैं.
लकवे का उपचार
१. लहसुन – अगर किसी व्यक्ति को लकवा हो गया हैं तो इस रोग
से जल्द मुक्ति पाने के लिए लहसुन की कलियाँ अच्छी तरह से पीस लें. इसके बाद इसमें
दो चम्मच शहद मिला लें और इस मिश्रण का सेवन रोजाना लकवे से पीड़ित व्यक्ति को
कराएं.
२. अदरक – अगर आपके घर के किसी व्यक्ति को लकवे का रोग हो
गया हैं तो इस रोग से मुक्ति पाने के लिए १५ ग्राम सूखी हुई अदरक लें और १५ ग्राम
बच लें. इसके बाद इन दोनों को अच्छी तरह से पीस लें. अब इन मिश्रण में शहद मिलाएं
और इसके बाद इसका सेवन करें. इस मिश्रण का सेवन करने से भी आपको इस रोग में काफी
लाभ होगा.
३. कनेर की जड़ – आप लकवे से ग्रस्त व्यक्ति को ठीक करने के लिए
कनेर की जड़ का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए सफेद कनेर की जड़ की छाल और काले
धतूरे के पत्ते की बराबर मात्रा लें. इसके बाद इन पत्तों की ही बराबर मात्रा में
सरसों का तेल लें. अब इस तेल में इन पत्तों को अच्छी तरह से भून लें. इसके बाद इस
तेल से पीड़ित व्यक्ति के शरीर की मालिश करें. इस तेल से रोजाना मालिश करने से भी
रोगी को काफी लाभ होगा.
४. लहसुन और दूध – यदि किसी व्यक्ति को लकवा हो गया हैं तो इस रोग
के निदान हेतु आप दूध और लहसुन की कलियों का भी प्रयोग कर सकते हैं. इसके लिए ४ या
5 लहसुन की कलियाँ लें और इन्हें एक गिलास दूध में डालकर उबाल लें. इसके बाद इस
दूध का सेवन लकवे से पीड़ित व्यक्ति को कराएं. नियमित रूप से इस दूध का सेवन करने
से भी रोगी जल्द ही ठीक हो जाएगा.
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