भगन्दर की बीमारी का ईलाज
भगन्दर की बीमारी को अंग्रेजी में fistula भी कहा जाता है | यह बीमारी बहुत
दर्द और कष्ट देने वाली होती है | जिसके कारण मनुष्य का मन अशांत रहता है और
मनुष्य बहुत ज्यादा चिडचिडा हो जाता है | इस बीमारी को हमें छोटी बीमारी नहीं
माननी चाहिए बल्कि इसका समय रहते उपचार
करवाना चाहिए | यदि इस बीमारी का ईलाज समय पर नहीं होता तो इसके कारण मनुष्य की
हड्डियों में छेद हो जाता है जिसमे मवाद भर जाता है | कभी – कभी इसमें से रक्त का
स्त्राव भी होने लगता है | इस रोग का ईलाज हम आयुर्वेदिक ठंग से कर सकते है | जो
इस प्रकार से है |
भगंदर की पहचान –
यह गुद्दा के पास एक फुंसी की तरह होती है जिससे मवाद और मल निकलता है ,
परन्तु इसकी जड़े गुद्दा के अंदर तक होती है , इस फुंसी की जड़ गुद्दा के अंदर और
इसका मुहँ गुद्दा के समीप बाहर खुलता है , कभी कभी ऐसा भी होता है की इसका मुहँ
बाहर नहीं निकलता और अंदर ही अंदर अधिक सूजन हो जाती है ,
सामग्री
कायाकल्प क्वाथ (kaya kalp kwath) :- २०० ग्राम
मुलेठी क्वाथ (mulhethi kwath) :- २०० ग्राम
बनाने की विधि :- इन दोनों
आयुर्वेदिक औषधीयों को आपस में मिलाकर एक मिश्रण बनाए | फिर एक बर्तन में ४००
मिलीलीटर पानी लेकर इसमें एक चम्मच इस तैयार औषधि मिश्रण का मिला दें | अब इसे मंद
अग्नि पर पकने के लिए रख दें | कुछ देर पकने के बाद जब इसके पानी की मात्रा १००
मिलीलीटर रह जाए तो इसे छानकर खाली पेट पीये | इस उपचार को रोजाना सुबह के समय और
शाम के समय करे |
सामग्री : -
रस माणिक्य (rasa manikya) :- ३ ग्राम
अमृता सत (amrita sata) :- १० ग्राम
मुक्ता पिष्टी (mukta pisti) :- ४ ग्राम
शंख भस्म (shankh bhasma) :- १० ग्राम
प्रवाल पिष्टी (prawal pisti) :- १० ग्राम
कहरवा पिष्टी (kaharwa pisti) :- १० ग्राम
इन सभी आयुर्वेदिक औषधियों को मिलाकर इनकी बराबर मात्रा की ६० पुड़ियाँ यानि
२ महीने की खुराक बना लें | और डिब्बे में बंद करके सुरक्षित जगह पर रख दें |
रोजाना एक पुड़ियाँ सुबह खाना खाने से आधा घंटा पहले खाएं और एक पुड़ियाँ रात को
खाना खाने से एक घंटा पहले खाएं | इन औषधियों का सेवन ताज़े पानी के साथ , शहद के
साथ या मलाई के साथ करें |
सामग्री : -
कायाकल्प वटी ( kaya kalp vati ) :- ४० ग्राम
अर्श कल्प वटी ( arsh kalp vati ) :- ४० ग्राम
इन दोनों आयुर्वेदिक औषधियों की दो – दो गोली प्रतिदिन सुबह और शाम खाली पेट
खाएं | इस औषधि का प्रयोग हमारे बनाए हुए कायाकल्प क्वाथ और मुलेठी के क्वाथ के
साथ करें |
सामग्री :
-
सप्तविशंति गुग्गुलु(saptvishanti guggal ) :- ६० ग्राम
पञ्चतिक्तधृत गुग्गुलु(panchshakti dhrat guggal):- ६० ग्राम
आरोग्यवर्धिनी वटी (aarogyavardhini vati) :- ६० ग्राम
उपरोक्त तीनो औषधियों की एक – एक गोली की मात्रा को दिन में दो बार खाना
खाने के आधे घंटे बाद हल्के गर्म पानी के साथ खाएं |
अभयारिष्ट (abhyarist) :- ४५० मिलीलीटर
किसी भी अच्छी आयुर्वेदिक कंपनी से अभयारिष्ट नामक औषधि खरीद लें | इस औषधि
की चार चम्मच की मात्रा में चार चम्मच
पानी मिलाकर पीयें | इसके आलावा कायाकल्प तेल में सूती का कपड़ा भिगोकर अपनी गुदा मार्ग
के भीतर रखे और घाव पर लगाकर रख दे |
इन सभी उपचारों का प्रयोग करके हम भगन्दर की बीमारी को ठीक कर सकते है |
नोट :- यदि किसी रोगी को इस बीमारी से ज्यादा दर्द
हो रहा हो तो उसे देशी कपूर को पीसकर इसमें कायाकल्प तेल मिलाकर अपने घाव पर लगाना
चाहिए | इस प्रयोग को करने से रोगी को बहुत राहत मिलती है |
खाने पीने संबंधी बातें - इस बीमारी में बहुत से परहेज करने होते है जैसे तला हुआ और मसाले दार भोजन से बचना है, पानी अधिक पीना है , चाय और कॉफ़ी से परहेज करना है,
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